सौजन्य- मनोहर कहानियां

कानपुर के इत्र और पान मसाला कारोबारी पीयूष जैन के यहां टैक्स चोरी को ले कर हुई रेड में जितनी बड़ी तादाद में पैसा मिला, उसे देख कर यही लग रहा था कि यह किसी बौलीवुड फिल्म का दृश्य है. पीयूष जैन के पास यह पैसा कहां से आया, जांच में यह तो पता चल ही जाएगा लेकिन देश में पीयूष जैन सरीखे अनेक मगरमच्छ बैठे हैं. अगर विभाग के अधिकारी नजरें टेढ़ी करेंगे तो उन का भेद खुलने में समय नहीं लगेगा क्योंकि…

गुटखा खाने वाले किसी भी व्यक्ति को शायद ही पता हो कि उस के 5 रुपए वाले एक पाउच पर 3 रुपए के करीब सरकार को जीएसटी के रूप में टैक्स जाता है. पान मसाला बनाने वाले कारोबारी उसे ही चुराने की कोशिश में लगे रहते हैं, जो काफी सुनियोजित तरीके से होता है.

सरकार ने जीएसटी यानी गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स, जिसे हिंदी में वस्तु एवं सेवा कर कहा जाता है, की चोरी को रोकने के कई इंतजाम किए हैं. सरकार का एक डिपार्टमेंट ‘डायरेक्टोरेट जनरल औफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई)’ बनाया गया है. फिर भी कारोबारी इस टैक्स को चुराने का कोई न कोई तरीका निकाल ही लेते हैं.

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शुरुआत पाउच छापने वाली कंपनी से

अगस्त 2021 की बात है. कोविड-19 मामले कम होने पर अनलौक से मिली छूट के बाद छोटीबड़ी फैक्ट्रियों में काम शुरू हो चुका था. माल के प्रोडक्शन और सप्लाई के काम में भी तेजी आने लगी थी, फिर भी सरकार के पास जीएसटी की राशि में वृद्धि नहीं हो पा रही थी.

इसे देखते हुए सरकारें सख्त हुईं और जीएसटी विभाग से सवाल किया गया. फिर डीजीजीआई सक्रिय हुई और उस ने कंपनियों की जांच करने की योजना बनाई.

इसी सिलसिले में राजधानी दिल्ली में पान मसाला कंपनियों के लिए पैकेजिंग मटेरियल बनाने वाली यूफ्लेक्स कंपनी के यहां 10 अगस्त को डीजीजीआई के अधिकारी पहुंचे. वहां बड़ी मात्रा में गुटखे के पाउच (सैशे) बनते देख कर उन्हें काफी हैरानी हुई. वे काफी अचंभित हो गए, क्योंकि जिस अनुपात में गुटखे के पाउच और पैकिंग के दूसरे सामान प्रिंट हो रहे थे, उस की तुलना में सरकार को तैयार गुटखे से जीएसटी बहुत ही कम मिल रहा था.

दूसरी बात यह भी थी कि कोरोना से बचाव को ले कर कई जगहों पर गुटखा खाने और थूकने पर प्रतिबंध भी लगा हुआ था. उस के बाद डीजीजीआई की नजर गुटखा और उस से संबंधित मटेरियल सप्लाई करने वाली कंपनियों पर टिक गई.

उन्हें समझने में देर नहीं लगी कि ये कंपनियां निश्चित तौर पर अधिक माल बना रही हैं और जीएसटी का पैसा धड़ल्ले से चुराने में लगी हुई हैं. उस के लिए उन्हें धर दबोचने और उन के ठिकानों पर रेड मारने के लिए बाकायदा टीम बनाई गई.

इस सिलसिले में शुरुआत मेरठ की उस कंपनी से हुई, जिस का पाउच प्रिंट हो रहा था. डीजीजीआई मेरठ की टीम ने बड़े कारोबारी और एसएनके पान मसाला के मालिक नवीन कुरेले और निदेशक अविनाश मोदी को गिरफ्तार कर लिया. उन की गिरफ्तारी जीएसटी एक्ट की धारा 132(1)ए के तहत की गई.

उस के 24 घंटे चली जांच के बाद की गई काररवाई में करीब 50 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी से जुड़ा मामला सामने आया. हालांकि इस मामले में कई और लोगों की गिरफ्तारी हुई. जीएसटी लागू होने के

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बाद किसी बड़े कारोबारी की शहर में पहली गिरफ्तारी थी, जो बेहद सनसनीखेत बन गई थी.

जीएसटी की धारा 132 से बड़ेबड़े कारोबारी घबराते हैं. कारण केवल इसी ऐक्ट के तहत जीएसटी अफसरों को गिरफ्तारी का अधिकार मिला हुआ है. बड़े पान मसाला कारोबारी नवीन कुरेले और अविनाश मोदी की गिरफ्तारी इसी ऐक्ट के उल्लंघन के कारण हुई थी. उन पर करीब 75 करोड़ रुपए के मैटेरियल की बिक्री बगैर इनवायस के बेचने के आरोप लगाए गए थे.

