मैंने राजनीति से एक पते की बात सीखी है. आप कहेंगे क्या सीखा है ?

मैं कहूंगा -जीवन का सच.

आप कहेंगे- हम समझे नहीं ?

मैं कहूंगा- समझ जाएंगे, समझ जाएंगे. जरा धैर्य से मेरी बात सुनो .

आप कहेंगे- धैर्य ? राजनीति से सीख और धैर्य! भाई, यह तो स्वभाविक जिज्ञासा  पैदा करने वाली बात है,शीघ्र बताइए न !

मैं कहता हूँ - यूं तो राजनीति से बहुत कुछ सीखा जा सकता है, मगर मैंने एक चीज सीखी है और सीखी ही नहीं जीवन में धारणा की है.

आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे. कहेंगे- अच्छा ? जरा हमें भी सुनाइए तो सही .

मैं कहता हूँ -तो सुनिए .मैंने एक ही चीज  सीखी है .अपनों पर कोई कैसा भी फुहड अरोप लगाया जाए  उसे सुनों  और नकार दो . राजनीतिक विरोधियों पर जरा सा दाग लगे, तो तालियां बजाओ और हो हो कर सड़क के आदमी की तरह अट्टाहास लगाओ और ऐसा व्यवहार प्रदर्शित करो मानो किला फतह हो गया हो. आशा है, आप मेरे ज्ञान की बात समझ चुके होंगे .मैं देख रहा हूं, आपका चेहरा विचित्र हाव-भाव के साथ मेरी ओर है.आपकी आंख मेरे चेहरे पर लगी हुई है. चेहरे पर जो हाव-भाव आ जा रहे हैं. मैं उन्हें पढ़ सकता हूं.

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आप कहेंगे - यार, रोहरानंद! यह क्या बात हुई .यह भी कभी शोभा देता है.

मैं कहता हूँ - दोस्त, यही शोभा देता है. राजनीति में समानधर्मा होना पड़ता है, अगर घाघ और बेशर्म का मेल नहीं हुआ तो राजनीतिक न घर के रहेंगे, न घाट के. राजनीति में मोटी चमड़ी का होना निहायत निरापद है. अगर आरोप से घबरा गए, तो एक क्षण भी सत्ता में नहीं रह सकते. ऐसे ऐसे झूठे आरोप लगाए जाते हैं की आप का इस्तीफा अवश्यंभावी है. अतः बुद्धिमानी इसी में है की कोई सौ फीसदी सही आरोप भी लगाए, तो शब्दों का संजाल खड़ा  कर दो . हिटलर के सलाहकार गोयबल्स को अपना गुरु मानो और  नकारो. गोयबल्स का मंत्र था सौ बार झूठ कहने से, वह  सत्य हो जाता है. सो, सौ क्या, हजार बार अपने हित की बात को कहो. जनता कंफ्यूज हो जाएगी और फिर पतली गली से निकल लो.मित्रों ! यह रोहरानंद आपको लाख रुपए की बात बता रहा है, गांठ बांध लो,जीवन सफल हो जाएगा. सुनो! कभी भी चेहरे पर शिकन मत आने देना. कोई रंगे हाथ पकड़ ले, तब भी चेहरे पर मुस्कुराहट या गंभीर भाव रखना और अपने हित की बात कहना .उदाहरणार्थ राजनीति में भ्रष्टाचार करते रंगे हाथ पकड़े जाओ, तब क्या करोगे ? सुनो -चेहरे पर आत्मविश्वास का भाव लेकर आना.आप कहेंगे- यार रोहरानंद! क्यों हमें मूर्ख बना रहे हो ऐसा कहां संभव है. भ्रष्टाचार करते पकड़े जाने पर आधी हिम्मत तो यूं ही टूट जाती है .फिर साहस करके अपनी बात कैसे कहूंगा.

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