धर्म की घुट्टी इतनी मजबूत होती है कि हत्या की धमकी भी भक्तों को डराती नहीं है. पिछले साल केरल में एक हिंदू युवक ने इसलाम धर्म अपना लिया था जिस पर नाराज हो कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थानीय नेताओं ने उस युवक के बहनोई के साथ उस की हत्या कर दी थी. इस से धर्म परिवर्तन करने वाले परिवार में खौफ तो पैदा हुआ पर मुसलमानों ने उस परिवार को संरक्षण दिया और अब उस परिवार के कई सदस्य मुसलिम बन चुके हैं.
धर्म परिवर्तन सदियों से इसी तरह चला आ रहा है. हिंदुओं में धर्म परिवर्तन नहीं होता पर फिर भी उन की संख्या बहुत अधिक है क्योंकि भारत में जन्मदर अधिक रही है. जाति के कहर के बावजूद नीची जातियों के हिंदू अपने कट्टरपन के कारण हिंदू बने रहे पर जो बहुत ही नाराज हो गए या जिन्हें नीची जातियों से भी किसी कारणवश बाहर कर दिया गया वे मुसलिम या ईसाई बनते चले गए. आमतौर पर सदियों से उन लोगों के धर्म परिवर्तन से हिंदुओं को फर्क नहीं पड़ा क्योंकि तब वोटतंत्र नहीं था.
अब चूंकि सत्ता वोटों के आधार पर मिलती है और वोट धर्म व जाति के आधार पर डलते हैं, धर्म परिवर्तन का अर्थ सत्ता में दखल देना हो गया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पुरातन वर्णव्यवस्था में विश्वास रखता है जिस में कुछ जातियां येनकेन सत्ता में बनी रहती थीं. आज यही हो रहा है और इसीलिए धर्म परिवर्तन करने वालों को हिंसा का डर दिखाया जा रहा है. ऐसा केरल में ही नहीं, सारे देश में हो रहा है.
यह आश्चर्य की बात नहीं है कि हिंसा के बावजूद जिन्हें धर्म परिवर्तन करना होता है वे डरते नहीं हैं. ऐसा सदियों से हो रहा है. सुन्नी मुसलिम बहुमत में होने के बावजूद सभी शिया मुसलिमों को सुन्नी बनने पर मजबूर नहीं कर सके और जहां शियाओं का राज है वहां सुन्नियों ने अपना संप्रदाय नहीं बदला.
इसी तरह इसराईल से पूरे यूरोप तक में फैले यहूदियों ने सदियों ईसाई राजाओं के जुल्म तो सहे पर धर्म परिवर्तन यदाकदा ही किया.
हिंदुओं में आपसी जातियों में जाति परिवर्तन भी न के बराबर हुआ. अछूतों ने पैसा बना लिया और इज्जत भी पा ली लेकिन उन्होंने अपनी जाति की पहचान बनाए रखी है.
यही केरल में हुआ होगा. जब किसी बात पर नाराज हो कर कुछ हिंदू धर्म परिवर्तन कर मुसलिम बन गए तो वे अब न लौटने को तैयार हैं और न हिंसा के डर से अपने नजदीकियों का धर्म परिवर्तन कराने से हिचक रहे हैं.
यह दुख की बात है कि जब प्राथमिक उद्देश्य आर्थिक विकास और सही सुखी जीवन का होना चाहिए, पूरा देश धार्मिक विवादों में डूबा हुआ है और धर्म के नाम पर नफरत, हिंसा, कानूनों, नियमों के जरिए इन्हें बढ़ावा दिया जा रहा है.