मैं पहली बार गर्भवती हुई तो अपने बच्चे की जान के साथसाथ अपनी जान का डर भी बहुत सताता रहता था. चाय पीते समय अकसर मैं पति से यह पूछा करती, ‘‘डिलीवरी के समय अगर मुझे कुछ हो गया तो?’’ खुशमिजाज पति मुझे समझाते, ‘‘व्यर्थ की चिंता मत करो. और खुश रहो, ऐसा कुछ भी नहीं होगा.’’ पर मेरे दिल और दिमाग में यह बात अंदर तक घुस गई थी. एक दिन फिर मैं ने उन से यह प्रश्न पूछ लिया, ‘‘डिलीवरी के समय अगर मुझे कुछ हो गया तो?’’ पर इस बार पति ने बड़ी बेफिक्री से जवाब दिया, ‘‘इस में सोचने वाली कौन सी बात है, मैं तुरंत दूसरी शादी कर लूंगा, एक लड़की भी देख रखी है.’’ सौतन आने की बात सुनते ही पता नहीं कैसे मेरे मन का डर काफूर हो गया और मुझ में हिम्मत आ गई. नियत समय पर मैं ने एक स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया, जो आज इंजीनियर बन चुका है.
– निभा सिन्हा, विशाखापत्तनम (आं.प्र.)
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हम लोगों के एक परिचित के लड़के का विवाह हुआ. हाल ही में वे नवदंपती बाजार में घूमते मिले. अब तक लड़की गर्भावस्था में आ गई थी तथा लड़के का भी थोड़ा वजन बढ़ गया था. मेरे पति समय पर चुटकी लेने से नहीं चूकते, उन लोगों को देख कर बोले, ‘‘आजकल जमाना कितना बदल गया है. अब लड़की की गर्भावस्था में लड़कों का भी पेट बढ़ने लगा है. शायद इसीलिए बहुत जगह मैटरनिटी लीव के साथ पैटरनिटी लीव का भी प्रावधान कर दिया गया है.’’ इन की बात सुन कर मेरे साथसाथ नवदंपती भी हंसे बिना न रह सके.
– अरुणा रस्तोगी, मोतियाखान (न.दि.)
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हमारा रोटी बेलने का चकला टूट गया था और काफी समय से स्लैब पर ही रोटी बेल कर काम चलाया जा रहा था. अब हमें इस की आदत सी हो गई थी, इस कारण चकले की आवश्यकता महसूस नहीं होती थी. हमारे कुछ रिश्तेदार आए हुए थे. उन के साथ हम बाजार में शौपिंग पर गए थे. एक दुकान पर चकला देख कर पति ने कहा कि चकला तो हमें भी लेना है. मैं ने कहा कि चकले की आवश्यकता नहीं है. स्लैब पर भी रोटी बढि़या बेली जाती है. मेरे हाजिरजवाब पति ने कहा कि तुम्हें तो स्लैब पर रोटी बेलने में कोई परेशानी नहीं आती परंतु मुझ से तो स्लैब पर रोटी अच्छी तरह नहीं बेली जाती. उन की इस बात को सुन कर रिश्तेदारों सहित दुकानदार भी बिना हंसे नहीं रह सका.
– आशा शर्मा, बूंदी (राज.)