गुटखा लदा ट्रक बना जरिया

फिर क्या था, डीजीजीआई टीम ने पान मसाला और गुटखा के गढ़ कानपुर का रुख कर लिया था, लेकिन उन्होंने देशभर में ट्रांसपोर्ट के ट्रकों की चैकिंग में भी सख्ती बढ़ा दी थी. व्यापार के केंद्र गुजरात में हर नाके और चैकिंग पोस्ट पर सक्रियता बनी हुई थी.

अहमदाबाद में चैकपोस्ट पर रुके ट्रक पर जरूरत से अधिक लदे माल को देख कर एक सिपाही ने ड्राइवर को टोका, ‘‘तुम्हारा ट्रक इतना ओवरलोड क्यों है? गाड़ी के वजन की रसीद दिखाओ. माल के बाकी पेपर भी लाओ.’’

‘‘जी, अभी दिखाता हूं,’’ यह कहते हुए ट्रक ड्राइवर ने अपनी सीट के बगल में रखे थैले में से कागजातों से भरी एक फाइल निकाली और सिपाही को पकड़ा दी.

‘‘लीजिए देखिए, सारे पेपर इसी में हैं.’’

‘‘ठीक है, ठीक है. तुम नीचे आओ.’’ सिपाही फाइल ले कर बोला और चैकपोस्ट के पास कुरसियों पर बैठे 3 पुलिसकर्मियों के पास जा कर फाइल पकड़ा कर बोला, ‘‘सर, यह फाइल उस ड्राइवर के ट्रक की है. उस ने काफी ओवरलोड कर रखा है. पूरे ट्रक में कार्टन भरे हैं. कुछ पर लगे लेबल से लगता है उन में पान मसाला का माल है.’’

‘‘अच्छा,’’ कुरसी पर बैठे पुलिस वाले ने ट्रक की ओर नजर घुमाई. तब तक उस का ड्राइवर भी वहां आ चुका था.

‘‘तुम उस ट्रक के ड्राइवर हो? क्या माल है उस में?’’

‘‘मुझे क्या मालूम? सब कुछ फाइल के कागज में लिखा है.’’

पुलिसकर्मी फाइल से कागज निकाल कर एकएक कर पलटने लगे. एक पेपर पर नजर टिक गई. कुछ सेकेंड बाद बोले, ‘‘इस में तो केवल 30 बंडल ही लिखा है, लेकिन तुम्हारा ट्रक तो काफी भरा हुआ है. माल का बिल्टी भी नहीं है. चलो, अपना ड्राइविंग लाइसेंस दिखाओ.’’ पुलिस अधिकारी ने कहा.

‘‘वह भी इसी फाइल में होगा. ठीक से देखिए न साहब,’’ ड्राइवर बोला.

अधिकारी ने उस की फाइल के भीतर बने एक पौकेट से ड्राइविंग लाइसैंस निकाल कर अपने पास रख लिया और कुरसी से उठ गए. उसे साथ चलने का इशारा कर ट्रक की ओर बढ़ गए. उन के पीछेपीछे 2 सिपाही भी चल पड़े.

ट्रक के पास पहुंच कर अपने सिपाहियों को उस पर लदा माल चैक करने को कहा. दोनों सिपाही ट्रक के पीछे से चढ़ गए. वहां जा कर उस ने कहा, ‘‘साहबजी, इस पर कुछ पेटियों में शिखर गुटखा का लेबल चिपका है, लेकिन कई कार्टन में कोई लेबल नहीं है. क्या करूं, दोनों तरह के कार्टन उतारूं क्या?’’

‘‘नहींनहीं, नीचे उतारने की जरूरत नहीं है. ट्रक को सीज कर लो.’’ अधिकारी ने कहा.

इतना कहना था कि ट्रक ड्राइवर हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाने लगा, ‘‘साहबजी, मुझे जाने दीजिए न. माल जल्दी मुंबई पहुंचाना है. वहां से वापस भी लौटना है.’’

‘‘तुम मालिक को फोन करो. इस में कइयों का जीएसटी कटा हुआ बिल भी नहीं है.’’ जांच अधिकारी बोले.

उस के बाद ट्रक पर लदे माल से ले कर उस से संबंधित तमाम आवश्यक सरकारी दस्तावेजों की जांच होने लगी.

गुजरात की जिस ट्रांसपोर्ट कंपनी गणपति रोड कैरियर की संदिग्ध इनवाइस अधिकारियों के हाथ लगी थी, उस के संचालक प्रवीण जैन से बात हुई. उन का कहना था कि यह माल उन का नहीं है.

उसी रोज सितंबर 2021 के महीने में प्रवीण के घर पर छापेमारी हुई, जिस में उन के घर से 45 लाख रुपए और औफिस से 56 लाख रुपए की नकदी मिली. हालांकि प्रवीण जैन ने माल के जीएसटी की पूरी रकम फाइन के साथ चुका कर माल को बचा लिया.

उसी दौरान जीएसटी विभाग के सामने कई गलतफहमियां हो गईं. जिसे बोलचाल की भाषा में ‘डिजिटल एरर’ या ‘टाइपो मिस्टेक’ कह कर पल्ला झाड़ लिया जाता है.

