प्राइमरी स्कूल का बच्चा अकसर बड़े कुतूहल से पूछता है कि क्या वाकई हमारे पूर्वज बंदर थे. समझदार अभिभावक अपना यह जवाब हलक के नीचे ही रखते हैं कि पूर्वजों का तो पता नहीं, पर लगता है कि हम जरूर बंदर हैं जो बातबात पर खीखी करते एकदूसरे के धर्मों, जातियों और संप्रदायों पर झपट्टा मारा करते हैं.

भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी का बड़बोलापन किसी पहचान का मुहताज नहीं है. उन से हर कोई डरता है कि जाने वे कब क्या ऐसा बोल जाएं जिस की सफाईधुलाई करनी मुश्किल हो. इलाहाबाद में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्मशताब्दी वर्ष पर आयोजित समारोह में उन्होंने मुफ्त की सलाह यह दे डाली कि मुसलमान अगर शांति चाहते हैं तो उन्हें हिंदुओं को अपना पूर्वज मान लेना चाहिए. कौन इस विद्वान चिंतक और दार्शनिक राजनेता को समझाए कि हिंदुओं के पूर्वज कौन हैं, पहले यह तो तय हो. अब अमनपसंद मुसलमानों को चाहिए कि वे इतिहास या भूगोल के चक्कर में न पड़ते स्वामी की धौंस मान लें.

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