देश में जब महंगाई, बेरोजगारी, ठप होते व्यापारों, किसानों की दुर्दशा जैसे मामले सामने खड़े हों और यूरोप में यूक्रेन को ले कर रूस का पैदा किया भयंकर युद्ध का खतरा मंडरा रहा हो, भारतीयों को ‘हिंदूमुसलिम हिंदूमुसलिम’ का पाठ पढ़ाया जा रहा है. उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों को भारतीय जनता पार्टी किसी तरह हिंदूमुसलिम समस्या की ओर ले जाने में जुटी रही.

जब हत्या हुई, उत्तर प्रदेश के 3 चरणों के वोट डल चुके थे और चाहे आदित्यनाथ, अमित शाह और स्वयं नरेंद्र मोदी ने बुल्डोजरों, जिन्ना, साइकिलों पर आंतकवादियों के बमों, टोपियों, बुर्कों की बारबार कितनी ही बात की हो लेकिन प्रदेश की जनता को अपनी रोजीरोटी की ही पड़ी रही और राज्य के मतदाताओं का मूड भाजपाई सरकार से उखड़ा रहा. चुनाव के दौरान हिंदू नेताओं की बहुत बड़ी भीड़ राज्य की गलीगली में मौजूद रही. हर मंदिर का पुजारी, मंदिर के सामने फूल बेचने वाला, मंदिर के नाम पर जमीन हथिया कर वहां दुकान खुलवाने वाला, शादीब्याह में पूजापाठ कराने वाला, कुंडलियां तैयार करने वाला, ज्योतिष, वास्तु, आयुर्वेद के नाम पर धंधा करने वाला आदि हर जना भारतीय जनता पार्टी के हिंदूमुसलिम एजेंडे का एजेंट है.

यही लोग हर समय ‘हिंदू एक हैं’ का नारा लगाते हैं, ‘जयश्रीराम’ का नारा जबरन लगवाते हैं. इन लोगों का आज असली मकसद मेहनतकश लोगों को लूटना है. आज अगर व्यापार ठप हो रहे हैं तो उन पिछड़ी जातियों के व्यापारियों के जिन्होंने पिछले 20-25 वर्षों में थोड़ीबहुत पढ़ाई करने के बाद अपना जुगाड़ बैठा कर छोटामोटा धंधा शुरू किया था. आज अगर कुछ हजार नौकरियों के लिए सवा करोड़ एप्लीकेशनें आती हैं तो वे पिछड़ों की होती हैं जिन्होंने सरकारी स्कूलों का फायदा उठा कर थोड़ीबहुत पढ़ाई कर के सरकारी नौकरी के सपने देखने शुरू किए. पर हकीकत में भारतीय जनता पार्टी और उस के जैसे धर्म का व्यापार करने वाले कह रहे हैं, ‘हिंदुओ एक हो जाओ.’ यह एकता का नारा उन पिछड़ों को दिया जा रहा है जो कम से कम लाठी चलाना तो जानते हैं. एक हो कर वे क्या करें. किसी मुसलमान का सिर फोड़ें. क्यों, क्या मुसलमान किसी का हक मार रहे हैं?

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