भाग 1

कोई जहरीली चीज खा कर, फंदा लगा कर और हाथ की नस काट कर तो आत्महत्या के मामले सामने आते रहते हैं. लेकिन अंजू और शंकर ने जिस तरह एकदूसरे को गोली मार कर आत्महत्या की, ऐसा देखनेसुनने में नहीं आया. अलबत्ता फिल्म ‘इशकजादे’ और ‘रामलीला: गोलियों की रासलीला’ का अंत जरूर ऐसा था. आखिर अंजू और शंकर ने ऐसा क्यों किया…

सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म है, जिस की लोकप्रियता तो बुलंदी पर है ही, इस का नशा भी सिर चढ़ कर बोल रहा है. महानगरों और बड़े शहरों की बात तो छोडि़ए, कस्बों से ले कर गांवों तक के लोग इस नशे के आदी हो गए हैं.

ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो सुबह को सो कर उठने के बाद सब से पहले अपनी फेसबुक और वाट्सऐप का स्टेटस चैक करते हैं. पेशे से ड्राइवर धरमाराम अपने भाई शंकर के वाट्सऐप ग्रुप से जुड़ा था. उस दिन सुबह उठ कर उस ने मोबाइल पर अपना स्टेटस देखा तो सन्न रह गया. उस ने जो देखा, वह दिल दहला देने वाला था.

धरमाराम ने देखा कि वाट्सऐप ग्रुप में सुबह 3.58 बजे 15 फोटो और एक वीडियो डाले गए थे. फोटो उस के भाई शंकर और उस की प्रेमिका अंजू के थे, जिन में से कुछ में दोनों एकदूसरे को किस कर रहे थे तो कुछ में एकदूसरे के कंधों पर हाथ रखे खड़े थे.

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सारे फोटो सेल्फी के थे, इन में से कुछ सेल्फी शंकर ने तो कुछ अंजू ने ली थीं, जो उन के हाथों के डायरेक्शन से पता चल रही थीं. फोटो के अलावा छोटेछोटे 6 वीडियो और 3 औडियो थे. औडियो में शंकर और अंजू की आवाज थी, जिस में दोनों एक ही बात कह रहे थे कि वे लोग जो कदम उठा रहे हैं, अपनी मरजी से उठा रहे हैं. इस के लिए किसी को परेशान न किया जाए.

इस के बाद का वीडियो देख कर धरमाराम दहल गया. क्योंकि एक वीडियो में शंकर और अंजू अपनीअपनी कनपटी पर पिस्तौल रखे हुए थे. देखतेदेखते 4 बज कर 15 मिनट पर एक साथ 2 गोलियां चलीं और दोनों जमीन पर गिरते नजर आए.

धरमाराम समझ गया कि शंकर और अंजू ने आत्महत्या कर ली है. वाट्सऐप ग्रुप पर फोटो, औडियो और वीडियो डालने का समय 3 बज कर 58 मिनट से 4 बज कर 15 मिनट के बीच था. उम्मीद तो नहीं थी, फिर भी धरमाराम ने यह सोच कर शंकर के मोबाइल पर काल की कि क्या पता भाई की जान बच जाए. लेकिन दूसरी ओर फोन नहीं उठाया गया.

धरमाराम समझ गया कि शंकर ने अपनी प्रेमिका अंजू के साथ सुसाइड कर लिया है. उस ने अपने वाट्सऐप ग्रुप के मेंबरों को यह बात बताई तो सभी ने अपनेअपने मोबाइलों पर मौत का भयावह दृश्य देखा. जरा सी देर में यह बात पूरे लालसर गांव में फैल गई.

लोग घर से निकल कर इस खोज में लग गए कि शंकर और अंजू ने आत्महत्या कहां की. थोड़ी खोजबीन के बाद दोनों की लाशें लालसर से थोड़ी दूर स्थित श्मशान के पास रेत में पड़ी मिलीं. दोनों के हाथों में पिस्तौल थीं.

किसी ने इस घटना की सूचना थाना चौहटन को दे दी थी. इंसपेक्टर राकेश ढाका पुलिस टीम के साथ लालसर पहुंच गए. उन्होंने घटना की सूचना उच्चाधिकारियों और फोरैंसिक टीम को दे दी.

पुलिस टीम ने घटनास्थल पर जा कर देखा तो युवक और युवती की लाशों के मुंह विपरीत दिशा में थे लेकिन दोनों की पीठ मिली हुई थीं. दोनों के हाथों में पिस्तौल थीं और चेहरे खून से तर.

