औरतें अकसर सफर में अपने आसपास बैठी दूसरी औरतों से बातचीत शुरू कर देती हैं और यात्रा के कई घंटों में सैकड़ों तरह की जानकारी का लेनदेन हो जाता है. हालांकि इस तरह की बातचीत में कई बार लुट जाने का डर भी रहता है पर यह अच्छा ही है और पुरुषों को भी सलाह दी जाती है कि वे नितांत अजनबियों से बातचीत करने में कतराए नहीं. अमेरिकी लेखिका कियो स्टार्क ने ‘ह्वेन स्ट्रैंजर्स मीट’ में यह वकालत की है कि अमेरिकी, जो आमतौर पर अनजानों से बात नहीं करते हैं, गलत करते हैं. लेखिका का कहना है कि दोस्तों, सहकर्मियों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों से बात करते हुए हमारे बहुत से पूर्वाग्रह रहते हैं और इसीलिए हम सहज हो कर बात नहीं करते पर थोड़े समय के लिए मिलने वाले अजनबियों से कुछ भी बात कर लेने में कोई जोखिम नहीं रहता है.

कियो स्टार्क का यह भी कहना है कि अजनबियों से बात कर के आप उन के धर्म, क्षेत्र, भाषा, जाति, वर्ग, नागरिकता के बारे में अपने बहुत से पूर्वाग्रहों और डरों को भी दूर कर सकते हैं. समाज के लिए यह अच्छा है कि लोग उन से बात करें जिन के बारे में उन्हें कोई डर लगता है. सहज वातावरण में निरुद्देश्य बात से बहुत से डर दूर हो सकते हैं. आदमियों में यह प्रवृत्ति रहती है कि वे घंटों रेल या हवाई यात्रा के दौरान पास बैठे व्यक्ति से बात न कर के कुछ पढ़ने या सोने का अभिनय करते रहते हैं. एकदूसरे को समझने और एकदूसरे की स्थिति के बारे में जानने के लिए अनायास मिलने वाले लोग बहुत लाभदायक होते हैं, क्योंकि वे अपना असली परिचय दिए बिना अपने बारे में बहुत कुछ बता ही नहीं देते, अपने विचार भी खुल कर कह सकते हैं. आजकल पूरी दुनिया में लोग पड़ोसियों तक को शक की निगाहों से देखने लगे हैं और ज्यादातर इधरउधर के आदमियों से बातचीत को अपनी प्राइवेसी में खलल मान लेते हैं.

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