कोरोना का कहर इस कदर गहराता जा रहा है कि दुनिया के तकरीबन 200 देश इस की चपेट में है. इस संक्रमण का दायरा भी एशिया, यूरोप से होता हुआ अफ्रीका तक पहुंच गया है. अमेरिका भी इस से अछूता नहीं रहा. वहीं यह भारत में भी अपने पैर पसार रहा है.
अमेरिका में कोरोना मरीजों की तादाद 1 लाख से ऊपर पहुंच चुकी है, वहीं चीन 81 हजार का आंकड़ा पार कर चुका है. इटली में भी 86 हजार के करीब कोरोना से संक्रमित है और 9000 से अधिक मौतें हुई हैं.
पूरी दुनिया में 6 लाख के करीब कोरोना से संक्रमित हैं और 27 हजार से अधिक मौतें. वहीं भारत में भी 800 से अधिक मरीज संक्रमित हैं और 20 से अधिक मौतें.
अमेरिका में हर रोज कोरोना संक्रमित मरीजों और मौतों का आंकड़ा डरा रहा है. एक दिन में ही कभी वहां 16 हजार नए संदिग्ध कोरोना की चपेट में आ जाते हैं तो कभी 18 हजार से अधिक. इसी तरह मौतों का सिलसिला भी कभी एक दिन में 263 तो कभी 345 या इस से अधिक. इस बीमारी के चलते न्यूयॉर्क की स्वास्थ्य सेवा बुरी तरह चरमरा गई है.वहां के आम नागरिक ही नहीं, जेलों में बंद कैदी भी इस बीमारी की चपेट में आ गए हैं. यही वजह है कि अमेरिकी कैदियों को छोड़ा जा रहा है क्योंकि वहां कोरोना वायरस अधिक फैल रहा है. वहां की जेलें कोरोना की वजह से असुरक्षित हैं.
ये भी पढ़ें- #coronavirus: सब्जियों फल और जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ी
24 मार्च को न्यूयॉर्क सिटी के मेयर बिल डी ब्लासियो ने ऐलान किया कि उन्हें रिहा करने का अधिकार है. कोरोना वायरस अधिक फैलने के चलते 1000 से अधिक चुनिंदा कैदियों को वे रिहा करेंगे. उन्होंने कहा कि शहर में 5000 से अधिक कैदियों को रखा गया है जो ज्यादातर रिकर्स में रखे गए हैं.
उन्होंने कहा कि अनुमानित 300 रिकर्स द्वीप कैदियों को वे जल्द रिहा करेंगे. यदि उन की सेवा में एक वर्ष से कम का समय बचा है.
जेल के नियमों के तहत ही कैदियों को रिहा किया जाएगा. न्यूयॉर्क सिटी के मेयर बिल डी ब्लासियो सब से पहले 70 साल से अधिक उम्र के कैदियों को रिहा करना चाहते हैं. वहीं जिन कैदियों की 5 स्वास्थ्य के प्रति ऐसी स्थितियां हैं, जो उन्हें कमजोर बनाती हैं यानी उन की सेहत इस बीमारी की जद में आ सकती हैं, को भी जल्द रिहा करना चाहते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि घरेलू हिंसा या यौन आरोप जैसे हिंसक कैदियों को रिहा नहीं किया जाएगा क्योंकि इन से शहर में माहौल बिगड़ने का खतरा है.
वहीं लॉस एंजिलिस और क्लीवलैंड में भी सैकड़ों कैदियों को मुक्त कर दिया गया है.
दूसरी ओर अमेरिका ने ईरान से भी आग्रह किया है कि वह अमेरिकी कैदियों को जल्द छोड़ दे. ईरान भी इस घातक वायरस की चपेट में हैं. ईरानी जेलों में भी कोरोना वायरस फैल चुका है.
कोरोना वायरस के प्रकोप का सामना करने के लिए ईरान ने अपने विशिष्ट बल रिवोल्यूशनरी गार्डों को मैदान में उतारा है. वहां भी बीते दिनों में 70 हजार से अधिक कैदियों को अस्थायी तौर पर रिहा कर दिया गया, लेकिन यह नहीं बताया कि इन कैदियों की वापसी कब होगी.
पाकिस्तान भी कैदियों को छोड़ने का मन बना रहा है, वहीं भारत भी ऐसे कैदियों को पैरोल पर छोड़ने की योजना बना रहा है, जो बूढ़े हैं या जिन की सजा 7 साल या उस से कम है.
हालांकि भारत में अभी कैदियों में कोरोना के लक्षण नहीं पाए गए हैं, परंतु इस महामारी की गंभीरता को देखते हुए कैदियों की रिहाई पर विचार किया जा रहा है.
शीर्ष अदालत के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि सरकार ने वायरस को फैलने से रोकने के लिए सामाजिक तौर पर दूरी रखने की सलाह दी है. लेकिन जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं, जिस से दूरी बनाए रखना मुश्किल है.
महाराष्ट्र में भी कोरोना मरीजों की तादाद दिनोंदिन बढ़ रही है. जेलों में कोरोना वायरस न पसरे, इस के लिए महाराष्ट्र सरकार राज्य की 60 जेलों में बंद तकरीबन 11,000 कैदी, जिन्हें 7 साल या उस से कम की सजा मिली हुई है, उन्हें पैरोल पर रिहा करने पर विचार कर रही है, वहीं पंजाब सरकार भी 6,000 कैदियों को पैरोल पर छोड़ने का मन बना रही है.
हालांकि वे कैदी रिहा नहीं किए जाएंगे, जिस से शहर का माहौल बिगड़ने की आशंका है.
वैसे भी पंजाब की जेलों में बंद कैदियों में ज्यादातर नशेड़ी हैं, जिन्हें नशीले पदार्थों के साथ पकड़े जाने के चलते सजा हुई है. नशे के आदी लोग शारीरिक तौर पर बहुत कमजोर होते हैं. साथ ही, इन्हें बीमारी भी जल्दी घेर लेती है.
वहीं दिल्ली में स्थित तिहाड़ जेल प्रशासन भी करीब 3,000 कैदियों को छोड़े जाने पर विचार कर रहा है और हरियाणा सरकार भी जेल में बंद कैदियों को पैरोल पर भेजने का मन बना रही है. जो कैदी अभी पैरोल या फरलो पर हैं, उन का समय बढ़ाने पर सोच रही है.
हालांकि इन में से ज्यादातर कैदियों को सजा भी नहीं हुई है. भले ही यह फैसला महीनों पहले लिया गया है, पर इस का अभी कोई सबूत नहीं है.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि कैदियों को छोड़ने की आखिर मंशा क्या है? क्या वाकई इन कैदियों को इसलिए छोड़ा जा रहा है कि इन कैदियों का न्याय कोरोना करेगा?
ये भी पढ़ें- #coronavirus: कोरोना के कहर में फंसा कारोबार
जैसे अमेरिका ने अपनी जिम्मेदारी से किनारा करते हुए, सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए कैदियों को कोरोना से बचने के लिए हिदायत दे कर उन्हें उन के हाल पर छोड दिया, वहीं इन कैदियों में भी कोरोना को लेकर असुरक्षा है .
अमेरिका ने तो अपने कैदियों को इसलिए छोड़ा क्योंकि उन जेलों में कोरोना वायरस फैल चुका था. पर
कैदियों को उन के हाल पर छोड़ना, यह कहां का न्याय है, कहीं यह कोरोना न्याय तो नहीं.