धर्म की खातिर किस तरह झूठ बोला जा सकता है इस का एक चौंकाने वाला उदाहरण पेश किया विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री डा. हर्षवर्धन ने. ये जनाब महान वैज्ञानिक व भौतिकी विद्वान स्टीफन हाकिंग को श्रद्धांजलि देते समय कहने लगे कि इन वैज्ञानिक ने भी माना था कि वेदों का ज्ञान उन के और अल्बर्ट आइंस्टीइन के ज्ञान से कहीं अधिक है.

जब मंत्री से पूछा गया कि इस का संदर्भ क्या है तो उन्होंने बड़ी ही ढिठाई से उत्तर दिया कि ढूंढ़ लो खुद. ऐसा ही हमारे पंडेपुजारी रोज करते हैं. अब औरतों के टीका लगाने को ही ले लीजिए. यह धार्मिक रिवाज बेसिरपैर का है पर इस की वैज्ञानिकता सिद्ध करने के लिए कह डाला गया है कि जहां यह टीका लगता है वहां नसों का केंद्र है. इस से ऊर्जा नष्ट नहीं होती है. उस से खून का दौरा मुंह की पेशियों तक चालू रहता है. यह किस तरह के शोध से पता चला, यह बताने की जरूरत तो है ही नहीं.

नदियों के ऊपर से गुजरते हुए सैकड़ों लोग बसों, गाडि़यों और खिड़कियां खुली हों तो ट्रेनों से पानी में पैसे फेंकते हैं. वैज्ञानिकता सिद्ध करने के लिए मनगढं़त कह दिया गया है कि  इस से कौपर को पानी में डाला जाता है ताकि पानी के विभिन्न गुणों का संतुलन बना रहे.

मंदिर जाने के लिए भी वैज्ञानिकता की खोज कर ली गई, जो शायद नासा के वैज्ञानिकों को भी शर्मसार कर दे. कह डाला गया है कि जहां मंदिर में मूर्ति स्थापित होती है, वहां गोपुरम होता है जो पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति को एकत्रित कर लेता है और मूर्ति के माध्यम से मंदिर में जाने वालों को ऊर्जा देता है.

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