मैं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की विद्यार्थी थी. बात 1988 की है. बोर्ड परीक्षाओं में परीक्षार्थियों की सघन तलाशी ली जाती थी. परीक्षा शुरू होते ही कालेज का इंटर्नल रनिंग बैच चैक करने आता था. बैच के मैंबर कहते थे, जिस के पास कोई भी सामग्री हो, फेंक दे. उन में एक लड़की काफी ड्रामेबाज थी. जैसे ही बैच के मैंबर बोलते कि जिस के पास जो हो, फेंक दे वरना पकड़े जाने पर परीक्षा रूम से बाहर कर दिया जाएगा तो वह लड़की अपने सारे सामान यहां तक कि पास में रखे रुपएपैसे, पैन बौक्स इत्यादि तेजी से फेंकती. जब लोग कहते यह क्या कर रही हो तो वह बोलती, ‘आप ही ने तो बोला है कि जिस के पास जो भी हो, फेंक दें. इस तरह कुछ देर हंसी का वातावरण बन गया और विद्यालय का चपरासी एकएक समान इकट्ठा कर के उसे वापस देता. बीचबीच में वह ऐसा करने की आदी हो गई थी.
- उमावती अग्रहरि, प्रतापगढ़ (उ.प्र.)
*
शालू को अपनी दोस्त पूजा के यहां पहुंचने की जल्दी थी. वह अपनी बहन जया के साथ स्कूटी से कानपुर देहात की तरफ जा रही थी. स्कूटी की रफ्तार बहुत तेज नहीं थी परंतु अचानक उस के सामने साइकिल पर सवार एक लड़का आ गया. वह घबरा गई, उस की स्कूटी डगमगा गई और सड़क के किनारे लकड़ी की गठरी ले कर जाती हुई एक औरत से टकरातेटकराते बची. वह औरत अचानक स्कूटी को सामने देख कर झटके से मुड़ी, तो गिर गई. अब तक शालू अपनी स्कूटी संभाल चुकी थी. कुछ दूर आगे जा कर शालू ने अपनी स्कूटी रोकी और दोनों बहनें उस औरत को देखने लगीं. औरत को सहीसलामत देख कर शालू अपनी स्कूटी स्टार्ट करने जा रही थी, उस की बहन जया ने कहा, ‘‘दीदी, हमें उस औरत को उठाना चाहिए.’’ उस की बात सुन कर शालू बोली, ‘‘तू पिटेगी.’’
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन