9 अक्तूबर, 2016 की रात 10 बजे पंजाब के शहर जालंधर के कैंट इलाके की हाऊसिंग बोर्ड कालोनी अर्बन स्टेट फेज-1 में अपनी मां और नवविवाहिता पत्नी के साथ रहने वाला वरुण अरोड़ा जैसे ही रात का खाना खाने डाइनिंग टेबल पर बैठा, वैसे ही उस के मोबाइल फोन की घंटी बज उठी. वरुण ने फोन रिसीव किया तो फोन किस का है, यह न तो बगल में बैठी पत्नी डिंपल को पता चला न मां शशि अरोड़ा को. लेकिन धीरेधीरे शुरू हुई बातचीत एकाएक बहस का रूप धारण करते हुए झगड़े में बदल गई तो डिंपल ने कहा, ‘‘किस का फोन है, काट क्यों नहीं देते. पहले खाना खा लो, उस के बाद बात करना.’’

फोन काटने के बजाए वरुण हाथ से पत्नी को चुप रहने का इशारा कर के लगभग 7-8 मिनट तक फोन पर उसी तरह लड़ता रहा. इस के बाद वरुण ने फोन काटा तो पत्नी के साथ मां ने भी पूछा, ‘‘बेटा, किस का फोन था, किस बात को ले कर बहस हो रही थी?’’

‘‘आप नहीं जानती मां, है एक कमीना. मुझे धमकी दे रहा था. शायद अपनी औकात भूल गया.’’ वरुण ने कहा.

इस के बाद यह बात यहीं खत्म हो गई. खाना खाने के बाद डिंपल बरतन समेट कर रसोई में चली गई तो वरुण ने ड्राईंगरूम से ऐक्टिवा स्कूटर की चाबी ले कर कहा, ‘‘डिंपल, मैं जरा सिगरेट लेने जा रहा हूं. अगर तुम्हें कुछ मंगाना हो तो बता दो, मैं लेते आऊंगा.’’

‘‘नहीं, मुझे कुछ नहीं मंगाना. लेकिन आप जरा जल्दी आ जाइएगा.’’ डिंपल ने कहा.

‘‘सरकार का जो आदेश.’’ कह कर वरुण चला गया.

वरुण सिगरेट लेने चला गया तो शशि अरोड़ा अपने कमरे में जा कर लेट गईं. डिंपल भी रसोई का काम निपटा कर गिलास में दूध ले कर बैडरूम में आ गई और वरुण का इंतजार करने लगी. 10 बजे के करीब घर से निकला वरुण साढ़े 11 बजे तक नहीं लौटा तो डिंपल को चिंता हुई. उस ने वरुण के मोबाइल पर फोन कर के पूछना चाहा कि उसे देर क्यों हो रही है तो पता चला कि उस का फोन बंद है.

यह हैरान करने वाली बात थी. डिंपल ने न जाने कितनी बार वरुण को फोन किया, लेकिन हर बार एक ही जवाब मिला कि फोन बंद है. यह चिंता की बात थी, इसलिए वह सास के कमरे में जा पहुंची और उन्हें सारी बात बताई. घर में कोई दूसरा मर्द नहीं था, इसलिए सास के कहने पर उस ने वरुण के मामा राजीव नागपाल को फोन कर के वरुण के घर न आने की बात बताई तो उन्होंने कहा कि वह तुरंत आ रहे हैं.

वह पास में ही रहते थे, इसलिए पत्नी के साथ तुरंत आ गए. उन्होंने बहन और डिंपल को सांत्वना देते हुए कहा, ‘‘इतना भी परेशान होने की बात नहीं है. नईनई शादी हुई है, कोई खास यारदोस्त मिल गया होगा, पीने बैठ गया होगा.’’

‘‘नईनई शादी है, इसलिए इतनी रात को उसे घर पर होना चाहिए न कि दोस्तों के साथ.’’ शशि अरोड़ा ने कहा.