‘पी’ अक्षर से शुरू होने वाले 3 नाम सामने आ गए थे, जिन में प्रवीण जैन, पीयूष जैन और समाजवादी पार्टी के पूर्व एमएलसी पुष्पराज जैन उर्फ पंपी जैन के थे. जैसा कि डिजिटल टेक्नोलौजी में होता है कि एक से मिलतेजुलते कई नाम अकसर सामने आ जाते है. जीएसटी विभाग के जांच करने वाले अधिकारियों के साथ भी ऐसा ही हुआ. तीनों जैन के नाम एक साथ मिलतेजुलते पते के साथ सामने आ गए.

जीएसटी विभाग आया ऐक्शन में

जीएसटी विभाग के अधिकारियों के सामने गलतफहमियां भले ही गहरा गई थीं, लेकिन ड्राइवर की वजह से देश में बड़े पैमाने पर होने वाली जीएसटी चोरी का राज खुलने की उम्मीद बन गई थी.

इसे देखते हुए विभाग ने पान मसाला से मिलने वाले टैक्स की चोरी के मामलों को उजागर करने के लिए छापेमारी और उन की जांच रीजनल इकोनौमिक इंटेलिजेंस कमेटी (आरईआईसी) को सौंपने की योजना बनाई.

वाणिज्य कर कमिश्नर द्वारा एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-1 और एडिशनल कमिश्नर (एसआईबी) को निर्देश दिए गए. साथ ही आरईआईसी को रिपोर्ट सौंपने के लिए एक फार्मेट भी बनाया गया.

तब तक पान मसाला की 5 कंपनियों पर छापेमारी हो चुकी थी, जो अधिकतर कानपुर के थे. यह पहला मौका था जब शीर्ष पान मसाला के कारोबार में टैक्स चोरी की जांच करने के लिए राज्य स्तरीय खुफिया एजेंसी से करवाने का फैसला लिया गया.

इस संबंध में बड़े अधिकारियों की ताबड़तोड़ बैठकें हुईं. पान मसाला फर्म में छापा मारने का समय, माल सीज करने की अनुमति, कंपनी के नाम का रजिस्ट्रैशन, उस के मालिक और डायरेक्टरों के नामपते आदि के साथसाथ पैन, टैन, डिन, आरओसी आदि के रजिस्ट्रैशन की तारीखें आदि की जानकारी जुटाने के काम सौंपे गए.

इस के अतिरिक्त टैक्स चोरी के तरीके क्याक्या हैं, नए रास्ते अपना कर टैक्स चोरी कैसे की जा रही है, इन पर खुफिया जांच समिति को रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए.

गुजरात में जीएसटी विभाग द्वारा पकड़े गए ट्रक में शिखर पान मसाला माल के साथ करीब 200 फरजी इनवाइस मिले थे. उस के बाद से ही डीजीजीआई की टीम ने कानपुर में डेरा डाल दिया था. इस में कई बड़े कारोबारी और समाजवादी पार्टी के पूर्व एमएलसी तक से तार जुड़ते नजर आ रहे थे. इस की वजह थी, उस कारोबारी ने ‘समाजवादी इत्र’ नाम का ब्रांड बाजार में उतारा था.

हालांकि फरजी इनवाइस और माल के साथ पकड़ा गया ट्रक गणपति ट्रांसपोर्ट प्रवीण जैन का था. प्रवीण का संबंध कानपुर के पीयूष जैन के भाई अमरीश जैन से है. वह उस के बहनोई हैं. उन के नाम करीब 40 से ज्यादा फर्म हैं. फरजी फर्म के नाम से इनवाइस शिखर गुटखा प्राइवेट लि. पता 51/47 नयागंज, कानपुर की ओर से काटी गई थी.

उस कंपनी के डायरेक्टर प्रदीप कुमार अग्रवाल और उन के भाई दीपक अग्रवाल हैं. वे भी जीएसटी विभाग के निशाने पर आ गए. फिर क्या था, 22 दिसंबर 2021 को डीजीजीआई अहमदाबाद की टीम ने नयागंज स्थित शिखर गुटखा और ट्रांसपोर्टर प्रवीण जैन के आनंदपुरी घर के साथसाथ औफिस में एक साथ छापेमारी की. वहीं उन्हें पीयूष जैन के पास भारी मात्रा में पैसा होने की जानकारी मिली.

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पीयूष जैन के घर छापेमारी

अगले रोज ही 23 दिसंबर, 2021 को पीयूष जैन को सूचना मिली कि डीजीजीआई की टीम कानपुर स्थित उन के घर छापा मारने पहुंच रही है. इस सूचना के बाद पीयूष जैन पहले ही फरार हो गए. पीयूष की पहचान और परिचय कारोबार जगत में इत्र कारोबारी के रूप में है.

वह सरल जीवन जीने वाले व्यक्ति हैं. उन के पास पुराने मौडल की फोरव्हीलर है, लेकिन कहीं भी आनाजाना स्कूटर के जरिए ही करते हैं. वे इत्र कारोबार के अलावा पान मसाला के सप्लायर भी हैं.

टीम ने जब छापेमारी शुरू की, तब अलमारियों में रखे नोटों के बंडल देख कर उन के होश उड़ गए और बंडलों के नोटों की गिनती करना मुश्किल हो गया. टीम के सामने नोटों का ढेर लग गया था. टीम के लोग जहां भी हाथ डालते, अलमारी खोलने से ले कर बैड और तहखाने तक की तलाशी लेने के लिए जाते, वहीं नोटों के बंडल मिलते.

