ध्यान दे सरकार

मैं सरिता के माध्यम से सरकार का ध्यान आकृष्ट करना चाहती हूं कि वह कड़े कदम उठाए. आज प्राइवेट कालेजों ने युवाओं के सपनों को उड़ान दी है, इंजीनियरिंग में कैरियर बनाना सरल हुआ है लेकिन सचाई बिलकुल अलग है. कालेज में पढ़ाने के लिए टीचिंग स्टाफ ही नहीं हैं, प्रयोगशालाएं नहीं हैं. ऐसे में छात्र क्या पढ़ाई करेंगे और क्या सीखेंगे? सरकार को चाहिए कि वह समय रहते चेते ताकि इंजीनियर्स की गुणवत्ता बनी रहे. मांबाप की मोटी कमाई बच्चों के ऊपर खर्च करने के बाद भी इंजीनियर क्लर्की करते नजर आ रहे हैं. 10 हजार से 15 हजार रुपए की नौकरी अधिकतर इंजीनियर्स की पहचान बन गई है.

 इंजीनियर बना युवा आज हताश और निराश है. ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’ यह कहावत आज के इंजीनियरिंग कालेजों पर फिट बैठती है. बच्चे बड़ेबड़े सपने ले कर आते हैं. लेकिन कुशल टीचिंग स्टाफ न होने से उन के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग रहा है. टीचिंग स्टाफ की गुणवत्ता पर कुछ नियमकानून बनने आवश्यक हैं वरना इंजीनियर्स की एक ऐसी खेप तैयार होगी जो देश के भविष्य के लिए खतरा बनेगी.

रेखा सिंघल, हरिद्वार (उत्तराखंड)

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