सास की इस बात पर डिंपल को रुलाई आ गई, क्योंकि उसे किसी अनहोनी की आशंका हो रही थी. राजीव नागपाल ने भी उन लोगों को सिर्फ सांत्वना देने के लिए यह बात कही थी, जबकि वह भी जानते थे कि यह समय दोस्तों के साथ बैठने का नहीं था. अंदर ही अंदर वह भी चिंतित और घबराए हुए थे.

बहरहाल, रात को ही सब ने हर उस जगह जा कर वरुण की तलाश कर ली, जहांजहां उस के मिलने की संभावना थी. खबर पा कर डिंपल के पिता करन पुरी भी परिवार के साथ बेटी के यहां आ गए थे. सभी वरुण की तलाश में लगे थे, लेकिन पूरी रात तलाश करने के बावजूद वरुण का कहीं पता नहीं चला था.

10 अक्तूबर, 2016 की सुबह साढ़े 6 बजे के करीब अर्बन एस्टेट से लगभग एक फर्लांग की दूरी पर स्थित सुरेंद्र सिंह के खेतों पर उन का नौकर रामू जानवरों के लिए चारा काटने गया तो ट्यूबवैल की पानी वाली हौदी के पास उस ने एक नौजवान की लाश पड़ी देखी.

लाश देख रामू घबरा गया. चारा काटना भूल कर वह सीधे सुरेंद्र सिंह की कोठी पर पहुंचा और उन्हें हौदी के पास लाश पड़ी होने की बात बताई. खेतों पर लाश पड़ी होने की बात सुन कर सुरेंद्र सिंह कुछ परिचितों को ले कर खेत पर पहुंचे और पानी की हौदी के पास लाश देख कर इस की सूचना थाना कैंट पुलिस को दे दी.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी इंसपेक्टर सुखदीप सिंह कुछ सिपाहियों को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए. चलने से पहले उन्होंने इस बात की सूचना अधिकारियों को भी दे दी थी, इसलिए उन के पहुंचने के कुछ देर बाद ही डीएसपी हरजीत सिंह क्राइम एक्सपर्ट टीम को ले कर पहुंच गए थे.

पुलिस घटनास्थल और लाश का निरीक्षण करने लगी. मृतक की उम्र 25-26 साल थी. उस का सिर फटा हुआ था और पूरे शरीर में छेद थे, जिन से अभी भी खून रिस रहा था. वह जींस और शर्ट पहने था, जो कई जगहों पर फटी हुई थी. लाश के पास ही नल का हत्था पड़ा था, जिस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि इसी हत्थे से मृतक के सिर पर वार किया गया था.

लेकिन वहां इस तरह का कोई औजार नहीं मिला, जिस से मृतक के शरीर में छेद किए गए थे. जहां लाश पड़ी थी, उस से लगभग सौ मीटर की दूरी पर घसीटने के निशान थे. इस से अंदाजा लगाया गया कि हत्या कहीं और कर के लाश यहां ला कर फेंकी गई थी.

अब तक हाऊसिंग बोर्ड कालोनी वालों को भी सुरेंद्र सिंह के खेत में लाश पड़ी होने की सूचना मिल गई थी. इस कालोनी में ज्यादातर फौजी रहते हैं. लाश मिलने की सूचना पा कर कालोनी के तमाम लोग वहां आ गए थे. उन्हीं लोगों ने लाश की शिनाख्त कर दी थी.

वह लाश ओमप्रकाश अरोड़ा के बेटे वरुण अरोड़ा की थी, जो रात से गायब था. पुलिस इस बात की जानकारी मृतक वरुण के घर वालों तक पहुंचाती, उस के पहले ही किसी ने शशि अरोड़ा को खबर दे दी थी. इस अनहोनी की खबर पा कर शशि अरोड़ा, उन की बहू डिंपल, भाईभाभी तथा समधीसमधन रोतेबिलखते घटनास्थल पर आ पहुंचे.

इस के बाद वहां रोनेचिल्लाने का ऐसा हृदयविदारक दृश्य बना कि देखने वाले भी अपने आंसू नहीं रोक पाए. जवान बेटे की लाश देख कर शशि अरोड़ा ही नहीं, उन की बहू डिंपल भी बेहोश हो गई थी. दोनों को अस्पताल भिजवाना पड़ा था.

