भारतीय जनता पार्टी के लिए ईरान की फुटबौल टीम का कतर में व्यवहार एक चेतावनी है. ईरान अपने देश में धार्मिक शरीयती कानून लागू करने की ऐसी ही कोशिश कर रहा है. जिस तरह भारत में भगवाई गैंग हिंदू पौराणिक पुरोहिताई समाज बनाना चाहता है. 10-15 साल इसलामी पंडों, खुमैनी-खामेनाई, की जबरदस्ती बरदाश्त करते और सरकारी मोरल पुलिस के अत्याचारों को सहतेसहते ईरानवासी तंग आ गए थे और आखिर एक लडक़ी म्हासा अमीन की पुलिस वालों के हाथों हुई मौत ने सब बदल कर रख दिया.

जनआक्रोश के चलते 2 महीने से ईरान उबल रहा है. तकरीबन 300 लोग मारे जा चुके हैं. उन में 70-80 बच्चे तक शामिल हैं. जेलें ऐक्टरों, लेखकों से भर दी गर्ई हैं, पुलिस सैल बर्बरता दिखा रही है पर फिर भी जनता चुप नहीं बैठ रही.

हाल यह हो गया कि कतर में वर्ल्ड कप फुटबौल में जो ईरानी टीम फुटबाल खेलने गई, वह राष्ट्रपति से मिल कर उन की दुआ ले कर गई पर असल में उस के मन में कुछ और था. पहले ही मैच, जो इंगलैंड से हुआ, में ईरानी टीम ने अपने देश की राष्ट्रीय धुन बजने पर अपना मुंह सी लिया. यह बहुत गंभीर विद्रोह है. खिलाड़ी जानते हैं कि ईरान लौटते ही उन्हें जेल में डाल दिया जाएगा. अगर मैचों के बाद उन्होंने किसी देश में पनाह ले ली तो भी ईरानी पुलिस उन्हें अपने गुप्तचरों के हाथों मरवा सकती है.

खिलाडिय़ों ने यह खतरा क्यों मोल लिया, क्योंकि धर्म से भी ऊपर व्यक्तिगत स्वतंत्रताएं हैं. भारत में धर्म के नाम पर एकएक कर के व्यक्तिगत स्वतंत्रताएं छीनी जा रही हैं. औरतों को घरों में दुबक कर रहने को कहा जा रहा है. बलात्कारियों को जेलों से रिहा ही नहीं किया जा रहा उन्हें संस्कारी कह कर उन का स्वागत भी किया जा रहा है. इस का मतलब साफ है कि अगर आप जय श्रीराम बोलोगे तो आप का हर गुनाह माफ है और नहीं बोलोगे तो आप की हर शराफत देशद्रोह है.

सरकार ने कितने ही लोगों को गिरफतार कर रखा है कि उन के घर से लैफ्टिस्ट लिटरेचर मिला है. कितनों को जेलों में ठूंसा हुआ है कि वे उस भीड़ का हिस्सा थे जो सरकार के आतंकी कानून का विरोध कर रही थी.

सरकार औरतों, दलितों, पिछड़ों के फायदे के लिए न कानून बना रही, न योजनाएं बना रही, वह अपना गुणगान केवल पुरोहितों की दुकानों को बनवाने को गिनवा कर कर रही है जिस का खमियाजा आम औरतों को और ज्यादा आरतियों, और ज्यादा पूजापाठ में लग कर उठाना पड़ रहा है. अगर वे किसी माता की चौकी, देवी के जागरण में न जाएं तो भगवा गैंग उन्हें जाति से बाहर कर देते हैं.

औरतों को घूंघट, बिंदी, सिंदूर, मंगलसूत्र जबरन पहनाए जा रहे हैं. यह ईरान के हिजाब की तरह ही है. वहां मोरल पुलिस है. यहां भगवा गमछे डाले लठैतों के गैंग हैं. ईरानी पुलिस को सरकार पैसा देती है, भगवा गैंग चंदा जमा करते हैं. सडक़ों पर बैरियर लगा कर, गाडिय़ों को रोक कर 500-1,000 रुपए झटके जाते हैं, दुकानदारों से तो लाखलाख रुपए तक वसूल कर लिए जाते हैं कि धार्मिक आयोजन होना है, मंदिर सजाना है.

जैसे ईरान आज विद्रोह की कगार पर है, जैसे उस के फुटबौल खिलाड़ी पूरी दुनिया के सामने विद्रोह पर उतर आए वैसा भविष्य में भारत में भी हो, तो बड़ी बात नहीं. यहां सरकारी अंकुश साफ दिख नहीं रहा, छिपा है, यहां ब्रेनवाश से काम लिया जा रहा है. लेकिन, कब जनता का व्रिदोह फूट जाए, पता नहीं.

