सौजन्य- मनोहर कहानियां

कानपुर के इत्र और पान मसाला कारोबारी पीयूष जैन के यहां टैक्स चोरी को ले कर हुई रेड में जितनी बड़ी तादाद में पैसा मिला, उसे देख कर यही लग रहा था कि यह किसी बौलीवुड फिल्म का दृश्य है. पीयूष जैन के पास यह पैसा कहां से आया, जांच में यह तो पता चल ही जाएगा लेकिन देश में पीयूष जैन सरीखे अनेक मगरमच्छ बैठे हैं. अगर विभाग के अधिकारी नजरें टेढ़ी करेंगे तो उन का भेद खुलने में समय नहीं लगेगा क्योंकि...

गुटखा खाने वाले किसी भी व्यक्ति को शायद ही पता हो कि उस के 5 रुपए वाले एक पाउच पर 3 रुपए के करीब सरकार को जीएसटी के रूप में टैक्स जाता है. पान मसाला बनाने वाले कारोबारी उसे ही चुराने की कोशिश में लगे रहते हैं, जो काफी सुनियोजित तरीके से होता है.

सरकार ने जीएसटी यानी गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स, जिसे हिंदी में वस्तु एवं सेवा कर कहा जाता है, की चोरी को रोकने के कई इंतजाम किए हैं. सरकार का एक डिपार्टमेंट ‘डायरेक्टोरेट जनरल औफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई)’ बनाया गया है. फिर भी कारोबारी इस टैक्स को चुराने का कोई न कोई तरीका निकाल ही लेते हैं.

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शुरुआत पाउच छापने वाली कंपनी से

अगस्त 2021 की बात है. कोविड-19 मामले कम होने पर अनलौक से मिली छूट के बाद छोटीबड़ी फैक्ट्रियों में काम शुरू हो चुका था. माल के प्रोडक्शन और सप्लाई के काम में भी तेजी आने लगी थी, फिर भी सरकार के पास जीएसटी की राशि में वृद्धि नहीं हो पा रही थी.

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