चचेरे बहनोई से दिल लगाने वाली प्रियंका इश्क में अंधी हो चुकी थी. उस की मोहब्बत में आड़े आने वाला हर व्यक्ति उस का जानी दुश्मन था. उस ने पहले नापसंद पति को रास्ते से हटाने की कोशिश की. वह बच गया. फिर उस ने जो किया, उसे मोहब्बत की जंग में जायज कतई नहीं ठहराया जा सकता…

पूरे शहर में दुर्गापूजा की धूम थी. सड़कों पर देवी दर्शन और मेला घूमने की चहलपहल हो रही थी. विजयदशमी यानी 5 अक्तूबर की शाम थी. पंडालों में प्रतिमाओं के विसर्जन की तैयारियां जोरों पर थीं. लोग सजीधजी प्रतिमाओं को ट्रैक्टर ट्रौली, ठेले और दूसरे वाहनों पर बैंड बाजे के साथ जयकारे के साथ विसर्जन के लिए ले कर जा रहे थे. उन्हें देखने के लिए सड़कों पर भारी भीड़ उमड़ी हुई थी. माहौल खुशी और उत्साह का था.

मेला घूमने और उमंग से आनंद लेने वालों में लालबाबू भी था. उस का घर बिहार के समस्तीपुर जिले में बांकीपुर गांव में था. वह किसान सुरेंद्र राय का 32 वर्षीय छोटा बेटा था. उसे लोग लालू राय के नाम से भी जानते थे. उस दिन शाम के करीब पौने 6 बजे उसे अपराधियों ने दरवाजे पर ही गोलियों से भून दिया.

उस फायरिंग में गोलियों की तड़तड़ाहट सुन कर परिवार और आसपास के लोग दौड़ते हुए वहां आए. उन के पहुंचने से पहले ही हमलावर हथियार लहराते हुए बाइक से भाग गए. लालबाबू राय की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. वह किशनपुर से दुर्गापूजा का मेला घूम कर लौटने के बाद अपने घर में टीवी देखरहा था.

उसे एक युवक घर से बुला कर दरवाजे तक ले गया था. वहां पहले से घात लगाए एक बाइक पर हथियारबंद हमलावर मौजूद थे. उन्होंने ताबड़तोड़ फायरिंग कर गोलियां बरसा दीं. बुरी तरह जख्मी लालबाबू को घर वाले अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. डाक्टरों ने बताया कि उस के सिर व गरदन पर 3 गोलियां लगी थीं.

गांव वालों की सूचना पर कल्याणपुर थाने की पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और मौके की जांच की. पुलिस को वहां से कारतूस के 3 खोखे और 3 जिंदा कारतूस मिले. उस के बाद इस वारदात की छानबीन में पुलिस जुट गई.

इस संबंध में लालबाबू के पिता सुरेंद्र राय की तहरीर पर 7 अक्तूबर, 2022 को थाने में अज्ञात हमलावरों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302/34 आईपीसी एवं 27 आर्म्स एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई.

लालबाबू हत्याकांड से पूरे शहर में सनसनी फैल गई. मामले की तहकीकात और हमलावरों की गिरफ्तारी के लिए समस्तीपुर के एसपी हृदयकांत के निर्देश पर सीओ मोहम्मद सेहबान हबीब फाखरी के नेतृत्व में एक एसआईटी टीम का गठन किया गया.

टीम में कल्याणपुर के एसएचओ गौतम कुमार, इंसपेक्टर अखिलेश कुमार राय, रिजर्व पुलिस बल के इंसपेक्टर राहुल कुमार, तकनीकी सेल के इंचार्ज इंसपेक्टर अनिल कुमार सिंह, संजय कुमार सिंह आदि शामिल किए गए. इन के अलावा कल्याणपुर थाना और रिजर्व पुलिस बल के जवानों में अखिलेश कुमार, प्रभात कुमार, निरंजन कुमार भी थे.

जांच का सिलसिला घटनास्थल से शुरू हुआ. मृतक के घर वालों से पूछताछ करने के बाद हमलावरों तक पहुंचने के लिए तमाम तकनीकों का इस्तेमाल किया गया. पुलिस टीम को जल्द ही सफलता मिल गई. वारदात में 3 लोगों के नाम सामने आए, जिन में एक युवती प्रियंका कुमारी का नाम भी था.