थानाप्रभारी सुखदीप सिंह ने किसी तरह सभी को समझाबुझा कर बड़ी मुश्किल से हालात पर काबू पाया और अपनी काररवाई आगे बढ़ाते हुए लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवाया. इस के बाद थाने आ कर वरुण की हत्या का मुकदमा अज्ञात के खिलाफ दर्ज कर के जांच शुरू कर दी.

वरुण के हत्यारों तक पहुंचने के लिए सुखदीप सिंह ने एक पुलिस टीम बनाई, जिस में उन्होंने एसआई चरण सिंह, एएसआई जसवंत सिंह, गुरदीपचंद, हैडकास्टेबल कुलदीप सिंह, सुरेंद्रपाल, रामपाल और कांस्टेबल मलकीत सिंह को शामिल किया.

उन्हें अपने मुखबिरों से पता चला कि वरुण महंगा वाला नशा करता था. वह ऐसा नशा था, जिस में एक बार में ही हजार, डेढ़ हजार रुपए खर्च हो जाते थे. इतने महंगे नशे के लिए वरुण पैसे कहां से लाता था, यह सोचने वाली बात थी. कहीं नशापूर्ति के लिए वह किसी लूटपाट करने वाले गैंग में तो नहीं शामिल था. बंटवारे में कहासुनी हो गई हो और उस की हत्या कर दी गई हो.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, सिर पर किसी भारी चीज की गंभीर चोट और सूजे से जगहजगह गोदे गए घावों से खून बह जाने की वजह से वरुण की मौत हुई थी. छाती पर लगे सूजे से उस के हार्ट में भी छेद हो गया था.

बहरहाल, वरुण के अंतिम संस्कार के बाद उस के घर वाले कुछ सामान्य हुए तो सुखदीप सिंह ने घर जा कर सभी से विस्तार से पूछताछ की. इस पूछताछ में जब उन्हें पता चला कि घर से निकलने से पहले वरुण की फोन पर किसी से कहासुनी हुई थी तो उन्हें जांच की दिशा मिल गई.

वरुण का फोन और जिस ऐक्टिवा स्कूटर से वह घर से निकला था, वह भी गायब था. सुखदीप सिंह ने वरुण का मोबाइल सर्विलांस पर लगवाने के साथ उस के नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि रात 9 बज कर 38 मिनट पर उस के नंबर पर जिस नंबर से फोन आया था, उस पर 8 मिनट 38 सेकेंड बात हुई थी. इस के बाद उसी नंबर पर वरुण ने 10 बज कर 10 मिनट पर फोन किया था तो मात्र 57 सैकेंड बात हुई थी.

सुखदीप सिंह ने उस नंबर के बारे में पता किया तो वह नंबर स्पेयर पार्ट्स नाने वाली फैक्ट्री में काम करने वाले शिवप्रकाश का निकला. उन्होंने उसे थाने ला कर पूछताछ की तो उस ने बताया कि लगभग ढाई महीने पहले 25 अगस्त, 2016 को फैक्ट्री में काम करते समय उस का फोन चोरी हो गया था, जिस की उस ने थाने में रिपोर्ट भी दर्ज करा दी थी.

उस का कहना था कि वह किसी वरुण को नहीं जानता. हां, वह इतना जरूर जानता है कि उस का फोन अतुल ने चुराया था. सुखदीप सिंह ने उस से अतुल के बारे में पूछा तो उस ने कहा कि वह कई दिनों से गायब है. इस के बाद उन्होंने अतुल के पीछे अपने मुखबिरों को लगा दिया.

आखिर दिनरात मेहनत कर के उन्होंने पता लगा ही लिया कि अतुल, साहिल, शिवप्रकाश और वरुण एक साथ नशा करते थे. घटना वाली रात भी ये चारों रामामंडी चौक के पास देखे गए थे. यह जानकारी मिलने के बाद साफ हो गया कि शिवप्रकाश ने अपना पीछा छुड़ाने के लिए पुलिस से झूठ बोला था.

