घंटी बजते ही फराह ने मोबाइल उठा कर स्क्रीन पर नजर डाली तो अनायास ही उस के मुंह से निकल गया, ‘अम्मी का फोन.’ फोन रिसीव करते हुए उस ने उत्साह से कहा, ‘‘अम्मी सलाम.’’

‘‘वालेकुम सलाम, कैसी हो फराह?’’ अम्मी ने पूछा.

‘‘ठीक हूं अम्मीजान, आप कैसी हैं?’’

‘‘सब ठीक है बेटी, आप के शौहर हैं घर पर?’’

‘‘वह तो दुकान पर गए हैं. क्यों, क्या बात है?’’ फराह ने पूछा.

‘‘कोई खास बात नहीं है. आज सलीम मामू के बेटे शोएब की बर्थडे पार्टी है, आप दोनों को भी आना है. शोएब खासतौर पर तुम दोनों के लिए कह कर गया है.’’

‘‘हम उन से पूछ लेंगे, अगर इजाजत दे दी तो जरूर आएंगे.’’ कह कर फराह ने फोन काट दिया. इस के बाद उस ने अपने शौहर पुष्पेंद्र को फोन कर के घर बुला लिया. पुष्पेंद्र ने इस तरह बुलाने की वजह पूछी तो फराह ने कहा, ‘‘अम्मी का फोन आया था, कह रही थीं कि हम दोनों को मामू के यहां बर्थडे पार्टी में आना है.’’

‘‘तुम ने क्या कहा?’’ पुष्पेंद्र ने पूछा.

‘‘मैं क्या कहती, कह दिया कि इजाजत मिली तो जरूर आ जाएंगे.’’ फराह बोली.

‘‘तुम चली जाओ. बेटी को भी साथ ले जाओ. मैं तुम दोनों को छोड़ आऊंगा. तुम तैयारी करो, जब तैयार हो जाओ तो मुझे फोन कर देना, मैं दुकान से आ जाऊंगा.’’ पुष्पेंद्र ने कहा.

जवाब में फराह बोली, ‘‘आप बिना वजह परेशान होंगे. हम दोनों रिक्शे से चले जाएंगे.’’

‘‘ठीक है, पर रात गहराती दिखे तो फोन कर देना. मैं छोड़ आऊंगा.’’ कह कर पुष्पेंद्र दुकान पर चला गया.

फराह बेटी स्नेहा को तैयार कर के खुद तैयार होने लगी. तैयार होने के बाद फराह बेटी को ले कर रिक्शे से मायके पहुंचीं तो वहां उस के बड़े भाई तारिक और अम्मी तैयार थे, उन्हें ले कर फराह शोएब की बर्थडे पार्टी में शामिल होने मामू के घर पहुंच गईं.

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