मोदी शक्ति
लेख ‘समस्याओं के अंबार पर मोदी सरकार’ पढ़ कर दिल इसलिए बागबाग हो गया कि चुनाव से पहले जो लोग नरेंद्र मोदी को रातदिन पानी पीपी कर कोसने से नहीं अघाते थे, वे लोग और संस्थान अब उन की तारीफ करते नजर आ रहे हैं. इस लेख में जो कुछ पढ़ने को मिला, उसे पढ़ कर पाठकों की आंखें खुल गई होंगी कि आखिर नमो का विरोध कितना गलत और कितना सही था.
खैर, कहावत भी तो है कि ‘सोना तप कर ही कुंदन बनता है’, ठीक उसी तरह के विरोधों का डट कर मुकाबला कर, विजयश्री को अपने माथे पर लगा कर, नमो ने अपना जो स्वरूप प्रस्तुत किया है उस की प्रशंसा न केवल भाजपा या समर्थक दलों में हो रही है बल्कि अन्य कई विरोधी दलों में भी प्रशस्ति गान की झलक स्पष्ट नजर आ रही है.
आश्चर्य का विषय तो यह है कि कल तक जहां विदेशी सरकारों के नमो की काट पर संघर्ष चल रहा था है वह अब न केवल ठंडा पड़ गया है बल्कि नमो के स्वागत में ‘रैड कारपेट’ बिछाने की पहल में बदल गया है.
ताराचंद देव रैगर, श्रीनिवासपुरी (न.दि.)
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