पुलिस शिवप्रकाश के घर दोबारा पहुंची तो वह घर से गायब मिला. इस के बाद पुलिस शिवप्रकाश, अतुल और साहिल की तलाश में लग गई. इस का नतीजा यह निकला कि मुखबिर की सूचना पर जालंधर बाईपास से साहिल और शिवप्रकाश को उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब दोनों वैष्णो देवी जाने की फिराक में वहां खड़े थे. थाने ला कर दोनों से पूछताछ की गई तो उन्होंने बिना किसी सख्ती के वरुण की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया. उन्होंने बताया कि उन्हीं लोगों ने उस की हत्या कर लाश को खेतों में ले जा कर फेंक दिया था. हत्या में अतुल भी शामिल था. इस के बाद दोनों को अदालत में पेश कर के पूछताछ एवं सबूत जुटाने के लिए 2 दिनों के रिमांड पर लिया गया. पुलिस ने हत्या के इस मुकदमे में धारा 201, 34 और जोड़ दी थी. शिवप्रकाश और साहिल जालंधर के गढ़ा मोहल्ला में रहते थे, जबकि इन का फरार साथी अतुल रामामंडी में रहता था. तीनों ज्यादा पढ़ेलिखे नहीं थे. आवारा किस्म के ये युवक कहने को तो फैक्ट्रियों में काम करते थे, पर इन का असली काम नशे के लिए चोरीराहजनी करना था. क्योंकि ये ऐसा नशा करते थे, जो महंगा तो था ही, मिलता भी मुश्किल से था. यह ऐसा नशा है, जो न मिलने पर आदमी छटपटाने लगता है.

शिवप्रकाश एवं साहिल द्वारा की गई पूछताछ में वरुण की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह अच्छेभले घर के एक युवक की नशे की लत लगा लेने के बाद आवारा युवकों के बीच फंस कर जान गंवाने की थी.

5 साल पहले वरुण के पिता ओमप्रकाश अरोड़ा की मौत हो चुकी थी. उस के बाद वह और उस की मां शशि अरोड़ा रह गई थीं. वह टाटा मोटरर्स कंपनी के शोरूम में नौकरी करता था. अगस्त, 2016 के आखिरी सप्ताह में जालंधर की ही बस्ती शेख के मोहल्ला सोहिया की रहने वाली डिंपल से उस की शादी हुई थी. वह शराब तो पहले से ही पीता था, इधर न जाने कैसे पिछले कुछ दिनों से उसे महंगे नशे की लत लग गई थी.

नशे के ही चक्कर में उस की मुलाकात साहिल से हुई तो दोनों साथ मिल कर नशा करने लगे. साहिल ने ही उस की मुलाकात अतुल और शिवप्रकाश से कराई थी. अतुल बेहद चालाक और मतलबी आदमी था. वह नशा तो करता ही था, जरूरतमंद लोगों को नशे का सामान बेचता भी था. बेचने के बाद नशे का जो सामान बच जाता था, उसी से अपनी जरूरत पूरी कर लेता था. यही वजह थी कि नशेड़ी उस के पीछे लगे रहते थे. वरुण भी उस से नशे का सामान खरीदता था. जब कभी उस के पास पैसे नहीं होते थे, अतुल उसे उधार भी नशे का सामान दे देता था. इस में मजे की बात यह थी कि उधार के उस नशे के सामान में अतुल ही नहीं, साहिल और शिवप्रकाश भी नशा करते थे. अतुल के वरुण पर इस समय भी 7-8 हजार रुपए उधार थे. अगस्त में जब वरुण की शादी हुई तो वह नशा छोड़ने की कोशिश करने लगा था, जिस से अतुल उस से अपने रुपए वापस मांगने लगा था.

जबकि वरुण कह रहा था कि अभीअभी उस की शादी हुई है, इसलिए उस के पास पैसे नहीं हैं. पैसे होते ही वह उस के पैसे लौटा देगा. यही नहीं, अतुल, साहिल और शिवप्रकाश चाहते थे कि वह नशा करना बंद न करे.

