आखिरी सेल्फी : भाग 1

आखिरी भाग

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भाग 2

दबंग शंकर के सामने टीकूराम की हिम्मत नहीं थी कि अंजू पर पाबंदी लगाए, क्योंकि अंजू भी शंकर के रंग में रंगी हुई थी. दूसरी ओर जाट समुदाय के लोग शंकर के पिता भंवराराम से बदनामी की बात कह कर शंकर के अंजू की ओर बढ़ते कदमों को रोकने को कहते थे. लेकिन भंवराराम में भी बेटे को कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी.

फलस्वरूप अंजू और शंकर के प्रेम संबंधों और साथ घूमने पर कोई पाबंदी नहीं लग सकी. इस से हार कर टीकूराम ने अपने समाज के लोगों से कहा कि वह अंजू की शादी कर देगा तो अंजू और शंकर का मिलनाजुलना खुद ही बंद हो जाएगा. लोगों को उस की यह बात सही लगी.

आननफानन में थोड़ा परदा रख कर अंजू के लिए लड़का ढूंढा गया. चौहटन से दूर गौरीमुल्ला इलाके के गांव खारी में अंजू के लिए अरुण नाम का लड़का पसंद कर लिया गया. हाथोंहाथ शादी की बात पक्की कर दी गई, तारीख भी तय हो गई. हालांकि अंजू ने विरोध किया लेकिन घर वालों के सामने उस की एक नहीं चली. शंकर भी उस वक्त जालौर में था, अंजू की शादी की बात उसे बाद में पता चली.

मार्च के अंत में अरुण बारात ले कर आया और अंजू को ब्याह कर अपने घर ले गया. अंजू 2 महीने ससुराल में रही. इस बीच अंजू और शंकर फोन पर लगातार बातें करते रहे. शादी की बात को ले कर शंकर को कोई शिकवा नहीं था. हां, अंजू जरूर ग्लानि महसूस करती थी.

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