रांची के मांडर थाना क्षेत्र में गत 22 अप्रैल को यौनशोषण का एक सनसनीखेज मामला सामने आया. यौनशोषण किया गया एक 14 साल की नाबालिग लड़की के साथ और यह कुकृत्य करने वाला था उस का सगा पिता. हैवानियत का आलम यह कि पिछले 7 माह से यह राक्षस पिता अपनी बेटी के साथ जबरदस्ती कर रहा था और जब वह गर्भवती हो गई और उस के पैरों में सूजन आई तो वह उसे झाड़फूंक करने वाले बाबा के पास ले गया. ठीक न होने पर वह उसे बगल के गांव स्थित उस की नानी के घर पहुंचा आया. लड़की की मां की 3 साल पूर्व मौत हो चुकी थी . लड़की के मामा उसे ले कर डाक्टर के पास पहुंचे तो पता चला कि वह गर्भवती है. मामा बच्ची को फिर पिता के पास छोड़ आए. पड़ोसियों को शक हुआ और बच्ची से पूछताछ की तो सारा सच सामने आ गया. इस के बाद गांव वालों की बैठक हुई और उन्होंने आरोपी पिता को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया.
विकृत मानसिकता के ऐसे नजारे अक्सर नजर आते रहते हैं. राजधानी दिल्ली की बात की जाए तो हाल ही में जैतपुर इलाके में ऐसी ही दिल दहलाने वाली घटना सामने आई.
आरोप है कि 40 साल के एक शख्स ने अपनी 15 साल की बेटी के साथ गलत काम करने का प्रयास किया. यही नहीं, उस ने अपनी बेटी के कई अश्लील वीडियोज भी बनाए. इस दरिंदे पिता की छेड़छाड़ से तंग आ कर बेटी ने मां से शिकायत कर दी. बच्ची की मां और पिता में जम कर झगड़ा हुआ. मगर वह शख्स अपनी आदत से बाज नहीं आया और अंततः लड़की को अपने प्राण गंवाने पड़े. पिता ने उसका गला दबा दिया।
ऐसी घटनाएं आए दिन सुर्खियों में नजर आती हैं. जाहिर है कि मासूम लड़कियों की सुरक्षा का प्रश्न किसी के भी दिलोदिमाग को उद्वेलित कर जाएगा. कभी कन्या भ्रूण हत्याएं, कभी दहेज हत्याएं तो कभी ऐसी घिनौनी वारदातें.
दुश्मनों और गैरों की क्या जरूरत जब मासूम लड़कियों की जिंदगी अपनों के हाथों ही रौंदी जाती हो.
सोचने वाली बात है कि हम अपनी बच्चियों को बाहर वालों से सावधान रहने की सलाह तो दे सकते हैं, पड़ोसियों व रिश्तेदारों से भी बच कर रहने या अकेले कहीं न जाने का फरमान दे सकते हैं. मगर जब रिश्तों का खून अपनों के हाथों हुआ हो तब क्या किया जाए? किस के पास जा कर वह मासूम अपना दर्द बयां करे जब उस का विश्वास लहुलुहान किया हो उस के अपने जन्मदाता ने.
इस संदर्भ में क्राइम साइकोलौजिस्ट, अनुजा कपूर कहती हैं, ‘दरअसल इस तरह के इनसेस्ट रिलेशनशिप की मुख्य वजह डोमिनेशन, ट्रस्ट और फाइनेंशियल डिपेडेंसी होती है.’
उदाहरण के लिए बापबेटी के रिश्ते में जहां पिता का बेटी पर हक होता है, बेटी भी सब से ज्यादा विश्वास अपने मां-बाप पर ही करती है. वह आर्थिक रूप से भी अपने पिता पर पूरी तरह निर्भर होती है. ऐसे में वासना के भूखे व्यक्ति को अपना शिकार घर में ही बहुत आसानी से मिल जाता है. वह जानता है कि लड़की उस के खिलाफ मुंह नहीं खोलेगी.
अनुजा कपूर का ये भी कहना है कि ‘किसी को यदि कभी जिंदगी में इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़े तो मैं यही सलाह दूंगी कि ऐसी ज्यादती कभी बरदाश्त न करें. आप छोटी हों या बड़ी, कुछ गलत महसूस हो या ऐसा लगे कि पिता या किसी बेहद करीबी ने गलत हरकत की है तो पहली दफा ही इस का विरोध करें. और तुरंत वहां से हट जाएं. फिर अपनी मां, बूआ, चाची या जो भी महिला करीब मौजूद हो, उस से सारी बातें कहें. बच्ची की मां या घर की दूसरी बुजुर्ग महिलाओं का दायित्व है कि वे ऐसी स्थिति में बच्ची को पूरी सुरक्षा मुहैया कराए. इस के लिए वह वूमन सेल या किसी एनजीओ वगैरह से सहायता मांग सकती है. लड़की स्वयं भी 100 नंबर डायल कर सकती है. कम उम्र की लड़कियां चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (हेल्पलाइन नं. 1098) और महिलाएं दिल्ली वूमेन कमेटी (हेल्पलाइन नं. 1091) से सहायता मांग सकती हैं. इस के अलावा महिला आयोग व दूसरी सरकारी, गैर सरकारी संस्थाएं भी इन मामलों में लड़कियों के लिए आवाज उठाती हैं और उन्हें सुरक्षा देती हैं.'