Historical Distortion : भारत के कट्टरपंथी कई दशकों से इतिहास को दोबारा से लिख रहे हैं. वे यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि किस्सेकहानियां असल में इतिहास हैं. रामायण, महाभारत, पुराणों, नाटकों, चाटुकारिता वाले काव्यग्रंथों को असली इतिहास कह कर देश को बहकाया जा रहा है कि हम कितने महान थे.

असलियत यह है कि हमारे यहां कभी भी इतिहास लिखने की परंपरा रही ही नहीं है. कहानियों को पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाया जाता रहा है और हर पीढ़ी उस में अपने अनुसार जोड़घटा देती रही है.

अंगरेजों के आने के बाद बौद्धग्रंथों में चीन, तिब्बत, अफगानिस्तान, ईरान और दूरदूर तक के देशों में कुछ पुराने ग्रंथ मिले जिन्हें जमा कर के इतिहास लिखा गया पर वह आज के शासकों को पसंद नहीं आया क्योंकि वह उन के एजेंडे के अनुसार नहीं है. सो, पुराने इतिहासकारों की जगह नए पौराणिकवादी इतिहासकारों को पैसा व पद दिए गए कि वे अनापशनाप इतिहास की शराब लोगों को पिला दें.

यह काम करने की मोनोपौली सिर्फ हमारे पास नहीं है. अब बंगलादेश में स्कूली टैक्स्ट बुक्स को बदला जा रहा है. 1971 में भारत की सेना के बल पर पश्चिमी पाकिस्तान के सैनिकों की तानाशाही से मुक्ति की कहानी बदली जा रही है. शेख मुजीबुर रहमान की मूर्तियां पूरे बंगलादेश से हटा दी गई हैं. अब उन्हें महज एक नेता के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है. जबकि, 1971 के मुक्ति संघर्ष का नेतृत्व, नई किताबों के अनुसार, जिया उर रहमान को दिया जा रहा है. शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद बंगलादेश का शासन जिया उर रहमान ने संभाला था. उन की हत्या के बाद खालिदा जिया ने वर्ष 1991 में प्रधानमंत्री के तौर पर शासन संभाला था. इतिहास से खिलवाड़ असल में जनता को गुमराह कर के अपना उल्लू सीधा करना होता है. यह कितने ही देशों में आजमाया गया है.

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