घटनास्थल पर माचिस, सिगरेट का पैकेट, बीयर और पानी की बोतल पड़ी थीं. लाशों के पास एक मोबाइल भी पड़ा मिला. एसपी राशि डोगरा और फोरैंसिक टीम के आने के बाद इन सभी चीजों को काररवाई के बाद जाब्ते में ले लिया गया.

गांव वालों से यह बात पता चल गई थी कि आत्महत्या करने वाला युवक शंकर है और युवती अंजू. दोनों लालसर गांव के ही रहने वाले थे. एसपी राशि डोगरा मौकामुआयना कर के वापस चली गईं.

उन के जाने के बाद इंसपेक्टर राकेश ढाका ने दोनों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए चौहटन सीएचसी भेज कर गांव वालों से पूछताछ की. मृतक के पिता भंवराराम ने पुलिस को बताया कि उसे सुबह पता चला कि उस के बेटे शंकर की लाश श्मशान के पास रेत के टीले पर पड़ी है. उस के साथ अंजू की लाश भी वहीं पड़ी है.

गांव वालों के साथ वह मौके पर पहुंचा तो श्मशान के पास दोनों की लाशें पड़ी मिलीं. दोनों के हाथों में पिस्तौल थीं. भंवराराम ने यह भी बताया कि शंकर और अंजू एकदूसरे को प्यार करते थे.

उधर अंजू के पिता टीकूराम सुथार ने कुछ और ही कहानी बताई. उस के अनुसार, शंकर जाट और मूलाराम उन की बेटी का यौनशोषण करते थे. 12 जून की रात शंकर और मूलाराम मोटरसाइकिल से उस के घर आए. शंकर ने अंजू को फोन कर के धमकी दी और उसे घर के बाहर बुलाया. फिर अंजू को मोटरसाइकिल पर बैठा कर ले गए. रात में शंकर और उस के 2 साथियों ने शराब पार्टी की. उन्होंने उस की बेटी अंजू को भी जबरन शराब पिलाई और उस के साथ गैंगरेप किया. बाद में इन लोगों ने उसे गोली मार दी. पुलिस ने टीकूराम की रिपोर्ट दर्ज कर ली.

एसपी राशि डोगरा ने उसी दिन प्रैस कौन्फ्रैंस में बताया कि लालसर गांव के श्मशान के पास एक लड़की और लड़के की लाशें पड़ी मिलीं. युवती 18-19 साल की थी और लड़का 20-21 साल का. दोनों के हाथों में पिस्तौल थीं और उन्होंने अपनीअपनी कनपटी पर गोली मार कर आत्महत्या की थी.

पत्रकारों ने जब एसपी से पिस्तौलों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि राजस्थान का सीमावर्ती इलाका होने की वजह से वहां हथियारों की तस्करी होती है. पिस्तौलों की बात जांच का विषय है, हम जांच करेंगे. पुलिस जांच में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस तरह थी—

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21 वर्षीय शंकर जाति से जाट था और 18 वर्षीय अंजू जाति से सुथार (बढ़ई) थी. दोनों में करीब 2 साल पहले प्यार हो गया था. शंकर और अंजू बेखौफ साथसाथ बाहर आनेजाने लगे थे. शंकर चूंकि दबंग लड़का था, इसलिए अंजू के घर वाले भी उसे कुछ नहीं कह पाते थे. वह अंजू को बाइक पर बैठा कर शहर घुमाने ले जाता था. दोनों ने शादी करने और साथसाथ जीनेमरने की कसमें खा ली थीं.

कसम खाने से पहले अंजू ने शंकर से पूछा था, ‘‘हमारी जातियां अलगअलग हैं. ऐसे में समाज हमें शादी करने देगा?’’

शंकर ने एक मोटी सी गाली दे कर कहा, ‘‘शादी हम दोनों को करनी है, समाज को नहीं. कौन रोकेगा हमें?’’

इस बात से अंजू को काफी सकून मिला और वह भावुक हो कर शंकर के सीने से लग गई. शंकर जालौर में ठेकेदारी का काम करता था. वह सीमेंट, चिनाई, प्लास्टर वगैरह के ठेके लेता था. इस काम में उसे अच्छी आय थी.

दूसरी और सुथार समाज के लोग अंजू के पिता टीकूराम पर दबाव डाल रहे थे कि अंजू और शंकर के संबंधों की वजह से समाज की बदनामी हो रही है, इसलिए वह अपनी बेटी पर पाबंदी लगाए.

क्रमश:

सौजन्य : मनोहर कहानियां

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