आमतौर पर विकसित देशों में लड़कियों को अपनी इच्छानुसार कपड़े पहनने या न भी पहनने की इजाजत है पर फिर भी छोटे कपड़ों पर विवाद खड़ा हो जाता है. जापान एअरलाइंस ने अपनी एअरहोस्टेसों के लिए जो नई स्कर्ट डिजाइन कराई है वह घुटनों से काफी ऊपर है. इस पर एअरहोस्टेसों की यूनियन ने आपत्ति जताई है.
लड़कियों के कपड़ों पर तरहतरह की नीतियां बनाना और लड़कों को खुला छोड़ना असल में गलत है. जिन देशों में लड़कियों को ऊपर से नीचे तक ढका रखा जाता है वहां वे सुरक्षित हैं, यह गारंटी कोई नहीं ले सकता. अरब देशों में, पाकिस्तान में या अफगानिस्तान में, क्या औरतें सुरक्षित हैं? वहां तो बलात्कार होने पर सजा औरत को दी जाती है, इसलिए औरतें इस जहर को पी जाती हैं.
अमेरिका और यूरोप में बलात्कार उतने ही होते हैं जितने भारत जैसे देश में, जहां औरतें उन के मुकाबले ज्यादा ढकी रहती हैं. औरतों से छेड़खानी किए जाने की घटनाएं सभी जगह तकरीबन बराबर ही होती हैं. जिन देशों में समाज व्यवस्था, कानून, पुलिसिंग सब ठीक हैं वहां दूसरे अपराधों की तरह औरतों, चाहे वे जैसे कपड़े पहनें, के प्रति भी कम अपराध होते हैं.
अगर एक एअरलाइंस अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए स्टंट करती है तो यह उस का हक है. यह स्टंट भी तभी तक चलेगा जब तक दूसरी एअरलाइंस इसे नहीं अपनातीं. अगर सभी की एअरहोस्टेसें मिनी स्कर्ट पहनें तो शायद कोई आंख उठा कर भी न देखे. दरअसल, लड़कियों को नौकरी देने से पहले ही बता दिया जाए कि उन्हें मिनी स्कर्ट पहननी होगी या बुरका पहनना होगा तो फिर उन की मरजी. नौकरी पाने के बाद चूंचूं करना गलत है.

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