उस दिन दिवाली थी और तारीख थी 30 अक्तूबर, 2016. शाम होते ही अलवर शहर जगमगाने लगा था. हर घर रोशन हो चुका था. चौराहे और इमारतें सजावट की रोशनी से झिलमिला रही थीं. रात गहराते ही शहर की गलीमोहल्लों में पटाखे चलने लगे थे. आसमान में आतिशबाजी की सतरंगी छटा बिखरी हुई थी. दिवाली के मौके  पर कानूनव्यवस्था एवं शांति बनाए रखने के लिए पुलिस के जवान शहर में गश्त कर रहे थे.

रात करीब पौने 12 बजे का समय रहा होगा, जब शहर कोतवाली थाने की पुलिस को सूचना मिली कि स्कीम नंबर-1 आर्यनगर में कबूतर पार्क के पास किसी का कटा हुआ पैर पड़ा है, जिसे कुत्ते नोच रहे हैं. कबूतर पार्क कोतवाली से एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर था. पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची तो वहां जांघ तक कटा एक अधजला पैर 2 पौलीथिन में बंधा हुआ पड़ा मिला. पैर से दुर्गंध नहीं आ रही थी, लेकिन यह अंदाजा लगाना मुश्किल था कि इस पैर को कब काटा गया था.

अलबत्ता यह जरूर पता चल गया था कि वह किसी का दाहिना पैर है. पैर की अंगुलियों में बिछिया थीं. नाखूनों पर नेल पौलिश लगी थी. इस से पुलिस को यह विश्वास हो गया कि पैर किसी महिला का है. पुलिस ने आसपास पूछताछ की, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली. इस के बाद कानूनी काररवाई कर के पैर को राजीव गांधी सामान्य अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया गया. उसी रात शहर कोतवाली में इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई. पैर पौलीथिन की जिन 2 थैलियों में रखा था, उन्हें पुलिस ने जब्त कर लिया था. इन थैलियों में एक थैली पर ‘सांगानेरी हाउस’ स्पैशलिस्ट इन ट्रैडिशनल सूट्स, ब्लौक प्रिंटिंग टाई डाई आयटम्स, तिलक मार्केट, अलवर लिखा था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...