चंदना हत्याकांड की गुत्थी काफी उलझी हुई थी. जांच अधिकारी के लिए यह मामला काफी चुनौतीपूर्ण था. उधर चंदना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई थी. रिपोर्ट में बताया गया कि उस के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ था. उस की मौत का कारण अत्यधिक खून बहना बताया गया था.

थानाप्रभारी शमीम अली ने चंदना हत्याकांड का खुलासा करने के लिए कई मुखबिर लगा दिए थे. इसी बीच जांच के दौरान उन्हें पता चला कि चंदना अपने पास मोबाइल फोन रखती थी और सब से छिपछिपा कर किसी से अकसर बातें करती थी. यह बात वंदना के अलावा कोई नहीं जानता था.

वंदना काफी छोटी थी. थानाप्रभारी शमीम ने सोचा अगर उस से डराधमका कर पूछताछ की गई तो वह डर जाएगी और फिर शायद ही कुछ बता पाए. इसलिए उस से बड़े प्यार और मनोवैज्ञानिक तरीके से बात करनी जरूरी थी. क्या करना है, यह फैसला कर के वह दीपचंद के घर जा पहुंचे.

पुलिस के हत्थे लगा चंदना का मोबाइल फोन

उन्होंने वंदना के सिर पर बड़े प्यार से हाथ फेरते हुए पूछा, ‘‘बेटा, तुम्हारा नाम क्या है?’’

‘‘वंदना.’’ वंदना ने डरते हुए जवाब दिया.

‘‘किस क्लास में पढ़ती हो?’’

‘‘चौथी क्लास में.’’ उस ने उत्तर दिया.

‘‘क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारी दीदी अपने पास एक मोबाइल रखती थी? वह मोबाइल कहां है?’’

‘‘जी सर, मुझे पता है दीदी अपने पास एक मोबाइल फोन रखती थी. यह भी पता है कि वह उसे कहां छिपा कर रखती थी.’’ वंदना ने कांपते स्वर में उत्तर दिया.

‘‘तो बताओ वह मोबाइल कहां छिपा कर रखती थी?’’ थानाप्रभारी ने बडे़ प्यार से उस के सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा.

‘‘मैं अभी लाती हूं.’’ वंदना ने जवाब दिया. फिर वह भागती हुई कमरे में गई और बक्से से मोबाइल फोन निकाल कर ले आई. उस ने मोबाइल थानाप्रभारी के हाथों में दे दिया. यह देख कर दीपचंद और उस की पत्नी भौचक्के रह गए. उन्हें पता ही नहीं था कि उन की बेटी उन की नाक के नीचे क्या गुल खिला रही थी. घर वालों को पता ही नहीं था कि छोटी बेटी भी उस के साथ मिली हुई थी. मांबाप माथा पकड़ कर बैठ गए.

‘‘बेटा, क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारी बहन चंदना किस से बात करती थी?’’ जांच अधिकारी ने वंदना से अगला सवाल किया.

‘‘सर, मुझे उस का नाम तो नहीं पता लेकिन मैं इतना जानती हूं कि दीदी छिपछिप कर किसी से बात करती थी. मैं ने उसे कई बार बातें करते हुए देखा था.’’

‘‘ठीक है बेटा, तुम जा सकती हो. इस के आगे का पता मैं खुद लगा लूंगा.’’ उन्होंने कहा और चंदना का मोबाइल फोन ले कर चले गए.

थानाप्रभारी शमीम अली सिद्दीकी के पास हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए मोबाइल ही आखिरी सहारा था. उन्होंने चंदना के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स से पता चला कि घटना वाले दिन यानी 16 मार्च की सुबह चंदना के फोन पर साढ़े 9 बजे के करीब आखिरी काल आई थी.

मोबाइल से पहुंची कातिल तक पुलिस

उस के बाद उस का मोबाइल स्विच्ड औफ हो गया था. जिस नंबर से चंदना को आखिरी काल आई थी, उस नंबर के बारे में पता लगाया गया तो पता चला कि वह नंबर मऊनाथ भंजन जिले के मुहम्मदाबाद गोहना थाना क्षेत्र के गांव उमनपुर निवासी विवेक कुमार चौहान का था. उस नंबर पर चंदना की काफी लंबीलंबी बातें होती थीं. पुलिस को यह समझते देर नहीं लगी कि मामला प्रेम प्रसंग का था. इसी प्रेम प्रसंग के चक्कर में उस की हत्या हुई थी.