इस की खबर जैसे ही मीडिया में आई तो लोगों के सामने कुछ साल पहले आई अजय देवगन अभिनीत फिल्म ‘रेड’ घूम गई. जिस घर में यह सब हो रहा था, उसे बेहद ही सुरक्षित बनाया गया था, बाउंड्री के ऊपर करंट दौड़ने के लिए नंगे तार लगाए गए थे. घर में गिनती के लोग ही रहते थे. महिला सदस्य कोई नहीं रहती थी.

टीम को जांच के दौरान जब पता चला कि पीयूष पान मसाला कंपनी को अपना एसेंस सप्लाई करते हैं. इस बिंदु को आधार मानते हुए पीयूष के आनंदपुरी और कन्नौज के छिपट्टी मोहल्ला स्थित पैतृक आवास पर भी छापेमारी की गई.

कानपुर से कागज में लिपटी ब्राउन टेप बंधी नोटों की गड्डियां निकलने लगीं, तो इस की जानकारी आयकर विभाग को भी दे दी गई. साथ ही स्टेट बैंक औफ इंडिया से अतिरिक्त नोट गिनने की मशीनें मंगाई गईं. वहीं, कन्नौज से अधिकारियों ने कानपुर सूचना भिजवाई कि कारोबारी के घर से किसी को भेजें, ताकि जांच शुरू की जा सके.

इस पर कारोबारी ने आपत्ति जताई और उस दिन शाम को अधिकारी लौट गए, लेकिन अगले ही दिन टीम ने पीयूष के दोनों बेटों प्रत्यूष जैन और प्रियांश जैन के साथ भाई अमरीश के बेटे मोलू को हिरासत में ले लिया. जांच टीम उन्हें ले कर कन्नौज रवाना हो गई.

प्रियांश, प्रत्यूष और मोलू को हिरासत में लिए जाने के बाद पीयूष जैन 24 दिसंबर की देर रात करीब 11 बजे घर पहुंचा. डीजीजीआई की टीम रात करीब ढाई बजे उसे भी हिरासत में ले कर अपने साथ ले गई. उसे काकादेव थाने लाया गया था. उसे देर रात 3 बजे के थाने में पुलिस हिरासत में रखने के लिए महिला हेल्पलाइन कक्ष में रखा गया था.

सर्दी को देखते हुए उस के लिए गद्दे और कंबल का इंतजाम भी किया गया था. हालांकि इस के बाद भी उसे फर्श पर लेट कर ही रात गुजारनी पड़ी. अगली सुबह

कड़ी सुरक्षा के बीच पीयूष को थाने से कोर्ट में पेश किया गया. इस से पहले एलएलआर अस्पताल में उस का मैडिकल भी करवा लिया गया था.

पीयूष ने कोर्ट में ऐसी अविश्वसनीय बात बताई, जिसे लोगों ने हास्यास्पद माना. उसे जीएसटी इंटेलीजेंस अहमदाबाद की टीम ने रिमांड मजिस्ट्रैट योगिता कुमार के न्यायालय में पेश किया था, जहां रिमांड मांगे जाने पर बचाव पक्ष ने कहा था कि जीएसटी इंटेलीजेंस ने गलत तरीके से गिरफ्तारी की है.

इस पर कोर्ट ने पीयूष जैन को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. कोर्ट में पीयूष ने स्वीकार कर लिया कि बरामद राशि उसी की है और उस ने टैक्स चोरी की हैं. साथ ही यह भी मांग की कि टैक्स का 52 करोड़  काट कर बाकी रुपया वापस कर दिया जाए.

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नोटों के बंडल देख कर टीम के उड़े होश

एक तरफ पीयूष की अदालत में पेशी हो रही थी, दूसरी तरफ घर से नोटों की बरामदगी का सिलसिला जारी था. नोट गिनने के लिए स्टेट बैंक औफ इंडिया के आधा दरजन से अधिक कर्मचारियों और नोट गिनने की मशीनें मंगवा ली गई थीं. साथ ही छापेमारी में मिले दस्तावेजों की गहन जांचपड़ताल भी चल रही थी. इस कड़ी में इत्र कारोबारी के 7 ठिकानों पर छापे मारे गए.

पीयूष जैन के कन्नौज स्थित एक घर को पूरी तरह से सीज कर लिया गया. उस घर में देर रात तक छापेमारी चलती रही, जो आगे भी लगातार दिनों तक चली. कन्नौज में ही पीयूष जैन के 3 परिसरों कानपुर में आवास, औफिस, पैट्रोल पंप और कोल्ड स्टोरेज पर जांच टीम ने छापे मारे. कानपुर के टीपी नगर और आनंदपुरी में बड़ी संख्या में दस्तावेज सीज किए गए.

टीम को हैरानी तब हुई, जब घर की दीवारों से नोट निकलने शुरू हो गए. टीम ने देर रात तक फर्श और दीवारें तोड़ने का काम किया. मानो किसी फिल्मी सीन को दोहराया जा रहा हो. और फिर जब दीवारें टूटीं तो सचमुच दृश्य हैरान कर देने वाला था.

