लखनऊ के पानदरीबा इलाके में होटल कृष्णा पैलेस की देखभाल करने वाले 23 साल के राहुल ओझा से मिलने हर तरह के लोग आते थे. इनमें से एक महक नाम का किन्नर भी था. महक का असल नाम जीशान था. वह मूल रूप से बाराबंकी जिले का रहने वाला था. कुछ समय से वह हुसैनगंज थानाक्षेत्रा के दादामियां कर मजार के पास रहने लगा था. जीशान बेरोजगार था. उसके पास रोजगार का कोई साधन नहीं था. रोजगार की तलाश में लखनऊ में उसकी मुलाकात कुछ किन्नर साथियों से हुई. देखने सुनने में जीशान भी किसी लडकी की ही तरह सुदंर दिखता था. किन्नर साथियों की सलाह पर वह अपना पहनावा और बोलचाल में बदलाव करके किन्नर बन गया और अपना नाम महक रख लिया. अब वह किन्नर गैंग में शामिल होकर घरघर जाकर नेग की वूसली करने लगा. किन्नर बने जीशान ने जब अपना नाम महक रखा तो वह दुकानो और होटलों में भी वूसली के लिये जाने लगा. लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन के आसपास यह लोग रात में आने वाले यात्रियों को लडकी होने का झांसा देकर अपने साथ देहसबंध बनाने के नाम फंसा कर पैसा वूसल करते थे.

जीशान बने महक की मुलाकात कृष्णा होटल के राहुल ओझा से हुई. महक के साथ उसकी दोस्ती बढने लगी. महक के लिये यह दोस्ती फायदेमंद थी. राहुल और महक के बीच दोस्ती नजदीकी रिश्तो में बदल गई. लंबे समय तक यह संबंध चलने लगे. महक को एक जगह बंधकर रहने की आदत नहीं थी. इस बीच महक की दोस्ती इमरान के साथ हो गई. बहराइच का रहने वाला इमरान लखनऊ में टैंपों चलाने का काम करता था. वह भी महक के साथ दादा मियां की मजार के पास रहने लगा. एक साथ रहने से इमरान महक के ज्यादा करीब हो गया. इस बात को लेकर राहुल महक से नाराज होता था. असल में इमरान के करीब आने के बाद महक अब राहुल से दूरी बनाने लगा था.

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