जांच अधिकारी शमीम अली ने दीपचंद को थाने बुलवा कर विवेक कुमार चौहान के बारे में पूछताछ की तो दीपचंद विवेक का नाम सुन कर चौंक गया. उस ने बताया कि विवेक उस के पड़ोस में रहने वाले रामधनी का नाती है. वह अकसर अपने नानानानी से मिलने ननिहाल आता रहता था. वह जब भी यहां आता था, मेरे घर पर भी सब से मिल कर जरूर जाता था. वह बहुत सीधासादा लड़का है.

काल डिटेल्स के आधार पर विवेक शक के दायरे में आ चुका था. घटना वाले दिन से उस का भी फोन बंद था. लेकिन घटना वाले दिन उस के सेलफोन की लोकेशन घटनास्थल पर ही थी. इसी वजह से विवेक शक के दायरे में आ गया.

19 मार्च, 2018 को थानाप्रभारी शमीम अली गाजीपुर से पुलिस फोर्स ले कर मऊनाथ भंजन पहुंचे. मुहम्मदाबाद गोहना थाने की पुलिस की मदद से उन्होंने उमनपुर स्थित विवेक के घर पर दबिश दी. संयोग से विवेक घर पर ही था. पुलिस उसे हिरासत में ले कर गाजीपुर ले आई. फिर पुलिस ने उसे बहरियाबाद थाने ले जा कर उस से कड़ाई से पूछताछ की.

सख्ती से घबरा कर उस ने सब कुछ बता दिया. अपना जुर्म कबूलते हुए उस ने पुलिस को बताया कि चंदना उस की प्रेमिका थी और उसी ने चाकू से गोद कर उस की हत्या की थी. उस ने यह भी बताया कि उस ने हत्या में प्रयुक्त चाकू छिपा दिया था.

विवेक ने सिलसिलेवार पूरी कहानी बता दी. थानाप्रभारी ने विवेक की निशानदेही पर लल्लन के खेत से चाकू बरामद कर लिया. आरोपी विवेक से पूछताछ के बाद कहानी कुछ इस तरह पता चली.

चंदना विवेक से लड़ा बैठा था नैना

21 वर्षीय चंदना खूबसूरत तो थी ही, ऊपर से चंचल भी थी. चंदना के पड़ोस में रामधनी चौहान का घर था. रामधनी भले ही दीपचंद की जाति के नहीं थे, लेकिन रामधनी के घर से दीपचंद के परिवार जैसे प्रगाढ़ संबंध थे. रामधनी के घर जब भी कोई मेहमान आता था तो दीपचंद उसे बुला कर अपने घर ले आता और जम कर स्वागत करता. दीपचंद के मेहमाननवाजी से मेहमानों का दिल खुश रहता था.

रामधनी की बेटी का एक बेटा था जिस का नाम विवेक कुमार चौहान था. 21-22 वर्षीय विवेक कभीकभार नानानानी के घर बघांव आया करता था. वह मऊनाथ भंजन जिले के उमनपुर गांव में अपने मांबाप के साथ रहता था. उस के पिता का नाम था विजय बहादुर चौहान. वह सरकारी नौकरी में थे. उसी से 5 सदस्यों वाले परिवार का भरणपोषण होता था. विवेक ने स्नातक तक पढ़ाई कर के नौकरी करने का मन बना लिया था.

3 साल पहले यानी सन 2015 में बात तब की है जब विवेक इंटरमीडिएट में पढ़ रहा था. उन्हीं दिनों उस के ननिहाल बघांव में शादी थी. परिवार के साथ विवेक भी बघांव आया था. वहां उसे मामा के घर सप्ताह भर रहना था.

घर वालों के साथ चंदना भी शादी में शामिल हुई. चंदना खूबसूरत तो थी ही, जब वह सफेद रंग के कपड़े पहन लेती थी तो और भी सुंदर लगती थी. उस दिन भी चंदना ने सफेद रंग की पोशाक पहनी थी. इस पोशाक में वह सब से अलग और बहुत खूबसूरत लग रही थी. अचानक उस पर विवेक की नजर पड़ गई तो वह उसे कुछ देर अपलक निहारता रह गया. थोड़ी देर बाद चंदना उस की नजरों के सामने से ओझल हो गई तो उस की आंखें उसे इधरउधर ढूंढने लगीं. लेकिन वह कहीं नहीं दिखी.

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