पहली बार जब आनंदपुरी स्थित घर में कंटेनर ले जाया गया तो उस में नोटों से भरे 42 बक्से रखे गए. उस दिन रात 11 बजे तक कुल 42 बक्सों में 150 करोड़ रुपए से ज्यादा नकदी भर कर रिजर्व बैंक भेजी जा चुकी थी.

जांच चलती रही और नकदी निकलती रही, इस के साथ ही देखतेदेखते घर से करीब 280 करोड़ रुपए नकद बरामद हुए. टीम को कारोबारी के कन्नौज स्थित पैतृक घर से कुल 19 करोड़ रुपए नकद मिले. यह नकदी कन्नौज स्थित घर में 9 बोरों में रखी गई थी.

इस के अलावा जांच के अलगअलग दिनों में टीम को 21 करोड़ की कीमत वाले विदेशी मार्किंग वाले सोने के बिस्किट, ढाई क्विंटल चांदी और 25 किलोग्राम सोना और 6 करोड़ रुपए की कीमत का चंदन का तेल भी मिला.

इस बारे में लगातार हफ्ते भर तक तक मीडिया में तरहतरह की खबरें आती रहीं. उन में कुछ खबरें पीयूष जैन से संबंधित थीं, तो कुछ खबरें राजनीति गलियारे की थीं. यहां तक कि राजनीतिक जनसभाओं में भी यह मुद्दा काफी उछाला गया.

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस छापेमारी को डिजिटल एरर करार दिया, जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी तक इस पर टिप्पणी करने से नहीं चूके.

पीयूष जैन को जानने वाले अधिकतर लोगों को हैरानी हुई कि स्कूटर से चलने वाले एक आदमी के पास इतना बड़ा कुबेर जैसा खजाना कहां से आया. इतना सारा पैसा किस का है? नकदी के काले धन को छिपाने के लिए गजब का हथकंडा अपना रखा था, लेकिन उस का इस्तेमाल क्या था?

जीएसटी के जानकारों के अनुसार पान मसाला कारोबारी अपने माल को उन राज्यों में चोरीछिपे भेजते थे, जहां पान मसाला पूरी तरह से बैन किया गया था. आपूर्ति का भुगतान कैश में ले कर ट्रक से लाते थे.

इस पूरी प्रक्रिया में पीयूष जैन के घर का इस्तेमाल वैसे रकम रखने के लिए होता था. कानपुर से बरामद नोटों की गड्डियां छापेमारी से पहले 20 से 25 दिन के अंतराल में ही वहां लाई गई थीं.

इस जांच के साथसाथ टीम ने कन्नौज में 2 अन्य इत्र कारोबारियों रानू मिश्रा और विनीत गुप्ता के घर के साथसाथ फैक्ट्री में भी छापेमारी की. कचहरी टोला में रानू मिश्रा के जिस मुनीम के यहां टीम ने छापा मारा, वह भी पान मसाला कंपाउंड कारोबारी विनीत गुप्ता है, जो पहले कारोबारी रानू मिश्रा के यहां मुनीम हुआ करता था. लेकिन इन दिनों गुटखा कंपनी को कंपाउंड बेचने का कारोबार करता है.

पीयूष जैन के घर और प्रतिष्ठानों पर छापा मारे जाने के बाद इंटेलीजेंस टीम को करीब 280 करोड़ रुपए नकद बरामद हुए थे. उस के बाद कन्नौज में मारे गए छापे में वहां से भी 19 करोड़ कैश बरामद हुआ था. साथ पीयूष जैन के पास से 23 किलोग्राम सोना और 6 करोड़ की कीमत का चंदन का तेल मिला.

कुल संपत्ति का अनुमान 300 करोड़ रुपए से अधिक का लगाया गया है. सोना, नकदी, पान मसाला और इत्र की बातों के साथसाथ नोटों से भरा कमरा. गिनती करने वाली मशीनें, आतेजाते ट्रक और नोट भरने के लिए मंगवाए गए नएनए बडे़बड़े बक्से देख कर ऐसा लग रहा था मानो अजय देवगन की रेड मूवी का सीक्वल बन रहा हो.

पीयूष के ठिकानों पर 28 दिसंबर, 2021 की देर रात तक छापेमारी की काररवाई होती रही. उसी दिन की देर रात को पीयूष का बड़ा बेटा प्रत्यूष मीडिया से मुखातिब हुआ और न्याय मिलने की उम्मीद जताई.

पीयूष ने स्वीकारी जीएसटी चोरी की बात

पीयूष को हिरासत में लिए जाने के बाद 25 दिसंबर, 2021 को डीजीजीआई की टीम कानपुर के सर्वोदय नगर स्थित जीएसटी भवन ले कर गई. वहां पीयूष का ड्राइवर पिंटू आनंदपुरी घर से दवा ले कर गया. उस ने पूछताछ अधिकारी को बताया कि पीयूष को ब्रेन से जुड़ी बीमारी है.

पीयूष के घर न केवल करोड़ों की नकदी, बल्कि सोने के बिस्किट और बहुमूल्य चंदन का तेल भी बरामद हुआ था. कानपुर में हुई छापेमारी केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के इतिहास में सब से बड़ी छापेमारी थी.