प्रियंका का नाम ही नहीं आया, बल्कि पुलिस ने उसे ही पूरे घटनाक्रम का मास्टरमाइंड बताया. मृतक लालबाबू उस का चचेरा भाई था. अन्य आरोपियों में एक प्रियंका का चचेरा बहनोई अमित कुमार और अमित का दोस्त अभिनंदन कुमार था.

उन के बयानों के बाद गोलियां दागने वाले हमलावरों की भी गिरफ्तारी संभव हो पाई. लोगों को हैरानी तब हुई, जब उन्हें मालूम हुआ कि इस वारदात को अंजाम देने में प्रियंका चचेरे बहनोई अमित कुमार से प्रेम करती थी, जबकि प्रियंका की शादी हो चुकी थी और अमित भी 2 बच्चों का बाप था.

प्रियंका की शादी सवा साल पहले 25 जुलाई, 2021 को दरभंगा जिले के रमौली गांव निवासी शिक्षक रामपुकार राय के एकलौते बेटे विजय कुमार राय के साथ ही हो चुकी थी. उस का दुरागमन (गौना) नहीं हुआ था. उस के लिए परिवार वाले तारीख तय करने की योजना बना रहे थे, जबकि वह अपनी शादी से खुश नहीं थी. उस ने अपने मातापिता के अलावा परिवार में सभी को खुले तौर पर बता दिया था कि उसे पति पंसद नहीं है.

इस का उस ने जो कारण बताया, वह परिवार के लिए और भी चौंकाने वाला, मगर अमान्य था. दरअसल, वह अपने ही चचेरे बहनोई के प्रेम में पागल थी.

जबकि जीजा और साली के बीच के इस प्रेम को परिवार किसी भी सूरत में स्वीकारने वाला नहीं था. यह उस की एक सनक थी, जिस से 2 जिंदगियों की खुशी और शांति में खलल पड़ सकती थी.

दरअसल, कल्याणपुर थाना क्षेत्र के बांकीपुर गांव निवासी वीरेंद्र राय की एकलौती बेटी प्रियंका मनियारपुर गांव निवासी बीरबल राय के बेटे अमित कुमार राय से प्रेम करती थी. जबकि उस की शादी वीरेंद्र राय के बड़े भाई सुरेंद्र राय की बेटी पिंकी के साथ सन 2013 में ही हुई थी. इस तरह से प्रियंका रिश्ते में अमित की चचेरी साली थी. दोनों किसान परिवार खुशहाल जीवन गुजार रहे थे.

प्रियंका को अमित शादी के समय से ही पसंद आ गया था. अमित भी चुलबुली और बिंदास साली पा कर खुद को खुशकिस्मत समझता था.

शुरू में तो उस ने प्रियंका को हलके में लिया, लेकिन धीरधीरे वह भी उसे पसंद आने लगी थी. उस ने महसूस किया कि प्रियंका ने उस के दिल में जगह बना

ली है.

अमित 2 बच्चों का बाप था. पत्नी से उसे कोई शिकायत नहीं थी. फिर भी वह प्रियंका को चाहने लगा था. शायद ही कोई दिन ऐसा होता होगा, जब दोनों फोन पर बातें नहीं कर लेते थे. कुछ नहीं तो दोनों वाट्सऐप मैसेज से एकदूसरे के दिल को तसल्ली दे लेते थे.

परिवार में प्रियंका 2 भाइयों में बड़ी थी. जबकि पिंकी 2 भाई और 4 बहनें थीं. लालबाबू पिंकी का छोटा भाई था. प्रियंका के बारे में लालबाबू को भी मालूम था कि वह उस के बहनोई से प्रेम के चलते अपने पति को नापसंद करती है. यह बात उस ने अपने चाचा को बताई और कहा कि जितना जल्द हो सके वह पंडित से कह कर प्रियंका के दुरागमन की तारीख निकलवा लें.

प्रियंका के पिता लालबाबू की बात को गंभीरता से लेते हुए दुरागमन की तारीख 5 अक्तूबर, 2022 तय कर दी. दूसरी तरफ प्रियंका इस तारीख को टालने की कोशिश करने लगी. इस के लिए उस ने एक खुराफाती योजना बनाई. उस ने तय किया कि क्यों न पति को ही मौत की नींद सुलाने का उपाय किया जाए.

