कोलकाता की शारदा चिटफंड कंपनी के सुदीप्तो सेन ने लोगों के हजार करोड़ रुपए गटक डाले हैं या 20 हजार करोड़ रुपए, यह कभी पता न चलेगा. चिटफंड जैसी कंपनी में एजेंटों के जरिए आम लोगों को मोटे ब्याज का झांसा दे कर उन से छोटीछोटी रकमों के सहारे हजारों करोड़ रुपए जमा करा लेना कितना आसान है, यह सुदीप्तो सेन ने दिखा दिया है. इस देश के गरीब यों ही गरीब नहीं हैं. वे मेहनत कर के पैसा कमाते हैं, मेहनत कर के गंवाते हैं और गरीब के गरीब बने रहते हैं.

मोटे मुनाफे की कल्पना करना ही मूर्खता है पर जिस देश में लोग पहले दिन से चमत्कारों के लालच में पूजापाठ, गंडे, तावीजों, व्रत, उपवासों और मंदिरों व मसजिदों में जाने को कमाई का पहला साधन समझते हैं, वहां लोगों को बेवकूफ बनाना कोई मुश्किल नहीं है. पैसा मेहनत से बनता है, सही बचत से पूंजी बनती है जिस से ज्यादा कमाई हो सकती है. यह गुर सिखाया नहीं जाता, अपनेआप आता है. कितने ही जीव सर्दियों के लिए अनाज समय पर जमा करते हैं ताकि ठंड के दिनों में, खासतौर पर जहां बर्फ पड़ती है, वे आराम से पेट?भर सकें.

इस प्राकृतिक गुण को समाप्त कर कोई एजेंट, भगवान की दुकान का या चिटफंड कंपनी की दुकान का, कहने लगे कि 1 लगाओ 10 पाओगे और उसे सही मान कर करोड़ों जमा हो जाएं तो एक नहीं सैकड़ों सुदीप्तो सेन पैदा हो जाएंगे.

सुदीप्तो सेन ने कोई ऐसा नया काम नहीं किया जो पहले नहीं किया गया. उस ने मोटे ब्याज का जो लालच दिया वह बारबार दिया जा रहा है. अमेरिका में कार्लो पीएट्रो गियोवानी गुगलिएल्मो टेबाल्डो पोंजी नाम के एक इटैलियन मूल के आदमी ने 1,250 डौलर के 90 दिन के डिपौजिट पर 750 डौलर का ब्याज देने की बात की. उस के पास हजारों डौलर जमा होने लगे और नए जमा पैसे का इस्तेमाल वह पहले जमा हुए पैसों पर ब्याज और मूल देने के लिए करता था. यह स्कीम कई साल तक चली और वह सुदीप्तो सेन की तरह अरबपति बन गया. इस पोंजी स्कीम को अमेरिका में ही नहीं दुनियाभर में सैकड़ों बार दोहराया गया है और बेवकूफ हर बार चमत्कार के चक्कर में अपना पैसा गंवाते रहे हैं.

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