कोरोना महामारी के कारण बंद की स्थिति में बहुत सी जटिल समस्याएं जन्म ले रही है. जिंदगी जटिल होने लगी है, संकट से उबरने के लिए घर में बंद रहना बहुत जरूरी है लेकिन पेट का क्या है, भूख कभी समय देख कर नही आती है. जनता कर्फ्यू के बाद से ही लोगों ने जमाखोरी शुरू कर दी थी. लेकिन लाक डाउन होते ही समस्या गंभीर होने लगी . लोगों बाहर जाकर ज्यादा सामान भरना शुरू कर दिया . जिससे आम आदमी के लिए परेशानियाँ उत्पन्न हो रही हैं, एेसे में दुकानदार सामानों के दाम भी मनमाफिक ले रहें है.

मेरे घर में खाने का कुछ जरूरी सामान लाना जरूरी था यही सोच के साथ हम बाहर गए लेकिन बाजार में सामान लेने गए तो देखा भीड उमड रही थी . सामान दुकानों पर खत्म हो रहा गया . पहले दिन तो वापिस अा गए, घर में आटा नही था , अगले दिन सोचा जाकर लेकर आएगें . लेकिन भीड आज भी वही थी. जितनी भीड़ बड़ेगी उतनी महामारी बढेगी. जमाखोरी के कारण बाजार में सामान बाजार में कम आ रहा है . मुश्किल से थोड़ा उपयोग करने का सामान बिस्किट ही लेकर हम वापस आ गए कि जब जरूरी होगा तब ही बाहर जायेगें. जागरूक नागरिक होने की जिम्मेदारी निभाना भी जरूरी है . लेकिन जीवन का क्या है . जीवन में भूख समय देखकर नही आती है. खाने पीने का सामान धीरे-धीरे घर में कम हो रहा है .

आजकल एटीएम के जमाने में घर में पैसे रखने की आदत लोगों में कम हो गई थी . पहले दिन किसी तरह एटीएम से जाकर पैसा तो लेकर आए . कुछ विशेष वर्ग द्वारा अनाज तेजी से भरा रहा है . कही ऐसी हालत ना हो जाय कि जेब में पैसा तो है पर बाजार में सामान ना मिले . पहले के जमाने में बहुत बचत से लोग सामान का उपयोग करते थे यह सीखने वाली बात है . बेहतर है कि हमारे पास जो सामान है उसी में अच्छी तरह बचत करके यदि घर चलाया जाए तब समस्या नहीं होगी गरीबों के लिए व अन्य लोगों के लिए बाजार में सामान उपलब्ध होगा. कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो समस्या का निदान हो सकता है

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