सर्जिकल स्ट्राइक जैसे अहम मसले पर भी अपनी भूमिका तय नहीं कर पाने वाले उद्धव और राज ठाकरे लंबे समय से अवसाद में हैं. दोनों बारबार नरेंद्र मोदी और भाजपा को कोसते हैं, फिर प्रतिक्रियाहीनता देख कर एकदूसरे का मुंह ताकने लगते हैं कि अब क्या करें. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाक कलाकारों को वापस जाने का फरमान भी ज्यादा तूल नहीं पकड़ पाया यानी बाल ठाकरे के ये दोनों होनहार उत्तराधिकारी भाजपाई चक्रव्यूह में घिरे हुए हैं. शिवसेना की साख महाराष्ट्र में गिर रही है और कांग्रेस व एनसीपी की बढ़ रही है. भाजपा अभी तटस्थ रुख अख्तियार किए हुए है. जाहिर है इन दोनों को वापसी के लिए कुछ हाहाकारी काम करना पड़ेगा वरना यों खिसियाते रहने से तो दुकानदारी चलने से रही.

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