जो ज्यादा बोलते हैं, तानाशाही फैसले लेते हैं, अपने देश की जनता को निरर्थक विवादों में झोंक देते हैं उन का या उन के उद्देश्य का अंत हिटलर, मुसोलिनी और ओसामा बिन लादेन जैसा होता है. यह सोचना कि प्रारंभिक जीत सदा की हो जाएगी कई बार बड़ी गलतफहमी हो जाती है. बहुत सी फिल्में, बहुत से उपन्यास यही बात बारबार दोहराते हैं कि प्रारंभ में खलनायक की जीत अंत में उस के लिए एक दर्दनाक अंत साबित होती है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का रूस को महान शक्ति बना कर सोवियत संघ की तरह विशाल करने की कोशिश वर्षों की तमन्ना है और उन्होंने पहले रूस में अपने को अपनी गुप्तचर पृष्ठभूमि के सहारे मजबूत किया, जनता का पैसा कुछ अमीरों को दिया जिन्होंने दुनियाभर में आलीशान महल, नौकाएं, होटल खरीदे, अपनी पार्टी को बेहद कमजोर किया और फिर अपनी ताकत दिखाने के लिए पहले 2014 में यूक्रेन का एक हिस्सा क्रीमिया हथिया लिया और फिर 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन पर हमला कर दिया कि 3 दिनों में उस पर कब्जा हो जाएगा.
आज 8 माह बाद रूसी सैनिक जीती जमीन, सैनिक सामग्री छोड़ कर वापस लौटने लगे हैं क्योंकि एक कौमेडियन पप्पू टाइप राष्ट्रपति ब्लादिमिर जेलेंस्की ने देश का नेतृत्व इस तरह संभाला कि विशाल रूस की दुनियाभर में मिट्टी पलीत होने लगी.
कारण यही रहा है कि अपनी ताकत बढ़ाने और अपने बड़बोलेपन के अलावा पुतिन ने पिछले 22 सालों में रूस की जनता का कोर्ई भला नहीं किया. रूसी जनता वादों और झूठे दावों से इतनी प्रभावित है कि वह उसे पूजती है पर वह पूजा किसी भी तरह जनता के काम नहीं आती. सोवियत संघ का आर्थिक विकास स्टालिन नहीं कर पाया, माओत्से तुंग चीन का नहीं कर पाया, हिटलर ने जरमनी समेत पूरे यूरोप को अपनी हिटलरी की पूजा करवाने के चक्कर में बरबाद कर दिया और अब व्लादिमीर पुतिन ने पूरे रूस को पूरी दुनिया का दुश्मन बना दिया है.