 

भारतीय जनता पार्टी के लिए ईरान की फुटबौल टीम का कतर में व्यवहार एक चेतावनी है. ईरान अपने देश में धार्मिक शरीयती कानून लागू करने की ऐसी ही कोशिश कर रहा है. जिस तरह भारत में भगवाई गैंग हिंदू पौराणिक पुरोहिताई समाज बनाना चाहता है. 10-15 साल इसलामी पंडों, खुमैनी-खामेनाई, की जबरदस्ती बरदाश्त करते और सरकारी मोरल पुलिस के अत्याचारों को सहतेसहते ईरानवासी तंग आ गए थे और आखिर एक लडक़ी म्हासा अमीन की पुलिस वालों के हाथों हुई मौत ने सब बदल कर रख दिया.

जनआक्रोश के चलते 2 महीने से ईरान उबल रहा है. तकरीबन 300 लोग मारे जा चुके हैं. उन में 70-80 बच्चे तक शामिल हैं. जेलें ऐक्टरों, लेखकों से भर दी गर्ई हैं, पुलिस सैल बर्बरता दिखा रही है पर फिर भी जनता चुप नहीं बैठ रही.

हाल यह हो गया कि कतर में वर्ल्ड कप फुटबौल में जो ईरानी टीम फुटबाल खेलने गई, वह राष्ट्रपति से मिल कर उन की दुआ ले कर गई पर असल में उस के मन में कुछ और था. पहले ही मैच, जो इंगलैंड से हुआ, में ईरानी टीम ने अपने देश की राष्ट्रीय धुन बजने पर अपना मुंह सी लिया. यह बहुत गंभीर विद्रोह है. खिलाड़ी जानते हैं कि ईरान लौटते ही उन्हें जेल में डाल दिया जाएगा. अगर मैचों के बाद उन्होंने किसी देश में पनाह ले ली तो भी ईरानी पुलिस उन्हें अपने गुप्तचरों के हाथों मरवा सकती है.

खिलाडिय़ों ने यह खतरा क्यों मोल लिया, क्योंकि धर्म से भी ऊपर व्यक्तिगत स्वतंत्रताएं हैं. भारत में धर्म के नाम पर एकएक कर के व्यक्तिगत स्वतंत्रताएं छीनी जा रही हैं. औरतों को घरों में दुबक कर रहने को कहा जा रहा है. बलात्कारियों को जेलों से रिहा ही नहीं किया जा रहा उन्हें संस्कारी कह कर उन का स्वागत भी किया जा रहा है. इस का मतलब साफ है कि अगर आप जय श्रीराम बोलोगे तो आप का हर गुनाह माफ है और नहीं बोलोगे तो आप की हर शराफत देशद्रोह है.

सरकार ने कितने ही लोगों को गिरफतार कर रखा है कि उन के घर से लैफ्टिस्ट लिटरेचर मिला है. कितनों को जेलों में ठूंसा हुआ है कि वे उस भीड़ का हिस्सा थे जो सरकार के आतंकी कानून का विरोध कर रही थी.

सरकार औरतों, दलितों, पिछड़ों के फायदे के लिए न कानून बना रही, न योजनाएं बना रही, वह अपना गुणगान केवल पुरोहितों की दुकानों को बनवाने को गिनवा कर कर रही है जिस का खमियाजा आम औरतों को और ज्यादा आरतियों, और ज्यादा पूजापाठ में लग कर उठाना पड़ रहा है. अगर वे किसी माता की चौकी, देवी के जागरण में न जाएं तो भगवा गैंग उन्हें जाति से बाहर कर देते हैं.

औरतों को घूंघट, बिंदी, सिंदूर, मंगलसूत्र जबरन पहनाए जा रहे हैं. यह ईरान के हिजाब की तरह ही है. वहां मोरल पुलिस है. यहां भगवा गमछे डाले लठैतों के गैंग हैं. ईरानी पुलिस को सरकार पैसा देती है, भगवा गैंग चंदा जमा करते हैं. सडक़ों पर बैरियर लगा कर, गाडिय़ों को रोक कर 500-1,000 रुपए झटके जाते हैं, दुकानदारों से तो लाखलाख रुपए तक वसूल कर लिए जाते हैं कि धार्मिक आयोजन होना है, मंदिर सजाना है.

जैसे ईरान आज विद्रोह की कगार पर है, जैसे उस के फुटबौल खिलाड़ी पूरी दुनिया के सामने विद्रोह पर उतर आए वैसा भविष्य में भारत में भी हो, तो बड़ी बात नहीं. यहां सरकारी अंकुश साफ दिख नहीं रहा, छिपा है, यहां ब्रेनवाश से काम लिया जा रहा है. लेकिन, कब जनता का व्रिदोह फूट जाए, पता नहीं.

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