‘अपना रोग, आर्थिक स्थिति और मंशा छिपा कर रखने चाहिए,’ इस सूक्ति वाक्य को धता बताते विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सीधेसीधे मान लिया कि उन की किडनी फेल हो चुकी है और अब कृष्ण उन्हें ठीक करेंगे. कृष्णजी के तो कहीं अतेपते नहीं चले लेकिन कइयों ने सुषमा को अपनी किडनी देने की इच्छा जताई तो इस से उन की लोकप्रियता ही उजागर हुई.

जयललिता, सोनिया गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी और अरविंद केजरीवाल की तरह सुषमा स्वराज ने अपनी बीमारी न छिपा कर मिसाल ही कायम की है. कहा भी जाता है कि कितना ही छिपा लो, बीमारी छिपती नहीं. यह  अच्छी बात है कि नेताओं की रहस्यमय बीमारियां कई अफवाहों को जन्म देती हैं जिस से गफलत पैदा होती है. दूसरी अहम बात यह भी समझ आई कि किडनी का खराब होना या फेल होना तेजी से, खासतौर से महिलाओं में, बढ़ रहा है. इसलिए वक्त रहते ब्लडप्रैशर और डायबिटीज वगैरा का इलाज करा लेना चाहिए वरना इन का सीधा असर किडनी पर पड़ता है.       

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