राजस्थान के बूंदी शहर में एक एक्टीविस्ट की पहल पर दायर किए गए केस में एक अदालत ने बूंदी के पूर्व डिस्ट्रेक्ट कलेक्टर व टाटा कंपनी के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को शहर की सडक़ें खराब बनाने के अपराध में 3 माह की जेल सुनाई है.
टाटा कंपनी को सडक़ बनाने का ठेका प्राप्त हुआ था पर उन्होंने सडक़ बनाने के दौरान बड़े गड्डे छोड़ दिए, बिजली और टेलिफोन लाइनें खराब कर दीं, खराब सीवर सिस्टम बनाया. मार्च 2018 में महावीर मीना ने मुकदमा दायर किया था पर जून 2018 के अदालत के आदेश के बावजूद टाटा प्रोजैक्ट लिमिटेड न काम समय पर पूरा किया न ढंग से किया.
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ठेकेदारों की आम जनता को परेशान करने की एक आदत बन गई है. वे खिलापिला कर, मेहनत मशक्कत कर के ठेका लेने के बाद जनता को भूल जाते हैं. भूल जाते हैं कि पैसा जनता के हित के लिए जनता की जेब से आ रहा है. उन्हें काम ऐसेतैसे कर के अपने बिल अफसरों से पास कराने की लगी रहती है और काम अच्छा है या खराब इस का कोई निर्णायक नहीं होता.
डरपोक जनता और डरपोक मीडिया इन मामलों में चुप रहते हैं. लोगों को मंदिर मसजिद के बारे में तो हर जरा सी बात पर उक्सा लिया जाता है पर खराब सरकारी काम पर 4 जने जमा नहीं होते. काम के दौरान अक्सर बेतरतीबी से सामान पड़ा रहता है. जो काम 2 दिन में पूरा कर के जनता को काम चलाऊ राहत दी जा सके वहां भी 2 महीने और 2 साल भी सामान के ढेर पड़े रह जाएं तो बड़ी बात नहीं.