Dr Geetanjali Choudhary
दौड़ती भागती जिंदगी से आजादी कौन नहीं चाहता है? और उसमें भी तब जब आप को ऐसा लगे जिंदगी बहते पानी समान गुजर रही है. वक्त की मसरूफियत का तक़ाज़ा ऐसा मानो सुबह होती शाम होती है, जिंदगी यूँ ही तमाम होती है. सपनों की दुनिया में जीने वाली मुग्धा हमेशा अपने लिए क्वालिटी टाइम की कल्पना करती रहती थी.
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