लोकतंत्र की हत्या करने के लिए सैनिक तानाशाही की जरूरत नहीं है, सिर्फ लोकतांत्रिक संस्थाओं को धीरेधीरे जहर दे कर मार दो, लोकतंत्र अपनेआप मर जाएगा. पौराणिक युग का राज स्थापित करने के चक्कर में देश में इस समय चारों तरफ से उन संस्थाओं पर हमले हो रहे हैं जो लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए जरूरी हैं. संस्थाओं को मारने के लिए बाहरी हमले से ज्यादा अंदरूनी घुसपैठ काफी होती

है और यह अब संसद, विधानसभाओं, न्यायपालिका, सेना, नौकरशाही, मंत्रिमंडलों, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, परिवहन सब जगह साफ दिख रहा है.

कर्नाटक, मध्य प्रदेश, कुछ छोटे राज्यों के बाद अब राजस्थान में कांग्रेस में विद्रोह करा कर भारतीय जनता पार्टी का खुल्लमखुल्ला सरकार गिराने का प्रयास और उस पर भी देश व संविधान की दुहाई देना दोगलेपन की निशानी तो है ही, आने वाले दिनों में पौराणिक तानाशाही की पक्की पकड़ का संकेत भी है.

हमारे पुराणों में धार्मिक कथाएं हैं जो आमतौर पर राजाओं की हैं जो ऋषियों के कहे अनुसार इधर से उधर दौड़ते नजर आते हैं या राजाओं के मूर्खतापूर्ण कामों के बखान हैं जिन्हें महान बताया गया है. आज देशभर में यही हो रहा है और इन का खमियाजा गरीब जनता भुगत रही है.

कोरोना से लड़ाई या चीन से झड़प की तैयारी में लगने की जगह केंद्र की भाजपा सरकार को पहले मध्य प्रदेश की सरकार को गिराने की चिंता थी, अब राजस्थान की है. विभीषण सचिन पायलट के सहारे भाजपा सरकार रामायण युग का युद्ध जीतने का प्रयास कर रही है. कोरोना के मरीज देशभर में बुरी तरह बढ़ रहे हैं पर राजस्थान के विद्रोही विधायकों को बचाने की पूरी कोशिश में केंद्र सरकार लगी है जिस में मुख्यतया सिर्फ 2 ही जने फैसला लेने वाले हैं, उन से चाहे कोरोना का काम करा लो, चाहे चीन का या फिर राजस्थान का.

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