आम आदमी पार्टी की नई सरकार ने पंजाब में अपने चुनावी वादे के मुताबिक 300 यूनिट बिजली बिना चार्ज लिए देने का फैसला लागू कर दिया है. इस से पंजाब की 80 फीसदी जनता को बिजली व पंखा चलाने के लिए बिल नहीं देना पड़ेगा. फिलहाल 73 लाख घरों में से 61 लाख इस फैसले के दायरे में आएंगे और पंजाब सरकार के 1.68 लाख करोड़ रुपए के बजट में से इस पर 500 करोड़ रुपए खर्च होंगे.

जनता के सोशल मीडिया का एक बड़ा वाचाल व तिलकधारीकलेवाधारी वर्ग इस सहायता के बहुत खिलाफ है. वह बारबार कह रहा है कि यह लोगों को निकम्मा बनाने की योजना है जिस की मार टैक्स देने वाली जनता पर पड़ेगी.

आपत्ति करने वाले यह नहीं बताते कि आखिर क्यों आज 80 फीसदी जनता सिर्फ 300 यूनिट ही बिजली इस्तेमाल कर पाती है वह भी पंजाब जैसे दूसरों से ज्यादा संपन्न राज्य में. इन टैक्स देने वालों ने वह समाज क्यों नहीं बनाया जो 300 यूनिट से ज्यादा बिजली खपत करने वाले होते. 300 यूनिट बिजली की खपत में 2 पंखे, 2 बत्तियां, एक छोटा फ्रिज व टीवी चल पाते हैं. पंजाब में भी इतनी गरीबी होने की वजह आखिर क्या है, कौन लोग इस के जिम्मेदार हैं?

आपत्ति करने वाले यह भी तो बताएं कि राज्य में मंदिर, मसजिद, गुरुद्वारों पर कितने हजार करोड़ रुपए हर साल खर्च हो रहे हैं. मंदिरों और गुरुद्वारों की चमकदमक तो आजकल हर रोज बढ़ रही है. नएनए भव्य मंदिर बन रहे हैं. हर सौ गज पर एक प्राचीन मंदिर रातोंरात उग आता है. इस का पैसा कोई एक तो नहीं देता, जनता से कुछ चंदा लिया जाता है तो कुछ विधायक, पार्षद, सांसद की निधि में से लिया जाता है जिन्हें 300 नहीं, 3,000 यूनिट बिजली मुफ्त मिलती है. कोई पूछने वाला नहीं.

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