वरुण असमंजस की स्थिति में था. इधर नशे को ले कर बदनाम हुई पंजाब सरकार ने सख्ती की तो अतुल का धंधा बंद हो गया. इस के बाद चोरीराहजनी कर के वह अपनी नशे की लत पूरी कर रहा था. यही वजह थी कि उस ने वरुण पर पैसे लौटाने के लिए दबाव बनाया. एक तो वरुण के पास पैसे नहीं थे, दूसरी ओर वह अतुल से उधार का जो नशे का सामान लिया था, उस में सभी ने नशा किया था, इसलिए अब वह कहने लगा था कि जब नशा सब ने किया है तो वह अकेला सारा खर्च क्यों उठाए.

अतुल को जब लगा कि वरुण सीधे पैसे नहीं देगा तो उस ने उस से पैसा वसूलने के लिए एक योजना बनाई. उसी योजना के तहत उस ने 9 अक्तूबर, 2016 की रात फोन कर के पहले तो पैसे मांगे, जिस से दोनों में कहासुनी हो गई. उस के बाद उस ने कहा कि ईरान का बहुत बढि़या माल आया है, अगर वह खरीदना नहीं चाहता तो कोई बात नहीं, आ कर साथ में 2-4 कश मार कर देख ले. ईरान के माल के बारे में सुन कर वरुण के मुंह में पानी आ गया और वह खुद को रोक नहीं सका. खाना खाने के बाद सिगरेट लेने के बहाने वह घर से निकला और फोन कर के अतुल के पास बाईपास पर पहुंच गया. उस के साथ शिवप्रकाश और साहिल भी थे.

चारों बाईपास से कैंट स्थित खेतों में बैठ कर अतुल द्वारा लाए समान से नशा करने लगे. नशा करने के बाद एक बार फिर अतुल ने वरुण से पैसे मांगे तो बात झगड़े तक पहुंच गई. तीनों ने पहले से जो योजना बना रखी थी, उस के अनुसार उन्होंने वरुण के हाथपैर बांधने चाहे. अतुल का सोचना था कि वरुण की नईनई शादी हुई है, इसलिए उस के घर में काफी पैसा होगा. अगर वे उस का अपहरण कर लें तो घर वालों से फिरौती के रूप में मोटी रकम मिल सकती है. फिरौती मिलने के बाद वे उस की हत्या कर देंगे. वरुण जवान भी था और तगड़ा भी. इसलिए वह उन तीनों पर भारी पड़ा. जब उन्होंने देखा कि वे उसे काबू नहीं कर सकते तो अतुल ने वहां लगे हैंडपंप का हत्था निकाला और पूरी ताकत से उस के सिर पर वार कर दिया. उसी एक वार में वरुण का सिर फट गया और वह चकरा कर जमीन पर गिर पड़ा.

साहिल अपने साथ बर्फ तोड़ने वाला सूजा ले आया था. उस ने उसी सूजे से वरुण का पूरा शरीर गोद दिया. वरुण की मौत हो गई तो तीनों ने लाश को घसीट कर सुरेंद्र सिंह के खेतों में बनी पानी की हौदी के पास फेंक दिया. इस के बाद वे उस की ऐक्टिवा स्कूटर और मोबाइल फोन ले कर चले गए. वरुण की मौत होने के बाद अतुल की अपहरण कर फिरौती की योजना पर पानी फिर गया था. पूछताछ के बाद सुखदीप सिंह ने शिवप्रकाश और साहिल की निशानदेही पर वरुण की ऐक्टिवा स्कूटर और मोबाइल फोन बरामद कर लिया था. नल का हत्था पहले ही बरामद हो चुका था, बाद में सूजा भी बरामद कर लिया गया. रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद 14 नवंबर को पुन: दोनों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. वरुण की बुरी लत की वजह से एक नवविवाहिता की जिंदगी तो बरबाद हुई ही, शशि का बुढापे का सहारा भी छिन गया. कथा लिखे जाने तक अतुल पकड़ा नहीं जा सका था. पुलिस उस की तलाश कर रही थी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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