मैं पहली बार गर्भवती हुई तो अपने बच्चे की जान के साथसाथ अपनी जान का डर भी बहुत सताता रहता था. चाय पीते समय अकसर मैं पति से यह पूछा करती, ‘‘डिलीवरी के समय अगर मुझे कुछ हो गया तो?’’ खुशमिजाज पति मुझे समझाते, ‘‘व्यर्थ की चिंता मत करो. और खुश रहो, ऐसा कुछ भी नहीं होगा.’’ पर मेरे दिल और दिमाग में यह बात अंदर तक घुस गई थी. एक दिन फिर मैं ने उन से यह प्रश्न पूछ लिया, ‘‘डिलीवरी के समय अगर मुझे कुछ हो गया तो?’’ पर इस बार पति ने बड़ी बेफिक्री से जवाब दिया, ‘‘इस में सोचने वाली कौन सी बात है, मैं तुरंत दूसरी शादी कर लूंगा, एक लड़की भी देख रखी है.’’ सौतन आने की बात सुनते ही पता नहीं कैसे मेरे मन का डर काफूर हो गया और मुझ में हिम्मत आ गई. नियत समय पर मैं ने एक स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया, जो आज इंजीनियर बन चुका है.

- निभा सिन्हा, विशाखापत्तनम (आं.प्र.)

*

हम लोगों के एक परिचित के लड़के का विवाह हुआ. हाल ही में वे नवदंपती बाजार में घूमते मिले. अब तक लड़की गर्भावस्था में आ गई थी तथा लड़के का भी थोड़ा वजन बढ़ गया था. मेरे पति समय पर चुटकी लेने से नहीं चूकते, उन लोगों को देख कर बोले, ‘‘आजकल जमाना कितना बदल गया है. अब लड़की की गर्भावस्था में लड़कों का भी पेट बढ़ने लगा है. शायद इसीलिए बहुत जगह मैटरनिटी लीव के साथ पैटरनिटी लीव का भी प्रावधान कर दिया गया है.’’ इन की बात सुन कर मेरे साथसाथ नवदंपती भी हंसे बिना न रह सके.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...