अपनी ही सरकार पर अंकुश लगाने वाले अपने ही कानूनों के सहारे अपना प्रभुत्व दूसरों पर थोपने की कला कूटनीति में कोई नई नहीं है. चीन ने अभी 62 धाराओं वाले 7 चैप्टरों के एक कानून को अपनी संसद से अनुमोदित कराया है जिस में सरकार से कहा गया है कि पीपल्स रिपब्लिक औफ चाइना अपनी सार्वभौमिकता और सीमाओं की पूरी रक्षा करेगी और सरकार को इस के लिए किसी भी तरह का कदम उठाने का अधिकार है.
यह कानून चीन की लंबी सीमाओं, जिन में भारत के लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक की सीमा भी शामिल है, पर लागू होता है. सीमा में हो रही घुसपैठ को ले कर जो बातचीत सैनिक स्तर पर हो रही है उस में चीनी सैनिक अधिकारी अब नए कानून का हवाला दे कर मुंह बंद करने की कोशिश करेंगे. अपना कानून बना कर दूसरे देश के मामले या सीमा में दखल देना सभी देश करते रहते हैं.
भारत के नागरिकता संशोधन कानून में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बंगलादेश था. इस में नाम ले कर कहा गया है कि वहां सताए गए अल्पसंख्यक हिंदुओं को भारत नागरिकता तुरंत प्रदान कर सकता है. इस का अर्थ यह है कि भारत इन देशों में अल्पसंख्यकों से भेदभाव किए जाने का कानून के जरिए आरोप लगा रहा है. नेपाल ने अपने संविधान में संशोधन कर के कुछ भारतीय हिस्सा नेपाल का माना है. भारत सरकार इस से बहुत नाराज है.
यह कूटनीति का हिस्सा है कि पहले एक देश दूसरे देशों का फर्क डालने वाला कानून या नीति घोषित कर दे, फिर उस का सहारा ले कर दूसरे से झगड़ा करे. एक अमेरिकी राष्ट्रपति ने नीति बनाई कि अमेरिका संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा भौगोलिक स्तर पर दक्षिण अमेरिका में भी कहीं भी विदेशी फौजों के दखल को अमेरिका पर आक्रमण समझेगा. मानो सिद्धांत के नाम से जाने गए इस कानून का हवाला दे कर अमेरिका रूस से क्यूबा में रूस द्वारा आणविक प्रक्षेपास्त्र लगाने को ले कर किसी भी तरह का युद्ध करने को जौन कैनेडी के समय तैयार हो गया.
अपने कानून का सहारा ले कर दूसरे देश की सीमा या उस की सरकार को धमकाना ताकतवर देशों का एक पुराना हथियार बन गया है. दुनियाभर में बीसियों बड़े युद्ध इसी को ले कर हुए हैं.
कूटनीति में ही नहीं, पारिवारिक मामलों में भी इस तरह की दखलंदाजी को थोपा जाता है. मल्टीस्टोरी भवनों में रहने वाले अकसर अपनी बिल्डिंग में किसी और धर्म, जाति, भाषा के रंग के लोगों के रहने आने पर आपत्ति करने लगते हैं कि उस से उन की कौमन सर्विसेज की शुद्धता खराब होगी, निकट में उन को उन के साथ चलना होगा, वे अपने खाने की गंध सारी बिल्डिंग में फैलाएंगे.
जहां व्हाट्सऐप, फेसबुक व गूगल की टैक्नोलौजी लोगों को एकदूसरे का संपर्क करने का पूरा अवसर दे रही है वहां चीनी कानून की तरह की सोच दुनिया और समाज को विभाजित कर रही है. यह अफ़सोस की बात है कि जब कोविड के ज़माने में देशों को अपनी रियायों के विभाजन को भूल कर सब साथ रहने की कला सीखनी चाहिए, हम पुराने सिद्धांतों से चिपके हुए हैं. यही नहीं, हर देश इन विभाजनों को पूरी तरह का समर्थन दे रहा है क्योंकि इन के बहाने सरकार अपनी ही जनता को बहका कर बांट सकती है या निरर्थक दूसरे के प्रति दुश्मनी का रवैया अपनाने का बहाना ढूंढ सकती है.
टैक्नोलौजी दुनिया को एक कर रही है. लेकिन इसी को अपनी जनता पर थोप कर सरकारें कानून बनाबना कर उसे अलगथलग कर रही हैं. चीनी कानून बेहद खतरनाक है मगर हम (भारत) कौन सा कम हैं जो इस तरह के कानून बनाने में चीन पर उंगली उठा सकें.