लेखक- अलंकृत कश्यप

18 अक्तूबर, 2019 को करवाचौथ था. खुशी उर्फ मोहसिना बानो ने भी पहली बार व्रत रखा था. मोहसिना बानो मुसलिम थी. उस ने अपनी मरजी से महेंद्र को पति के रूप में चुना था. चूंकि उस ने महेंद्र से शादी कर ली थी, इसलिए अपना नाम खुशी उर्फ परी रख लिया था. महेंद्र से शादी के बाद वह लखनऊ के थाना सरोजनी नगर क्षेत्र के गांव दादूपुर की नई कालोनी में रहने लगी थी.

पति की दीर्घायु के लिए उस ने पूरे दिन निर्जला व्रत रखा था. पड़ोसी महिलाओं से पूछ कर उस ने दिन में पूजा वगैरह भी की थी.

लाल रंग के जोड़े में सजनेसंवरने के बाद उस ने अपने पैरों में महावर लगाई, मांग में गहरे लाल रंग का सिंदूर भरा. साजशृंगार के बाद वह काफी खूबसूरत लग रही थी.

शाम के 7 बज चुके थे लेकिन महेंद्र घर नहीं लौटा था. भूखे पेट रह कर उस ने महेंद्र का मनपसंद खाना भी बना लिया था. उसे महेंद्र के लौटने का इंतजार था ताकि चंद्रमा निकलने पर वह अर्ध्य दे सके. खुशी मन ही मन काफी उल्लासित थी.

उस ने कई बार महेंद्र को फोन किया, लेकिन बात नहीं हो पाई. शाम को 5 बजे भी उस ने काल रिसीव नहीं की. पति के फोन न उठाने पर खुशी को बहुत गुस्सा आया. काफी देर बाद महेंद्र ने उस की काल रिसीव की तो खुशी ने इतना ही कहा कि तुम घर जल्दी आ जाओ. मैं इंतजार कर रही हूं. इतना कह कर खुशी ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

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