इस के लिए उस ने अपने प्रेमी और जीजा अमित कुमार राय से संपर्क कर उसे अपनी योजना बताई. अमित इस के लिए तैयार हो गया और अपने दोस्त अभिनंदन कुमार के साथ मिल कर प्रियंका के पति विजय कुमार राय की हत्या की योजना बना ली.

उन्होंने एक शूटर को बुलवाया. अभिनंदन मुंगेर जा कर घटना को अंजाम देने के लिए हथियार व कारतूस खरीद लाया.

विजय की किस्मत अच्छी थी कि भाड़े का शूटर विजय कुमार की हत्या में सफल नहीं हो पाया. क्योंकि उसी रोज दुरागमन संबंधी बातचीत के सिलसिले में विजय कुमार अपने एक रिश्तेदार के यहां चला गया था. उस के बाद वह अपनी ससुराल भी आ गया था. प्रियंका उसे अपने घर आया देख अचंभित हो गई थी.

उस वक्त प्रियंका मन मसोस कर रह गई. क्योंकि उस की योजना फेल हो गई थी. इसी के साथ वह भीतर ही भीतर लालबाबू से भी खफा भी हो गई थी. योजना की विफलता का कारण चचेरे भाई को ही मान रही थी. वही उसे ससुराल भेजने के लिए मातापिता पर दबाव बनाए हुए था.

पति के बच जाने के बाद उस ने उसी रात बहनोई अमित कुमार से मिल कर लालबाबू को ही खत्म करने की योजना बना डाली थी. अमित भी प्रियंका के प्यार में इस कदर अंधा हो गया था कि वह अपने ही साले को मौत के घाट उतारने की योजना में शामिल हो गया.

अब प्रियंका और अमित का दुश्मन लालबाबू था. उसे रास्ते से हटाने के लिए दोनों ने नए सिरे से योजना बनाई. प्रियंका के कहने पर अमित, अभिनंदन और भाड़े के शूटर पूरी तैयारी के साथ 5 अक्तूबर की शाम को लालबाबू के घर के पास जा पहुंचे. वे बाइक से गए थे. अमित और शूटर बाइक पर बैठे रहे, जबकि अभिनंदन ने लालबाबू के घर जा कर दरवाजा खटखटाया था.

जैसे ही लालबाबू घर से बाहर निकला, वैसे ही शूटर ने उस पर दनादन 3 गोलियां दाग दीं. उस का निशाना अचूक था.

प्रियंका, अमित और अभिनंदन से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उन की निशानदेही पर पुलिस ने हत्याकांड में इस्तेमाल की गई बाइक भी बरामद कर ली. पुलिस ने उस से 2 देसी कट्टा, 11 जिंदा कारतूस और मोबाइल फोन बरामद कर लिया.

जीजासाली के अवैध प्रेम के चलते मारा गया लालबाबू अपने दादा राजेंद्र राय की जेसीबी चलाता था, जिस की देखरेख चाचा वीरेंद्र राय करते थे. कुछ दिन पहले उस के दादा राजेंद्र राय ने अपनी जेसीबी बेच दी तो उस के बाद लालबाबू राय ट्रैक्टर चलाने लगा था.

लालबाबू की जेसीबी की मजदूरी का कुल 3 लाख 60 हजार रुपया लोगों के पास बाकी था. इसे ले कर पंचायत भी हुई थी, लेकिन बकाया पैसा नहीं मिला था. उस के बाद से लालबाबू उजियारपुर थाना क्षेत्र के महिसारी गांव में चचेरे साढ़ू बिशुनदेव राय के घर पर रह कर जेसीबी चलाने लगा था.

घटना के दिन दुर्गापूजा के मौके पर वह घर आया हुआ था. उसी दिन 5 अक्तूबर को प्रियंका का दुरागमन था. जिस के चलते घर में और बाहर बरामदे में काफी चहलपहल थी.

परिवार के कई लोग बैठे थे. शाम के वक्त धुंधलका होने से ठीक पहले लालबाबू देवी दुर्गा का विसर्जन देख कर घर आ गया था और कमरे में बैठा टीवी देख रहा था.

इस हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता लालबाबू की चचेरी बहन प्रियंका सहित घटना में शामिल उस के बहनोई अमित कुमार राय और उस के दोस्त अभिनंदन कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक शूटर पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाए थे.

लेखक- मोहम्मद अफजल इमाम ‘मुन्ना

 

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