सौजन्य: सत्यकथा

उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर पर बसा जिला सोनभद्र पहाड़, जंगलों, प्राकृतिक जलप्रपातों (झरनों) से घिरा एक अनूठा जिला है. यह जिला 4 राज्यों मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड की सीमाओं से सटा होने के साथ ही साथ ऐतिहासिक, पौराणिक तथा पर्यटन की असीम संभावनाओं से भरा हुआ उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक राजस्व देने वाला जनपद है.

इसी जिले के अंतर्गत एक कस्बा है घोरावल. घोरावल सोनभद्र जिला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर महज एक कस्बा ही नहीं, बल्कि ब्रिटिश शासन काल से पूर्व का ही व्यापारिक और धार्मिक, ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक दृष्टिकोण से काफी महत्त्वपूर्ण कस्बा रहा है.

घोरावल कस्बा सोनभद्र जिले के अंतिम छोर पर स्थित और मिर्जापुर जिले से लगा हुआ है. इसी कस्बे के वार्ड नंबर 10 में पन्नालाल गुप्ता (60 वर्ष) का परिवार रहता है, जो पेशे से सुनार हैं.

6 फरवरी, 2022 का दिन था. पन्नालाल काम के सिलसिले में सोनभद्र जाने के लिए तैयार हो रहे थे कि अचानक उन के मोबाइल फोन की घंटी बजने लगी. जब तक वह काल रिसीव करते, तब तक वह कट चुकी थी. मोबाइल फोन की स्क्रीन पर उन्होंने नजर डाली तो पता चला कि मोबाइल नंबर 7355313333 से काल आई थी. वह नंबर अपरिचित था.

काल बैक करें या नहीं, क्योंकि नंबर अपरिचित होने के साथसाथ बिलकुल अंजाना सा लग रहा था. फिर भी उन्होंने सोचा कि काल बैक करना चाहिए. क्योंकि हो सकता है किसी ग्राहक का फोन रहा हो.

दरअसल, इस के पीछे पन्नालाल का सोचना भी बिलकुल सही था. वह यह कि अभी भी ग्रामीण हिस्सों में बहुत से ऐसे लोग हैं जो आज भी ज्यादातर लोगों से बातचीत करने के लिए मिस काल करते हैं. इस के पीछे का सब से बड़ा कारण यह है कि वे मोबाइल में मिनिमम बैलेंस डाल कर सिर्फ एक्टिव किए रहते हैं. क्योंकि उन के बस की बात नहीं है कि 200 या 300 का हर माह वह रिचार्ज करा सकें.

यही सब सोच कर पन्नालाल ने उस नंबर पर काल बैक कर बात कर लेना उचित समझा. वह अभी इसी उधेड़बुन में थे कि सहसा उसी नंबर से दोबारा काल आ गई. उन्होंने जैसे ही काल रिसीव की, दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘हैलो, पन्नालाल गुप्ता बोल रहे हैं?’’

‘‘जी बोल रहा हूं, आप कौन?’’ काल करने वाले की बात उन्हें थोड़ी अटपटी जरूर लगी फिर भी उन्होंने सोचा कि कोई ग्रामीण होगा.

इस से कुछ और ज्यादा पूछ पाते कि इस के पहले ही दूसरी तरफ से फोन करने वाले ने तपाक से अपनी बात कह डाली, ‘‘सुनो, मैं कौन बोल रहा हूं, कहां से बोल रहा हूं. यह सब पता चल जाएगा. पहले जो मैं कह रहा हूं उसे सुनो, एक करोड़ तैयार कर लो वरना अंजाम बहुत बुरा होगा.

‘‘हां, एक बात और याद रखना. ज्यादा चालाक बनने की कोशिश मत करना और पुलिस को भूल कर भी मत बताना अन्यथा अंजाम बहुत बुरा होगा, इस की कल्पना भी तुम नहीं कर सकते कि…’’

इतना सुनना था कि ठंड के महीने में भी पन्नालाल गुप्ता को पसीना आने लगा. वह अपना पसीना अभी पोंछ भी नहीं पाए थे कि फोनकर्ता ने फिर रौब के साथ उन्हें धमकी देते हुए कहा, ‘‘सुनो, यह रकम कब, कहां और कैसे देनी है मैं फिर तुम्हें काल कर के बताऊंगा. लेकिन एक बात ध्यान देना कि मैं ने जो भी कहा है उसे हलके में मत लेना, वरना अंजाम भुगतने के लिए भी तुम तैयार रहना.’’ इतना कह कर उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

एक करोड़ का नाम सुनते ही अचानक पन्नालाल के होश फाख्ता हो गए. वह अपना माथा पकड़ कर बैठ गए थे. उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक उन के साथ यह हो क्या रहा है.

उन्होंने तो किसी का कुछ बिगाड़ा भी नहीं था, न ही उन का किसी से कोई विवाद हुआ था. तो भला उन से एक करोड़ रुपए वह भी किस बात के लिए कोई क्यों मांगेगा?