इस पूरे मामले में कई सवाल उठ रहे थे. जैसे कि पीयूष जैन  के पास आखिर इतनी ज्यादा तादाद में नोट कैसे लाए जाते थे? बरामद नोटों का क्या स्रोत है? छापे की शुरुआत कैसे हुई? किनकिन लोगों पर अब तक छापेमारी की काररवाई हुई और क्या वाकई पीयूष जैन का समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव से कोई संबंध है? या फिर उस के किसी दूसरे राजनीतिक दल से संबंध हैं?

इन्हीं सवालों को आधार मानते हुए कथा लिखे जाने तक डीजीजीआई जांच कर रही थी. यहां तक कि इस मामले को पुरातत्व विभाग यानी आर्कियोलौजिकल सर्वे

औफ इंडिया तथा आयकर विभाग को भी मामले की जांच सौंपने की बातें भी सामने आ रही थीं.

पीयूष जैन ने अपने बयान में इस बात को स्वीकार किया है कि उन की 3 कंपनियां ओडोकेम इंडस्ट्रीज, ओडोसिंथ इंक और फ्लोरा नैचुरल हैं. वे इस के जरिए ही परिवार के साथ कारोबार करते हैं. उन्होंने यह भी माना कि उन का धंधा गैरकानूनी ढंग से परफ्यूम के कंपाउंड्स की सप्लाई का रहा है और तीनों कंपनियों के माध्यम से जीएसटी की चोरी की है.

कोर्ट में यह कुबूले जाने पर उस के खिलाफ दिए आदेश में यह भी लिखा कि पीयूष जैन ने यह स्वीकार कर लिया है कि कानपुर के घर से बरामद और जब्त की गई राशि गैरकानूनी सप्लाई के धंधे से जुड़ी हुई है, जिस से पीयूष जैन और उन के भाई अंबरीश जैन को गैरकानूनी फायदा पहुंचा है.

जांच में उजागर हुए तथ्यों में पाया गया कि पीयूष जैन ने जीएसटी की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन करते हुए जीएसटी की चोरी की है. सही तरीके से टैक्स इनवाइस नहीं जारी किए थे. सही तरीके से अपने कारोबार से जुड़े एकाउंट्स और रिकौर्ड नहीं रखे हैं.

कंपनी में आने वाली सप्लाई और कंपनी से होने वाली सप्लाई की जानकारी नहीं दी है. टैक्स का सेल्फ असेसमेंट नहीं किया है और जीएसटी लागू होने वाले दर से टैक्स का भुगतान नहीं किया है.

जीएसटी की टैक्स चोरी की रकम 5 करोड़ से भी अधिक है. ऐसा करना जीएसटी ऐक्ट के तहत अपराध है, जिस की 5 साल तक सजा हो सकती है. जीएसटी ऐक्ट की धारा 132(5) के तहत यह संज्ञेय और गैरजमानती अपराध है. इन्हीं तथ्यों और उन से जुड़े अपराधों के आधार पर पीयूष जैन की गिरफ्तारी के आदेश दिए गए.

—कथा लिखने तक इन कारोबारियों के खिलाफ छापेमारी की काररवाई जारी थी.

समाजवादी इत्र भी आईटी रेड के लपेटे में

यूष जैन के ठिकानों पर जीएसटी विभाग की छापेमारी खत्म होते ही एमएलसी

पुष्पराज जैन उर्फ पम्मी जैन भी इनकम टैक्स रेड के लपेटे में आ गए. पीयूष जैन के यहां चल रही छापेमारी के दरम्यान पुष्पराज जैन पर राजनीतिक सांठगांठ की अंगुली उठी थी, लेकिन राजनीतिक संबंध रखने वाले 64 वर्षीय पम्मी जैन निकले. वह कन्नौज के नामी इत्र कारोबारी ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के करीबी भी रहे हैं.

उन्हें उन की समाजवादी पार्टी से विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) बनने का अवसर भी मिल चुका है. उन्होंने पार्टी के प्रचार के लिए विधानसभा चुनाव आने से पहले समाजवादी इत्र का एक ब्रांड लांच किया था.

यह भी गजब का संयोग रहा कि पुष्पराज के ठिकानों पर जिस रोज छापा मारा गया, उसी रोज सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कन्नौज में प्रैस कौन्फ्रैंस करने वाले थे.

इत्र कारोबारी पुष्पराज जैन के ठिकानों पर साल के अंतिम दिन 31 दिसंबर, 2021 की सुबह से आईटी रेड की काररवाई शुरू हो गई थी. आईटी विभाग के करीब 6 अधिकारी 2 गाडि़यों में सुबहसुबह हाथरस स्थित पुष्पराज जैन की कोठी और फैक्ट्री जा पहुंचे थे.

रेड एक साथ कन्नौज, कानपुर, हाथरस और नोएडा के अलावा मुंबई, गुजरात और तमिलनाडु में भी हुई. जांच टैक्स चोरी की खुफिया जानकारी पर की गई थी.

