महिलाओं को होना पड़ेगा जागरूक

‘आप के पत्र’ स्तंभ (मई प्रथम अंक) में आईपी गांधी का पत्र पढ़ा. महिलाएं बेशक आज हर क्षेत्र में उन्नति कर रही हैं परंतु फिर भी नारी ही नारी की शोषक है. ये अपने पतियों की बेशक न मानें परंतु तथाकथित प्रवचनकर्ताओं के आयोजनों में बढ़चढ़ कर भाग ले रही हैं. वहीं से उलटीसीधी बातें सीखती हैं व उन के इशारों पर डांस भी करती हैं. अब तो प्रधानमंत्री भी ऐसे व्यक्ति चुने गए हैं जो स्वयं अंधविश्वासी हैं और इतिहास के विषय में कम जानते हैं, जैसे चुनाव के दिनों में दलितों की बात चली थी तो नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ‘श्रीराम’ ने भीलनी, जो दलित थी, के जूठे बेर खाए थे. यह राम की मजबूरी थी क्योंकि उस समय वे सीता की खोज में थे. यदि बेर न खाते और उन के (भीलनी के) साथ अच्छा व्यवहार न करते तो शायद सीता के बारे में कुछ पता न लगता अर्थात स्वार्थ हेतु जूठे बेर खाए गए. उस के बाद अपने राज्य में शंबूक का वध किया क्योंकि वे भक्ति कर रहे थे. यानी राम राज्य में कोई भी शूद्र न शिक्षा ग्रहण कर सकता था न भक्ति कर सकता था. गोस्वामी तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ में स्त्रियों की भर्त्सना की है परंतु फिर भी महिलाएं ही मोरारी बापू के प्रवचन सुनने को ज्यादा जाती हैं. जब तक महिलाओं में जागृति नहीं आती तब तक कहीं न कहीं महिला शोषण होता रहेगा.

चरंजी लाल, परवाणू (हि.प्र.)

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