कोरोना के भय से पूरा देश लौक डाउन में है. निम्न मध्यम वर्ग, उच्च वर्ग सब अपने अपने घरों में दुबके हुए हैं. पता नहीं कोरोना वायरस कब किसको चिपट जाए. सोसाइटीज के गेट्स पर ताले जड़ दिए गए हैं. मेहरियों, धोबी, प्रेस वाला, सब्ज़ी वाला, गाड़ी साफ़ करने वाला, माली, अखबार वाला किसी को भी कॉलोनियों में घुसने की इजाज़त नहीं है. जैसे कि ये तमाम लोग ही इस खतरनाक वायरस को अपने साथ लिए घूम रहे हों.

सच तो यह है कि पहली बार कोई महामारी ऐसी है जिसके उच्च तबके से निम्न तबके की ओर फैलने का अंदेशा है क्योंकि मध्यम और उच्च वर्ग के विदेशी रिश्तेदार, दोस्त, बिज़नेस पार्टनर्स जो कोरोना के वायरस को अपने साथ ले कर भारत आ रहे हैं वो माध्यम और उच्च वर्ग के लोगो को ही बीमारियां गिफ्ट कर रहे हैं. इसी तबके के लाखों बच्चे विदेशों में पढ़ रहे हैं, नौकरी कर रहे हैं या विदेश यात्राएं कर रहे हैं. तो अगर निम्न वर्ग से ताल्लुक रखने वाली कामवाली, झाड़ूपोछें वाली, धोबी, ड्राइवर जैसे लोगों पर बड़ी बड़ी कोठियों, कॉलोनियों, सोइटियों में जाने पर बैन लगा है तो ये उनके लिए ही अच्छा है. यही निम्न वर्ग को इस महामारी से बचाये रखने का एक रास्ता है.

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प्लेग, चिकन पौक्स, पोलियो, दिमागी बुखार, चिकन गुनिया जैसी जानलेवा बीमारियां जहाँ निचले तबके से फैली, वहीँ पहली बार कोरोना वायरस अपर क्लास में तबाही मचाने निकला है. इससे गरीब तबके को जितना हो सके बचने की कोशिश करनी चाहिए. मेमसाहब फ़ोन करके भी बुलाएं, ज़्यादा पैसा देने का लालच दें तब भी उनके घर काम करने ना जाएँ. पता नहीं मेमसाहब का कौन विदेशी मेहमान उनके घर में बीमारी के कीटाणु छोड़ गया हो. क्या पता मेमसाहब और साहब खुद विदेश यात्रा से बीमारी का वायरस अपने जिस्म में छिपा कर ले आये हों.

इस वक़्त धनाढ्य वर्ग को चाहिए कि वे पूरी तरह आइसोलेशन में रहे. सड़कों पर तो हरगिज़ ना निकले. ताकि गरीब इस महामारी से सुरक्षित रहे. अमीरों के पास बड़े बड़े घर हैं जिनमे कई कई कमरे हैं. अगर उनके परिवार में किसी को कोरोना ने जकड़ा तो वो खुद को एक अलग कमरे में सीमित करके 14 दिन आइसोलेशन में रह सकता है और परिवार के अन्य सदस्यों को बीमारी की चपेट में आने से बचा सकता है मगर कल्पना कीजिये कि किसी गरीब को ये बीमारी लग गई तो क्या होगा ? जहाँ एक कमरे में आठ आठ, दस दस लोग इकट्ठे रहते हैं, जहाँ खुद को आइसोलेट करने की जगह ही नहीं है वहां अगर ये बीमारी पहुंच गई तो स्थिति कितनी विकट और भयावह होगी, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. वहां तो इस खतरनाक वायरस को फैलने के लिए अपार सम्भावनाये हासिल हो जाएंगी.

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गरीब के पास ना तो पैसा है और न ही पहुंच कि अस्पताल में उसका इलाज होगा. कोरोना से तड़पते गरीब को तो कोई डॉक्टर या नर्स हाथ भी नहीं लगाएगा. गरीब तबके में अगर ये महामारी पहुंच गई तो गाँव के गाँव साफ़ हो जायेंगे. हर तरफ लाशें ही लाशें बिछ जाएँगी. देश में ना तो इतने अस्पताल है ना डॉक्टर या नर्स जो कोरोना से दम तोड़ते गरीबों की तीमारदारी करें और जो हैं उनकी मानवता अमीरों के प्रति ही दिखती है किसी गरीब के लिए नहीं. इसलिए बहुत अच्छा है की महानगरों और छोटे बड़े सभी शहरों में अमीरों की सोइटियों, कोठियों, कॉलोनियों पर ताले पद गए हैं. इन जगहों पर अब पुलिस का सख्त पहरा भी बिठा दिया जाना चाहिए और इस तबके को बाहर सड़क पर निकलने से पूरी तरह रोक दिया जाए. ताकि देश का गरीब ग्रामीण तबका सुरक्षित रहे.

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