कन्नौज से शुरू हुई छापेमारी कानपुर,  हाथरस और दिल्ली तक पहुंच गई. कानपुर में एक्सप्रेस रोड पर पुष्पराज जैन के औफिस में और दिल्ली की न्यू फ्रैंड्स कालोनी स्थित आवास पर रेड मारी गई. इस रेड में इत्र कारोबारी मोहम्मद याकूब उर्फ मलिक मियां का नाम भी सामने आया. इतने बड़े स्तर पर हुई आईटी रेड से कन्नौज के इत्र कारोबारियों में खलबली मच गई.

पुष्पराज जैन की कोठी और फैक्ट्री हाथरस के हसायन कोतवाली क्षेत्र स्थित सिकतरा रोड पर स्थित है. उस के कुछ समय बाद ही कानपुर के एक्सप्रैस रोड स्थित प्रगति अरोमा कौंप्लेक्स में भी आयकर विभाग की टीम जा पहुंची थी. उसी समय पुष्पराज जैन को मुंबई से काल आई कि उन के मुंबई स्थित 2 ठिकानों पर भी आईटी की रेड की जा रही है. फिर देखते ही देखते मीडिया में पुष्पराज जैन का नाम अचानक सुर्खियों में आ गया.

पुष्पराज जैन दिवंगत सवाई लाल जैन के बेटे हैं. उन का कारोबार केवल इत्र का ही नहीं, बल्कि उन्होंने अपने लंबेचौड़े लंबेचौड़े कई कारोबार फैला रखे हैं, जिस में एक रियल एस्टेट फर्म का बिजनैस भी है. वह कोल्ड स्टोरेज और पैट्रोल पंप के भी मालिक हैं.

उन की रजिस्टर्ड कंपनियों के नाम हैं— प्रगति एरोमा, प्रशस्ति एग्रो फार्म प्राइवेट लिमिटेड, प्रशस्ति कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, प्रशस्ति प्रौपर्टीज रियलटर्स प्राइवेट लिमिटेड और लवली फ्रैग्नेंसेस प्राइवेट लिमिटेड.

वह 2016 में इटावा-फर्रुखाबाद से सपा के एमएलसी चुने गए थे, जिस का कार्यकाल मार्च 2022 में खत्म हो जाएगा. पुष्पराज के पिता ने भारत में 1950 में बिजनैस की शुरुआत की थी, किंतु आज की तारीख में उन के इत्र का बड़ा कारोबार 12 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है.

साल 2016 में दर्ज चुनावी हलफनामे के अनुसार, पुष्पराज और उन के परिवार के पास 37.15 करोड़ रुपए की चल संपत्ति और 10.10 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति है. उन की पढ़ाईलिखाई मात्र 12वीं तक हुई है, जिसे उन्होंने कन्नौज के स्वरूप नारायण इंटरमीडिएयट कालेज से 1978 में किया था.

पीयूष और पुष्पराज के ठिकानों से हुई रेड के राजनीतिक रंग निकलते नजर जरूर आए, लेकिन उन के पास मौजूद पैसे के अधिकार के बारे कोई भी एक शब्द नहीं बोला. सपा नेताओं की प्रतिक्रियाएं आईं कि चुनाव आने के ठीक पहले ही छापेमारी क्यों की जाती है?

सभी तरह की छापेमारी सत्ता से बाहर बैठे लोगों के यहां हुई हैं. ये एजेंसियां दबाव में भी काम कर रही हैं. सपा की मीडिया सेल ने इसे न केवल बीजेपी की बौखलाहट बताया, बल्कि आईटी सेल हैंडल से ट्वीट भी किया.

इस राजनीतिक तूतूमैंमैं में पीयूष जैन के यहां हो रही  छापेमारी के वक्त ही पुष्पराज जैन का नाम खूब उछला था. अखिलेश ने दावा किया था कि बीजेपी की प्लानिंग पुष्पराज जैन के यहां छापेमारी की थी, लेकिन डिजिटल इंडिया में गलती हो गई.

सीज पैसा आखिर है किस का?

यूष जैन के यहां जीएसटी रेड में छापेमारी में सीज हो चुका करोड़ों की नकदी,

सोना और चंदन के तेल के अलावा गुटखा बनाने में इस्तेमाल होने वाला बेहिसाब कच्चा माल आदि वापस मिल सकता है, या नहीं? इसी के साथ ही यह सवाल भी है कि वह पैसा किस का हो सकता है?

कथा लिखे जाने तक इस बात का निर्णय नहीं हो पाया था, केवल पीयूष जैन ने अदालत से मांग की थी कि टैक्स के साथ जुरमाने की रकम काट कर बाकी का पैसा उसे लौटा दिया जाए.

वह मामले को रफादफा करवाना चाहता है. जबकि नियमों के मुताबिक यह संभव नहीं हो सकता है. इसे एक तरह से  घूस ले कर माना जाएगा.

पीयूष जैन की तरफ से कहा गया कि उन पर 32 करोड़ की टैक्स चोरी और उस पर 20 करोड़ की पेनल्टी सहित कुल 52 करोड़ का टैक्स बनता है. यानी डायरेक्टरेट जनरल औफ जीएसटी इंटेलिजेंस वह रकम काट कर उन्हें उन का बाकी पैसा वापस कर दे.

