यह आश्चर्य की बात है कि देश की संसद बलात्कार की परिभाषा तय करते हुए सहमति की आयु 16 वर्ष हो या 18 वर्ष इस पर दलीय आधार पर बंट गई. सांसदों से अपेक्षा होती है कि ऐसे मामलों, जिन में सत्ता का कोई दखल न हो, में वे सामाजिक जिम्मेदारी निभाएं. यहां इस विषय पर कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी सब दलीय खेमों में बंट गए.
कुछ दल 16 वर्ष से अधिक की लड़की को शारीरिक संबंधों में सहमति को सही मानना चाहते हैं तो कुछ 18 वर्ष की आयु की. वैसे, दोनों ही पैमाने गलत हैं क्योंकि प्रकृति ने तो लड़की के रजस्वला होते ही शारीरिक संबंधों की आवश्यकता पैदा कर रखी है. जब लड़कालड़की राजी हों तो सहमति का लाभ उस लड़के को मिलना चाहिए जिस पर बाद में लड़की के नाराज होने पर मुकदमा चल रहा हो. जहां सहमति न हो, वहां तो किसी भी आयु का जबरन संबंध बलात्कार ही है. सांसदों को परिपक्वता दिखानी चाहिए थी.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन