हत्या तो जघन्य अपराध है ही, उस से भी जघन्य और क्रूरता की हदें पार करने वाला अपराध है किसी को आग लगा कर या उस के ऊपर तेजाब डाल कर जिंदा जला देना. इस तरह की घटनाओं में अगर पीड़ित जिंदा बच जाता है तो उसे प्रतिदिन तिलतिल कर मरना होता है. इस तरह के अपराधों में बेरहम अपराधियों को उन के घिनौने अपराध के लिए जितनी भी सजा दी जाए, कम है.

इसी तरह के एक जघन्य अपराध का फैसला 25 अक्तूबर, 2016 को पंजाब के जिला मोंगा की सत्र एवं जिला अतिरिक्त जज लखविंदर कौर दुग्गल की अदालत में सुनाया जाना था. चर्चित मामला होने की वजह से फैसले को सुनने के लिए अदालत में काफी भीड़ लगी थी. भीड़ के बीच चल रही खुसुरफुसुर तब एकदम से सन्नाटे में बदल गई, जब ठीक साढ़े 10 बजे अदालत कक्ष में सत्र एवं जिला अतिरिक्त जज लखविंदर कौर दुग्गल आ कर बैठीं.

उन के सीट पर बैठते ही रीडर ने मनदीप कौर तेजाब कांड की फाइल उन की ओर बढ़ा दी. इस के बाद पुलिस ने 8 लोगों को ला कर कठघरे के पास खड़ा कर दिया, जिस में 2 अधेड़ उम्र की महिलाएं भी थीं. चूंकि इस मामले की बहस वगैरह सब हो चुकी थी, इसलिए सभी उत्सुक थे कि कितनी जल्दी फैसला सुनाया जाए.

इस मामले में जज ने क्या फैसला सुनाया, यह जानने से पहले आइए इस मामले के बारे में जान लें, जिस से पता चले कि जज ने दोषियों को जो सजा दी, वे इसी लायक थे या वे इस से भी अधिक सजा के हकदार थे.

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