अपने नेता में आस्था और निष्ठा जताने का सर्वोत्तम भारतीय तरीका उस के चरणस्पर्श करना है. चुनाव के दिनों में तो कार्यकर्ताओं की लाइन ठीक वैसे ही लगी नजर आती है जैसे नवरात्रि के समय में देवी के मंदिरों के सामने भक्त खड़े नजर आते हैं. जिन नेताओं की सभा को कामयाब बनाने के लिए कार्यकर्ता हाड़तोड़ मेहनत कर रहे हैं, अखिलेश यादव की सुंदर सांसद पत्नी डिंपल यादव उन में से एक हैं. इधर फर्क यह देखा गया कि नेता से नजदीकियां बतानेजताने का तरीका पैर पड़ना कम, उस के साथ सैल्फी लेना ज्यादा हो चला है.

स्वभाव से अंतर्मुखी डिंपल ने हाइटैक हो चली राजनीति व कार्यकर्ताओं की सैल्फी खींचने वाली मानसिकता को खूब प्रोत्साहन दिया. नतीजतन, उन की सभाओं में सपा कार्यकर्ता हाथ में झंडे कम, मोबाइल लिए ज्यादा दिखे. अब ये सैल्फियां अखिलेश अगर सत्ता में फिर से आए तो ड्राइंगरूम की दीवारों पर बड़ीबड़ी तसवीरों की शक्ल में नजर आएंगी और नहीं आ पाए तो डिलीट विकल्प की शिकार हो जाएंगी.

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