सरित प्रवाह, जून (प्रथम) 2013

संपादकीय टिप्पणी ‘दंभियों के हाथ शासन’ ओजपूर्ण व ज्ञानवर्द्धक है. आप का यह कथन सत्य से परिपूर्ण है कि कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की हार का अनुमान पार्टी को पहले से ही था. इस विषय में पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कई साल पहले साफ कह दिया था कि माइनिंग ठेकेदारों को अरबों बनवाने के आरोपों से घिरे उस के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को पद छोड़ना ही होगा, चाहे कर्नाटक भाजपा के हाथ से निकल जाए.

कर्नाटक में जीत कर कांग्रेस में भी कोई खास खुशी नहीं है, मात्र संतोष भर है कि एक और बार पिटने से बचे. कांग्रेस के नेता खुद वैसे ही आरोपों से घिरे हैं. अदालतों में रोज फटकार पड़ रही है और लोकसभा व राज्यसभा में जवाब देने को उन के पास शब्द नहीं रहते. आम जनता बेईमानी के कांडों से त्रस्त है और उस की हालत उस मेमने की तरह है जो शेर के पंजों में फंस गया है. यह बिलकुल नहीं कहा जा सकता है कि 2014 में जनता खुशीखुशी कांग्रेस का साथ देगी.

आप ने सत्य कहा है कि यह अफसोस की बात है कि चुनावी प्रणाली अच्छे, शरीफ नेताओं को उतारने का काम बिलकुल नहीं कर पा रही, जनता के पास पर्याय नहीं होता या जनता जानबूझ कर बेईमानों का साथ देती है, चुनाव सही नेता नहीं, बेईमान व भ्रष्ट नेता पैदा कर रहे हैं. देश का शासन क्रूर, दंभी जनप्रतिनिधियों के हाथों में बंध गया है. यह देशहित में नहीं है.

कैलाश राम गुप्ता, इलाहाबाद (उ.प्र.)

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भ्रष्ट नेता

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