वे घर की छत पर पी रहे थे शराब. पङोसी ने रोका तो फिर क्या हुआ उस के साथ, जान कर रौंगटे खङे हो जाएंगे…

देश में लागू लौकडाउन के बीच दिल्ली के पटेल नगर के प्रेम नगर इलाके में 6 दोस्तों को शराब की लत ले डूबी.

कई दिनों से शराब न मिलने पर इन दोस्तों ने योजना बनाई और शराब पीने एक घर की छत पर बैठ गए. शराब के साथ ये सिगरेट का कश भी ले रहे थे। नशा परवान चढ़ा तो जबान भी फिसलने लगी. शोर होते देख पास में रहने वाले एक पङोसी ने पहले तो उन्हें समझाया पर जब ये नहीं माने तो इस की शिकायत मकानमालिक से कर दी.

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वारदात वाले दिन…

वारदात शाम के वक्त की है. पुलिस तफ्तीश के मुताबिक 6 लङके पटेल नगर के प्रेम नगर इलाके में एक शख्स की घर के छत पर बैठ कर शराब पी रहे थे. बगल में लगभग 40 साल के एक पङोसी को लगा कि लौकडाउन के बावजूद भी इस तरह बैठ कर ये शराब क्यों पी रहे हैं? इसी बात को ले कर दोनों पक्षों में झगङा शुरू हो गया.

रोकना पङ गया भारी

खबर के मुताबिक 6 लङके पहले तो मकान से उतर गए फिर थोङी ही देर बाद लोहे की रौड, चाकू व डंडे के साथ आए और शिकायत करने वाले पङोसी के साथ मारपीट करनी शुरू कर दी. पहले तो पङोसी भी भिङ गया पर तभी उन में से एक लङके ने उस शख्स को चाकू मार दिया. चाकू तेज मारा गया था लिहाजा शख्स की मौत हो गई.

आरोपियों ने उस शख्स को बचाने आए बेटे और उस के साले पर भी चाकू से हमला किया है, जिस से वे घायल हो गए.

पटेल नगर थाना के एसएचओ रमेश चंदर ने फोन पर बताया,”मामले की सूचना मिलते ही पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और संबंधित आरोपियों पर काररवाई शुरू कर दी है.”

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थाना पटेल नगर एसएचओ के मुताबिक, गिरफ्तार लड़कों में 4 नाबालिग हैं जबकि 2 बालिग. पुलिस आगे की काररवाई कर रही है. आरोपियों ने शराब कहां से खरीदी यह जानकारी भी जुटाई जा रही है.

लत है यह गलत

कहते हैं जब लत बुरी लग जाए तो न सिर्फ शरीर, बल्कि पूरी जिंदगी ही तबाह हो जाती है. शराब की गंदी लत ने कम उम्र में ही इन को अपराधी बना दिया.

एक अध्ययन के मुताबिक 12 से 18 साल के लड़कों के बीच शराब या अन्य तरह की नशा करने की आदत बढ़ी है. इस के अलावा वे गांजा व अफीम का सेवन भी कर रहे हैं. ये गंदी लत किशोरों को शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं.नशे की लत के चलते किशोर आक्रामक हो रहे हैं और इस घटना में भी जाहिर है कि आरोपियों में 4 नाबालिग भी नशे की बुरी गिरफ्त में होंगे.

अभिभावकों की जिम्मेदारी

बचपन बचाओ आंदोलन से जुङे व कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन के सीनियर पदाधिकारी मनीष शर्मा बताते हैं,”अभिभावकों को भी बढ़ते बच्चों पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. ऐसा देखा गया है कि पारिवारिक कलह, भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच अभिभावक बच्चों की परवरिश के प्रति लापरवाह हो जाते हैं. इस से बच्चे खुद को उपेक्षित महसूस करने लगते हैं. उन की सोचनेसमझने की शक्ति बदल जाती है और वे हिंसक हो जाते हैं.”

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उन्होंने बताया,”बढ़ते बच्चों के हाथों में स्मार्टफोन देना भी आज के समय में खतरनाक बनता जा रहा है. एक सर्वे में यह खुलासा किया गया है कि लौकडाउन के बीच खासकर बच्चों में चाइल्ड पोर्नोग्राफी काफी बढ़ गया है. अभिभावक बच्चों के हाथों में मोबाइल तो दे देते हैं पर उन पर नजर नहीं रखते. दूसरा, भारतीय कानून के अनुसार 18 साल से कम उम्र के बच्चों को तंबाकू व नशे से जुङी कोई भी चीज बेचने पर प्रतिबंध है. इसलिए पुलिस को चाहिए कि वे अपने तफ्तीश में यह भी पता लगाएं कि अगर नाबालिगों ने शराब व सिगरेट खरीदे तो कहां से? उन पर भी काररवाई हो.”

कुसूर किस का

आरोपियों पर अब भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत काररवाई होगी. जो आरोपी बालिग हैं वे सालों जेलों में रहेंगे. थोङी सी लापरवाही और गलत परवरिश एकसाथ कई परिवारों को कितना गहरा सदमा दे जाता है.

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