सौजन्य: सत्यकथा

सोनू और ऊषा की शादी 2 सगे भाइयों अशोक और राजू के साथ हुई थी. ससुराल में दोनों ही बहनों का अलगअलग युवकों से चक्कर चलने लगा.हरियाणा के पानीपत में शहर के बीचोबीच जाटल रोड के पास एक हनुमान मंदिर है. उस के ठीक सामने दिल्ली पैरलल नहर है. बीते साल 21 दिसंबर को दिन में नहर के किनारे लोगों की भीड़ जुटी हुई थी. कारण, नहर में कहीं दूर से बहती हुई एक लाश आ रही थी.

ज्योंज्यों वह निकट आ रही थी, त्योंत्यों लोग उसे देख कर तरहतरह के अनुमान लगा रहे थे. कोई नवयुवक की लाश बता रहा था तो कोई उस के नहर में कूद कर आत्महत्या करने की आशंका जता रहा था. भीड़ में हर चेहरे पर कई सवाल उभरे हुए थे. साथ ही एक अहम सवाल था कि लाश किस की होगी?

लाश जब काफी नजदीक आई तो लोगों ने देखा कि वह किसी पुरुष की थी. उस का चेहरा काफी काला पड़ चुका था, जिस से उसे पहचानना मुश्किल था.

इस की सूचना पानीपत पुलिस को भी मिल गई थी. पुलिस मौके पर अपने साथ गोताखोरों को भी साथ ले आई. लाश बाहर निकलवाई तो देखा उस का चेहरा काफी झुलसा हुआ था. पुलिस ने चेहरा देखते ही अंदाजा लगा लिया कि यह आत्महत्या का नहीं, बल्कि हत्या का मामला है. लाश की पहचान मिटाने के लिए ही चेहरे को जला दिया गया था.

गला घोंटे जाने के निशान भी साफ नजर आ रहे थे. ये निशान बेल्ट या मोटी रस्सी के थे. लाश की एक कलाई पर अशोक और सोनू नाम का टैटू बना था.

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