देश में वोटों की खातिर युद्ध का जो हौआ खड़ा किया जा रहा है वह राजनीतिबाजों के लिए चाहे अच्छा हो, देश की युवा पीढ़ी के लिए खतरनाक है. अमेरिका ने न्यूयौर्क के वर्ल्ड ट्रेड सैंटर पर आतंकवादी हमले के बाद देश भर में इतना शोर नहीं मचाया था जितना हमारे यहां उड़ी पर हमले और जवाबी सर्जिकल स्ट्राइक को ले कर मचाया जा रहा है. इस हौए को खड़ा कर बेकारी, शिक्षा में बरबादी, बलात्कार, औरतों के हकों, तार्किक सोच आदि की बातों को बारूद से उड़ाने की कोशिश की जा रही है मानो ये समस्याएं हमारी नसों की नहीं बाहर कहीं सीमा पार से आ रही हैं.

देश की रक्षा जरूरी है पर देश क्या इतना कमजोर है कि 4 आतंकवादियों की शर्मनाक कार्यवाही के बाद पगला जाए और खून का बदला खून से की मांग करने लगे. उड़ी पर विपक्ष ने जो शोर मचाया था वह नरेंद्र मोदी के एक और खोखले चुनाव की पोल खोलने के लिए था. इसे पाकिस्तान से युद्ध के लिए उकसाना नहीं कह सकते. देश की रक्षा के लिए देश की मजबूती जरूरी होती है. लड़ाइयां तो अफ्रीका में भी बहुत हो रही हैं, जहां की जनता भुखमरी की शिकार है, लड़ाइयां पश्चिम एशिया में हो रही हैं जिन के कारण बच्चे, युवा, बूढ़े यहां तक कि अपाहिज भी अपना पुश्तैनी घर छोड़ने को मजबूर हैं और सैकड़ों मील चल कर यूरोप की विधर्मी जमीन पर बसने को तैयार हैं. उन्हें अपने देश की नहीं अपने बच्चों के भविष्य की चिंता है. उन के अपने देश एक सुखद और सुरक्षित भविष्य की गारंटी नहीं दे रहे.

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