इस पर डीजीजीआई के वकील अंबरीश टंडन ने कहा कि रिकवर किया गया पैसा टैक्स नियमों के अनुसार पीयूष जैन की कंपनी पर की गई काररवाई का हिस्सा है. जिस में से एक भी पैसा वापस नहीं किया जा सकता है. टंडन ने उसे अतिरिक्त में 52 करोड़ का टैक्स देने को कहा, जो उस की मरजी पर है.

हालांकि इस मामले में डीजीजीआई द्वारा केस को कमजोर कर ‘बिजनैस टर्नओवर’ नहीं बनाने का भी आरोप लगाया गया है, ताकि पीयूष जैन के यहां से जब्त की गई रकम को इनकम टैक्स डील से बचाया जा सके. यदि ऐसा हो जाता है तो उस के पास से सीज किया पैसा ब्लैक मनी का बन जाएगा.

इस पर डीजीजीआई ने 30 दिसंबर, 2021 को प्रैस रिलीज जारी कर सफाई दे दी थी. उस रिलीज पर बाकायदा एडिशनल डायरेक्टर जनरल विवेक प्रसाद के सिग्नेचर थे.

रिलीज में कहा गया कि मीडिया में चल रही खबरें झूठी और बेबुनियाद हैं. जब्त की गई रकम को डीजीजीआई ने पीयूष जैन का बिजनैस टर्नओवर नहीं माना है, सारा पैसा एसबीआई में जमा है. और न ही पीयूष जैन ने 52 करोड़ रुपए जमा किए हैं. अभी जांच चल रही है.

पीयूष जैन को सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स ऐक्ट की धारा 132 के तहत 27 दिसंबर, 2021 से 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. इस धारा के अंतर्गत अधिकारी के पास इस ऐक्ट के किसी भी आरोपी को अरेस्ट करने और कार्रवाई करने का अधिकार मिला हुआ है.

अहमदाबाद डीजीजीआई टीम को मिली जानकारी के अनुसार, पीयूष जैन 50 हजार रुपए से कम की फरजी इनवाइस के जरिए सामान का ट्रांसपोर्टेशन कर रहे थे, जिस से कि वह टैक्स के चक्कर से बचा रहे.

मगर एक टर्म ‘ई वे बिल’ को भी समझना जरूरी है. इस के अनुसार जब 2 लोग किसी सामान और बदले में पैसे वाले किसी लेनदेन में पार्टी हैं और दोनों या कोई एक भी अगर जीएसटी ऐक्ट में रजिस्टर्ड हैं, तो 50 हजार रुपए से ऊपर के सामान के ट्रांसपोर्टेशन के लिए उन के पास ई-वे बिल होना जरूरी होता है. पीयूष का लेनदेन 50,000 रुपए से कम के फरजी बिल के तहत हो रहा था, जो टैक्स की चोरी का बन गया.

जीएसटी अधिकारियों का इस पर कहना है कि पीयूष के घर में एक बड़ा तहखाना मिला था, जिस में 16 प्रौपर्टीज के दस्तावेज और काफी मात्रा में नकद मिले थे. दरअसल, जब कोई व्यक्ति किसी जांच एजेंसी की नजर में आता है तो इस लिहाज से पीयूष की जांच में दूसरी एजेंसियां भी शामिल होंगी.

कहा जा सकता है कि मामला भले ही जीएसटी विभाग से शुरू हुआ हो, लेकिन आईटी विभाग भी इस की जांच कर छिपा कर रखी गई राशि पर लगने वाला इनकम टैक्स भी वसूलेगा.

इस स्थिति में इनकम टैक्स विभाग में इनकम टैक्स विभाग के डायरेक्टर जनरल, डायरेक्टर, चीफ कमिश्नर, कमिश्नर या बोर्ड द्वारा नियुक्तअधिकारी किसी व्यक्ति के घर या औफिस में रेड कर सकता है.

रेड के दौरान इनकम टैक्स औफिसर कैश, ज्वैलरी, जरूरी दस्तावेज, प्रौपर्टी के कागजात या कोई भी कीमती और जरूरी चीज को सीज कर सकते हैं. हालांकि कारोबार में इस्तेमाल होने वाले सामना या उस के स्टौक को सीज नहीं किया जा सकता है.

छिपा कर रखी गई संपत्ति पर इनकम टैक्स की धारा 271एएबी के तहत जुरमाना  लगाया जाता है. इनकम छिपाने की आमदनी को अनडिस्क्लोज्ड इनकम माना जाता है और

उस पर 60 फीसदी की पेनल्टी लगाई जा सकती है. इस के अलावा सरचार्ज और सेस के बतौर कुछ एक्स्ट्रा जुरमाना भी लगाया जाता है. सरकार को जब्त संपत्तियों से 2 तरह का फायदा मिलता है.

पहला, इनकम टैक्स, जीएसटी, म्युनिसिपैलिटी टैक्स आदि की टैक्स रेवेन्यू है, जबकि दूसरा नौन टैक्स रेवेन्यू होता है. जैसे कि फाइन और पेनल्टी आदि. इस के अलावा राज्य स्तर पर जब्त संपत्तियों को सरकार अपने खजाने में डाल लेती है.

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