दिल्ली में एक बैंक्वैट हाल खोलने की इजाजत देने के लिए 30 लाख रुपए की घूस नगर निगम अधिकारियों को देने के आरोप में 2 व्यवसायियों और निगम के कुछ अफसरों को पकड़ा गया है. छापों में नगर निगम के अफसरों के घरों की तलाशी में बहुत नकदी मिली है जो वे अपने सामान्य वेतन से बचा ही नहीं सकते. दिल्ली में अब शादीब्याह करने के लिए शहर के बीच पार्क नहीं बचे हैं. अब फिल्म ‘बैंड बाजा बरात’ की तरह गली में तंबू लगा कर शादी करना भी कठिन हो गया है क्योंकि दूसरे नागरिकों को बहुत कठिनाइयां होती हैं. यह दिक्कत अब दूसरे बड़े शहरों में ही नहीं छोटे कसबों और यहां तक कि गांवों में भी होने लगी है. अब गांवों में भी बाकायदा बारातघर बनाए जाने लगे हैं.

नगर निगम के अफसरों को हर जगह इस परिवर्तन से खूब कमाई हो रही है. उन की तरकीब होती है कि किसी भी बैंक्वैट हाल को बनाने के लिए अनापशनाप नियम बना दो. आग बुझाने वाले विभाग, जमीन के उपयोग के विभाग, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, खाद्य विभाग, प्रदूषण विभागों को लपेट कर एक बैंक्वैट हाल चलाने के लिए बीसियों कागजों का इंतजाम करने के नियम बना डालते हैं. फिर वे हर अनुमति देने से पहले दूसरों की अनुमति का प्रमाण मांगते हैं. नतीजा यह है कि बैंक्वैट हाल को कानूनन कोई चला ही नहीं सकता.

अब चूंकि यह काम पेचीदा हो गया है, मुनाफा भी बढ़ गया है, इसलिए जो बैंक्वैट हाल मालिक हेरफेर, राजनीतिक पहुंच और अफसरों को सही चढ़ावा चढ़ा दे वही इन्हें चला सकता है और मनमाने दाम वसूल सकता है. शादी करने वालों को अब मन मार कर इस खेल में शामिल होना पड़ता है. ठेके कर सारे नियमों को ताक पर रखने के पैसे दिए जाते हैं. शायद इसी पैसे के लेनदेन पर हुए किसी विवाद के कारण व्यवसायी और अफसरों को पकड़ा गया है. अगर सभी अवैध बैंक्वैट हालों के मालिकों और उन्हें अवैध इजाजत देने वालों को पकड़ा जाए तो एक और तिहाड़ जेल किसी के बैंक्वैट हाल में ही बनानी पड़ेगी.

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