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इस कहानी में सिर्फ 3 कैरेक्टर हैं, मैं यानी पत्नी, मेरे पति और उन की प्रेमिका. 3 किरदारों की कहानी क्या होगी, यह सुन कर आप को थोड़ा अजीब जरूर लगेगा,

लेकिन सच मानिए आप बोर नहीं होंगे. सब से पहले मैं आप को अपना परिचय देती हूं. मेरा नाम विधि है. इस कहानी में दूसरे अहम किरदार यानी मेरे पति का नाम देव है और कहानी के तीसरे और सब से खास किरदार, जिस की वजह से कहानी में विभिन्न मोड़ आए, वह एक प्रेमिका है, जिस के किरदार के बारे में आप को आगे पता चलेगा.

देव से मेरी शादी को अभी केवल एक साल हुआ था. हमारी अरेंज मैरिज थी. मैं बनारस की हूं और देव मेरठ के. वह मेरठ की चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में गणित के प्रोफेसर हैं. देव के और मेरे पिता बड़े गहरे दोस्त हैं. सच तो यह है कि देव के पिता को मैं बचपन से पसंद थी और वह चाहते थे कि मेरी और देव की शादी हो जाए. देव सुंदर भी थे और होनहार भी, इसलिए शादी में कोई प्रौब्लम नहीं थी.

सच तो यह है कि शादी के बाद देव ने मुझे जितना प्यार दिया, मैं निहाल हो गई. मुझे लगा ही नहीं कि हमारी अरेंज मैरिज है. सब कुछ लव मैरिज जैसा था. हम हनीमून के लिए उत्तराखंड की पहाडि़यों में गए और वहां हम ने खूब एंजौय किया. देव भले ही गणित के प्रोफेसर थे, लेकिन गणित की तरह बोरिंग बिलकुल नहीं थे. वह मुझे जोक्स सुनासुना कर हंसाते रहते थे. मुझे कई बार आश्चर्य होता था कि उन जैसे जिंदादिल व्यक्ति ने गणित जैसा बोरिंग सब्जेक्ट क्यों चुना?

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