माथा पकड़ कर वह इसी सोच में उलझे हुए थे कि तभी अचानक घर के अंदर से पत्नी ने आवाज लगाई, ‘‘अरे, आप अभी यहीं बैठे हुए हैं. आप तो सोनभद्र जा रहे थे फिर अचानक क्या हुआ कि माथा पकड़ कर बैठ गए हैं?’’

पति द्वारा कोई जवाब न मिलने से उन की पत्नी सुनैना (काल्पनिक नाम) ने करीब में आ कर उन के सिर पर अपनत्व का हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘क्या हुआ, आप की तबीयत तो ठीक है ना. अचानक क्या हुआ आप माथा पकड़ कर बैठ गए हैं कोई बात है क्या?’’

पत्नी सुनैना का इतना कहना ही था कि पन्नालाल फफक पड़े और पूरी आपबीती पत्नी सुनैना को कह सुनाई. पति के मुंह से बदमाशों द्वारा एक करोड़ मांगे जाने की बात सुनते ही सुनैना के भी होश उड़ गए थे. वह भी माथा पकड़ कर बैठ गई थी.

दोनों पतिपत्नी को कुछ सूझ नहीं रहा था कि वह करें तो क्या करें? काफी देर तक दोनों एक ही जगह पर बैठे इसी सोच में उलझे हुए थे कि कहीं यह किसी गुंडेबदमाश की हरकत तो नहीं है?

यही सब सोच कर जहां उन का अंदर से तनमन कांपे जा रहा था, वहीं वे दोनों तमाम शंकाओंआशंकाओं में उलझे हुए थे. कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करें.

किसी प्रकार 6 फरवरी इतवार का दिन बीता था. इस बीच सगेसंबंधियों तथा नातेरिश्तेदारों के सुझाव पर इस की सूचना पुलिस को देना मुनासिब समझते हुए पन्नालाल गुप्ता दूसरे दिन यानी 7 फरवरी, 2022 दिन सोमवार को कस्बे के कुछ संभ्रांत लोगों को ले कर घोरावल कोतवाली पहुंच गए, जहां उन्होंने थानाप्रभारी देवतानंद सिंह को पूरी आपबीती सुनाने के बाद सुरक्षा की गुहार लगाई.

पन्नालाल गुप्ता की तहरीर ले कर थानाप्रभारी ने उन्हें काररवाई का भरोसा दिला कर घर भेजते हुए कहा, ‘‘यदि किसी प्रकार की धमकी भरा फोन आए तो वह तुरंत सूचना पुलिस को दें तथा घबराएं नहीं. उन्हें न्याय और सुरक्षा मिलेगी.’’

थानाप्रभारी से मिले आश्वासन से आश्वस्त हो कर पन्नालाल अपने घर तो लौट आए थे, लेकिन फिर भी उन के मन में एक भय बना हुआ था.

दूसरी ओर थानाप्रभारी देवतानंद सिंह भी एक करोड़ की वसूली के इस केस में उलझे हुए थे और बिना किसी का अपहरण किए एक करोड़ रुपए की मांग करना पुलिस के लिए गंभीर बात थी. वह समझ नहीं पा रहे थे कि यह किसी की शरारत है या महज इत्तेफाक.

फिर भी उन्होंने मामले को हलके में न ले कर तुरंत अपने उच्चाधिकारियों को न केवल इस घटनाक्रम से अवगत करा दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की धारा 34, 411, 414, 201, 384 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर काररवाई प्रारंभ कर दी.

उन्होंने इस मामले की जांच घोरावल कस्बा चौकीप्रभारी एसआई देवेंद्र प्रताप सिंह को सौंप दी.

कई प्रमुख नक्सलवादी घटनाओं के कारण यह जिला पूरे देश में सुर्खियों में बना रहा है. ऐसे में पुलिस अधिकारी इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए हर दृष्टिकोण से इस मामले की तहकीकात में जुट गए.

पुलिस को इस बात की भी आशंका थी कि कहीं अपनी कमजोर हो चुकी रीढ़ को मजबूत करने के लिए नक्सलियों की यह कोई सोचीसमझी साजिश तो नहीं है.

घोरावल के व्यापारी से एक करोड़ की फिरौती मांगने के मामले में अज्ञात अभियुक्तों को खोजने व शीघ्र गिरफ्तारी के लिए डीआईजी (सोनभद्र) अमरेंद्र प्रसाद सिंह द्वारा एएसपी (मुख्यालय) विनोद कुमार, एएसपी (औपरेशन) तथा सीओ (घोरावल) को जहां विशेष तौर पर निर्देश दिए गए थे, वहीं सीओ की देखरेख में अपराध शाखा की स्वाट, एसओजी, सर्विलांस टीम व प्रभारी निरीक्षक घोरावल के साथ कुल 4 संयुक्त टीमों का गठन किया गया.

जिस फोन नंबर से व्यापारी पन्नालाल को धमकी दे कर पैसे मांगे गए थे, जांच करने पर उस फोन की लोकेशन प्रतापगढ़ के थाना आसपुर देवसरा क्षेत्र स्थित सारडीह टावर क्षेत्र की मिली.

