यह विडंबना है कि हमारे देश में सीमाओं पर लड़ने वाली सेना टैंकों, राइफलों, लड़ाकू हवाईजहाज और अपने ही रहने के कैंटों, जो देशभर में फैले हैं, में अतिक्रमण की शिकार हैं. सुप्रीम कोर्ट ने हाल में एक फैसले में यह तो कह दिया कि गैरकानूनी रूप से रह रहे बाशिंदों को कैंट वार्डों के चुनावों में वोट देने का हक नहीं है पर उस ने उन्हें हटाने का कोई आदेश नहीं दिया.

सेना के पास लगभग 17 लाख एकड़ जमीन देश के 62 कैंटों में है और करीब 15 लाख एकड़ कैंटों से बाहर है पर इस पर कितनों ने, कब से कब्जा कर रखा है, इस का कोई हिसाब सेना के पास नहीं है. यह ठीक है कि देश में सेना की जमीन पर अतिक्रमण करने वाले दुश्मन तो नहीं हैं पर फिर भी गैरकानूनी काम तो कर रहे हैं और वह भी सेना की नाक के नीचे. जो लोग सैनिकों की दुहाई देते हुए देशभक्ति के पैरोकार बने रहते हैं उन्हें क्या इस भयंकर अपराध का अंदाजा नहीं है?

27 सितंबर, 2016 को दिए गए निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा भी कि अधिकारियों को तुरंत इन अवैध कब्जाइयों को हटाना चाहिए पर ऐसा हो नहीं पाएगा.

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