27 जनवरी, 2016 की सुबह. बिहार के अररिया जिले के नरपतगंज थाने की फतेहपुर पंचायत में सड़क बनने को ले कर दबंगों और महादलितों के बीच झगड़ा शुरू हुआ, जो देखतेदेखते तीखी बहस, गालीगलौज और फिर मारपीट में बदल गया. महादलितों का कहना था कि वे पिछले कई सालों से बस्ती में रह रहे हैं, इसलिए उन के टोले तक पक्की सड़क बननी चाहिए. वहीं दबंग अपनी जमीन से हो कर पक्की सड़क नहीं बनने देना चाहते थे. महादलितों की जिद पर अड़ने से दबंगों का गुस्सा इस कदर बढ़ा कि उन्होंने महादलित औरतों के ऊपर तेजाब फेंक डाला.

इस एसिड अटैक से कई औरतों समेत बहुत से लोग बुरी तरह जख्मी हो गए. गीता देवी, दुलारी देवी, बुदनी देवी, मीरा देवी समेत दर्जनभर लोगों के जिस्म तेजाब से जल गए और उन्हें आननफानन अस्पताल में भरती कराना पड़ा.

पुलिस ने इस मामले के आरोपी सुरेंद्र ठाकुर, अमित ठाकुर, अमरजीत ठाकुर और सुमित को गिरफ्तार कर कानूनी खानापूरी तो कर ली, लेकिन तेजाब से जख्मी हुई औरतों के जिस्म के साथ जो उन के सपने भी जल गए, उन की भरपाई कैसे होगी और कौन करेगा?

बिहार के मनेर ब्लौक के छितनावां गांव की 2 बहनों चंचल और सोनम की हालत और उन के चेहरे को देख कर अच्छेअच्छों का कलेजा कांप सकता है. 21 अक्तूबर, 2012 की काली रात ने चंचल और उस की बहन सोनम की जिंदगी में घुप अंधेरा भर दिया था. समूचा इलाका दशहरे के मेले से जगमगा रहा था. दोनों बहनें भी मेला घूम कर छत पर आराम से सो रही थीं. आधी रात को जब गांव में पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ था, तो चंचल को छत पर कुछ आवाजें सुनाई दीं. उस की नींद खुल गई. उस ने देखा कि 3 लड़के उस की छत पर खडे़ थे. अंधेरे में जब तक चंचल उन्हें पहचानने की कोशिश करती, तब तक लड़के उस के करीब आ चुके थे. सभी के हाथ में तेजाब से भरी बोतल थी. जब तक चंचल कुछ समझ पाती, बदमाशों ने उस के ऊपर तेजाब डाल दिया.

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