Honey Trap : Honey Trap  की शुरुआत कोल्ड वार के समय से मानी जाती है जब रूस और अमेरिका एकदूसरे के खिलाफ इस का इस्तेमाल करते थे लेकिन आज औनलाइन इस का इस्तेमाल किया जा रहा है जिस का ख़तरा आम हो गया है.

प्रेम जाल (हनी ट्रैप) में फंसा कर लोगों से वसूली करने वाले 3 आरोपियों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है. एक चिकित्सक से लगभग 9 लाख रुपए की ठगी की घटना प्रकाश में आई है.

घटनाओं से सीखें

आरोपियों ने अपने अपराध को अंजाम देने के लिए एक चतुर योजना बनाई थी. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर चिकित्सक को अपना निशाना बनाया और उन्हें अपने जाल में फंसाया. आरोपियों ने चिकित्सक को यह विश्वास दिलाया कि वे दिल्ली पुलिस में कार्यरत हैं और उन्हें अपनी सेवाओं के लिए पैसे देने होंगे. चिकित्सक ने आरोपियों की बातों पर विश्वास किया और उन्हें लगभग 9 लाख रुपए दे दिए.
और जब, लेकिन जब चिकित्सक को यह एहसास हुआ कि वे ठगी के शिकार हो गए हैं, तो उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू की और आखिरकार उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
आरोपियों की पहचान तिलक नगर निवासी नीरज त्यागी उर्फ धीरज उर्फ धीरू (42), कराला निवासी आशीष माथुर (31) और खारखौदा, हरियाणा निवासी दीपक उर्फ साजन (30) के रूप में हुई है.
पुलिस ने आरोपियों के पास से हेड कांस्टेबल की पूरी वर्दी और दिल्ली पुलिस के 3 पहचान पत्र, एक कार और 3 मोबाइल बरामद किए हैं. आरोपी नीरज और दीपक के खिलाफ पहले से ही बिंदापुर थाने में प्रेम जाल में फंसा कर वसूली करने का मामला दर्ज है.
हनी ट्रैप की शुरुआत का सटीक समय नहीं बताया जा सकता है, क्योंकि यह एक प्रकार की धोखाधड़ी है जो विभिन्न रूपों में और विभिन्न समयों में हुई है. हालांकि, यह कहा जा सकता है कि हनी ट्रैप की शुरुआत प्राचीन काल में हुई थी, जब लोगों को आकर्षित करने और उन से लाभ उठाने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता था.
दरअसल, आधुनिक समय में, हनी ट्रैप की शुरुआत 1960 के दशक में हुई थी, जब अमेरिकी और सोवियत जासूसों ने अपने लक्ष्यों को आकर्षित करने और उन से जानकारी प्राप्त करने के लिए इस तरीके का उपयोग करना शुरू किया था.
इंटरनेट और सोशल मीडिया के आगमन के साथ, हनी ट्रैप की शुरुआत और भी आसान हो गई है, और अब यह एक आम प्रकार की धोखाधड़ी बन गई है जो विभिन्न देशों में होती है.

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