इतनी जानकारी मिलने के बाद पुलिस को अब आगे बढ़ कर उसे दबोचना था ताकि यह पता चल सके कि धमकी देने वाला व्यक्ति कौन है.

यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस टीम सोनभद्र से जिला प्रतापगढ़ के लिए रवाना हो गई.

उस मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर पुलिस टीम जब सुलतानपुर जिले के चांदा से पट्टी जाने वाली सड़क पर गांव रामनगर में पुलिया के पास पहुंची तो 2 युवकों ने पुलिस टीम को देख कर भागने का प्रयास किया. शक होने पर पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया.

पकड़े गए व्यक्तियों के पास से चोरी के 2 फोन बरामद हुए, जिस में से एक फोन का प्रयोग धमकी दिए जाते समय किया गया था. पूछताछ के दौरान इन के द्वारा जुर्म स्वीकार किया गया. यह बात 11 फरवरी, 2022 की है.

घोरावल के ज्वैलर से एक करोड़ की फिरौती मामले में गिरफ्तार दोनों युवकों को पुलिस टीम सोनभद्र ले आई, जिन्हें 12 फरवरी, 2022 को सोनभद्र के सदर कोतवाली में एएसपी विनोद कुमार ने प्रैसवार्ता आयोजित कर मीडिया के सम्मुख केस का खुलासा किया.

ज्वैलर से एक करोड़ की फिरौती मामले में गिरफ्तार किए गए दोनों युवक जो सगे भाई थे, ने पुलिस के सामने जो खुलासा किया वह सभी को न केवल अचरज में डाल देने वाला था, बल्कि मायावी दुनिया (टीवी सीरियल) की चकाचौंध से प्रेरित हो कर अपराध की राह पर चल पड़ने से जुड़ा था, जो कुछ इस प्रकार निकला—

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले के थाना चांदा क्षेत्र के अंतर्गत एक गांव पड़ता है रामनगर. इसी गांव के निवासी हैं राधेश्याम मिश्रा उर्फ श्यामू. राधेश्याम मिश्रा की हैसियत और पहचान गांव में बहुत अच्छी नहीं है.

उन के 2 बेटे 23 वर्षीय अंकित मिश्रा व 22 वर्षीय आयुष मिश्रा उर्फ सागर उर्फ गुड्डू भी कोई कामधाम न कर पूरे ठाटबाट से जीवन जीने का सपना देखा करते थे. यही कारण था कि उन्होंने अपराध का रास्ता अख्तियार कर लिया और चोरी इत्यादि की वारदातों को अंजाम देने के साथ ही साथ बड़ा बनने के सपने हमेशा बुनने लगे थे.

अपनी आपराधिक आदतों के चलते दोनों सगे भाई अंकित और आयुष मिश्रा कई बार जेल भी जा चुके थे. लखनऊ, सुलतानपुर जिलों में उन के खिलाफ कई मामले विभिन्न धाराओं में दर्ज हैं. उन मामलों में पुलिस इन्हें सरगर्मी से तलाश रही थी.

पकड़े गए अंकित मिश्रा व उस के भाई आयुष मिश्रा उर्फ सागर उर्फ गुड्डू ने पुलिस टीम को पूछताछ में बताया कि इस बार वे दोनों कुछ लंबा हाथ मार कर करोड़पति बनने का ख्वाब देख रहे थे.

इसी उधेड़बुन में दोनों जुटे हुए थे कि उन के हाथ चोरी का एक मोबाइल लग गया. कुछ साल पहले बनी वेब सीरीज ‘मिर्जापुर’ से प्रेरित हो कर वह ऐसे ही उसी चोरी के मोबाइल फोन नंबर से नंबर डायल कर रहे थे कि संयोग से यह नंबर सोनभद्र जिले के घोरावल के व्यापारी पन्नालाल गुप्ता का लग गया.

ट्रूकालर पर व्यापारी का नाम देख कर उन्हें लगा कि वह बड़ा व्यापारी होगा और इसीलिए उन्होंने उस से एक करोड़ रुपए की मांग रखी.

पुलिस के मुताबिक दोनों युवक पहले भी चोरी व लूट के मामले में भी आरोपी रहे हैं. पूछताछ में उन के पास से धमकी दिए जाने वाले मोबाइल और सिम को बरामद करने के बाद पुलिस टीम ने दोनों सगे भाइयों को सक्षम न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था.

पुलिस टीम में एसओजी प्रभारी मोहम्मद साजिद सिद्दीकी, थानाप्रभारी (घोरावल) देवतानंद सिंह, एसआई सरोजमा सिंह, देवेंद्र प्रताप सिंह, अमित त्रिपाठी, हैडकांस्टेबल अरविंद सिंह, अमर सिंह, शशि प्रताप सिंह, कांस्टेबल हरिकेश यादव, रितेश पटेल आदि को शामिल किया गया.

डीआईजी/एसएसपी अमरेंद्र प्रताप सिंह ने केस का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को 25 हजार रुपए का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की.

—कथा पुलिस तथा समाचार पत्रों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है

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